अमेरिका ने डब्लूएचओ को अपनी देनदारी रोकी
अमेरिकन राष्ट्रपति ट्रम्प ने गुरूवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन को दी जाने वाली फंडिंग पर रोक लगा दी। अमेरिका इस संगठन को चलाने में विश्व में सबसे ज्यादा सहयोग राशि देता रहा है। अमेरिका द्वारा फंडिंग रोकने से इसके काम-काज पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। विश्व भर में फैलने वाली महामारियों और अन्य बीमारियों को रोकने में इस संगठन का अहम रोल है। इससे पहले अमेरिका हाई एमए$फ की बैठक में भी यह कह चुका है कि इस संगठन को अमीर देशों के लिये पैसे देने चाहिये न कि अफ्रीकी गरीब देशों को।
भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने भी बड़े भाई ट्रम्प की हां में हां मिलाई है। ध्यान दें कि कोरोना से आई आर्थिक मन्दी और भुखमरी में छोटे और गरीब देशों को विश्वमुद्रा कोष से मदद की ज्यादा जरूरत है। लेकिन मोदी और ट्रम्प को अपने देश के अमीरों की ज्यादा चिंता है। इसलिये दोनों दूसरों को मदद से इनकार और खुद सारा माल झटक लेने को तैयार बैठे हैं।
अन्न के भरे भण्डार पर गरीबों को एक दाना भी देने को नहीं तैयार
एफसीआई यानी अनाज भण्डारण करने वाली हमारी सरकारी कंपनी के पास लगभग साढे सात करोड़ टन अनाज का भण्डार है। उपर से नयी $फसल कट कर बिक्री के लिये मंडियों में आ चुकी है जिसको रखने के लिये सुरक्षित भण्डारों की भयंकर कमी है। हर साल एफसीआई के पास भण्डारन का उचित प्रबन्ध, गोदाम आदि न होने की वजह से लाखों टन गेहूं खुले में पड़ा सड़ जाता है या चोरी हो जाता है लेकिन उसे गरीबों में नहीं बांटा जाता।
अगर सरकार भारत के 15 करोड़ गरीब परिवारों के 100 किलो प्रति परिवार को मुफ्त में भी दे दे तो सिर्फ डेढ करोड़ टन ही गेहूं बांटा जायेगा। इससे जहां ए$फसीआई के गोदामों में गेहूं रखने को कुछ जगह बन जायेगी कहीं ये 15 करोड़ परिवार लगभग दो-तीन महीने के लिये भुखमरी से बच जायेंगे। लेकिन यहां तो गरीबों के लिये वादे और नसीहतें हैं और अमीरों के लिये खजाने खुले हैं।
महामारी में भी मोदी प्रचार
पिछले दिनों केन्द्र सरकार ने हर जन-धन खाते में सिर्फ पांच सौ रुपये डालने की घोषणा की। और ये रकम फिर उन खातों में वास्तव में डाल भी दी गई। फिर ‘दूरदर्शन’ पर सरकार ने इसका खूब ढोल पीटा जब तक की सभी नियमों को धता बताकर, गरीब लोगों ने ये 500 रुपये निकलवाने के लिये भीड़ नहीं लगा दी।
मौत के मंडराते साये में भी सरकार को सिर्फ मोदी प्रचार की चिन्ता है। उसे महामानव बनाने की कोशिश है। इससे पहले सरकार मोदी के फोटो लगे राशन किट भी बांट चुकी है। हरियाणा में मोदी और खट्टर के फोटो समेत भी सहायता किट बांटी गयी।
अंतिम मिसरा
भक्त ने तय किया हुआ था कि कोरोना होगा तो मोदी जी के बनवाये हस्पताल में ही इलाज करवायेगा।
भक्त बीमार हुआ और मोदी जी का बनाया हुआ हस्पताल ढूंढने लगा।
भक्त ढूंढता रहा, ढूंढता रहा और ढूंढते-ढूंढते ही मर गया।