रोहतक (म.मो.) प्रतिभाशाली पर आर्थिक रूप से कमजोर छात्र हरियाणा के सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिला नहीं ले सकेंगे। मजबूरी में दूसरे राज्यों के मेडिकल कॉलेज में जाना पड़ेगा। मनोहर सरकार ने फैसला किया है की प्रदेश के मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए प्रति वर्ष दस लाख रुपया जमा करवाने होंगे। यानी चार साल में चालीस लाख। यदि छात्र हरियाणा में सरकारी नौकरी करेगा तो सरकार यह पैसा कई किश्तों में वापिस दे देगी। फैसला दो साल पहले हो गया था लेकिन विरोध के चलते लागू नहीं किया गया। मेडिकल कॉलेज रोहतक के निदेशक डॉक्टर लोहचब ने बताया की ऐसा इसलिए किया गया है की छात्र यहाँ से पढक़र कही और न चले जाये या प्राइवेट प्रैक्टिस न करने लगे।
सवाल यह है की गरीब छात्र इतने पैसे कहा से लाएगा। कहा जा रहा है की छात्र बैंक से गॉरन्टी दिलवा सकते है। बैंक की गॉरन्टी कैसे मिलेगी? रोहतक के एक डॉक्टर ने अपने दो बच्चों का दाखिला कर्नाटक में करवाया क्योंकि दस लाख प्रतिवर्ष कैसे भरेगा? पिछले साल एक चीफ मेडिकल ऑफिसर के बेटी को भी हरियाणा से बाहर दाखिला लेना पड़ा था।