बिना मास्क लगाए मंत्री ने 11 डंफर जब्त किए लेकिन किसी अफसर पर एक्शन की सूचना नहीं
मजदूर मोर्चा ब्यूरो
फरीदाबाद: हरियाणा सरकार के मंत्री मूलचंद शर्मा रोजाना अच्छा काम करने की नीयत से घर से निकलते हैं, लेकिन गलती ऐसी-ऐसी कर बैठते हैं कि जनता के निशाने पर आ जाते हैं। 8 दिसम्बर की घटना को ही लें। भारत बंद का आह्वान किसानो? ने किया था। लेकिन मंत्री को सूझा कि क्यों न आज फरीदाबाद-गुडग़ांव रोड पर सैर सपाटा किया जाए। लेकिन रास्ते में उनको जब डंपरों में भवन निर्माण सामग्री ठूंसी हुई दिखी तो उन्हें उसमें से भ्रष्टाचार झांकता नजर आया। बता दें कि मूलचंद खनन (माइनिंग) मंत्री भी हैं।
मंत्री मूलचंद शर्मा ने 11 ऐसे डंफरों को जब्त किया जो ओवरलोडेड थे यानी जिनमें तय मानक से ज्यादा रेता, बदरपुर, पत्थर आदि भरे हुए थे। बिना मास्क लगाए मंत्री मूलचंद अफसरों से इस मामले में जवाब तलब करते दिखे। मास्क लगाए हुए अफसर क्या जवाब देते। उन्हें पता है कि ये डंफर कैसे चलते हैं, कौन चलावाता है और कहां-कहां हिस्सा जाता है। लेकिन अफसरों ने मंत्री की पूरी तसल्ली कर दी। मूलचंद मौके पर किसी अफसर के खिलाफ एक्शन नहीं ले सके। न ही फरीदाबाद-गुडग़ांव के संबंधित थानों-चौकी के पुलिस वालों को कुछ कह सके जिनकी जानकारी में डंफरों में ओवरलोडिंग का धंधा चल रहा है। डंफरों की ओवरलोडिंग की वजह से आये दिन हादसे होते रहते हैं।
मूलचंद डंफरों के गोरखधंधे को तब से जानते हैं, जब वो बल्लभगढ़ में दुकान पर बैठते थे। लेकिन बहरहाल अब मंत्री हैं तो उन्हें डंफरों के जरिए हो रहे भ्रष्टाचार की याद आई हो। लेकिन जब उन्होंने मंगलवार को यह कार्रवाई की तो जनता ने चुटकी लेने में देर नहीं लगाई। चूंकि मंत्री सडक़ किनारे इस तरह की चेकिंग कर रहे थे तो वहां से गुजरने वाले भी मंत्री पर जुमले कसते हुए निकल रहे थे। कुछ लोगों ने कहा कि मास्क क्या सिर्फ हमारे लिए हैं। मंत्री का मास्क कहां चला गया ? कुछ लोगों ने कहा कि डंफरों में ओवरलोडिंग कराने वाले भड़ाना तो आजकल भाजपा में ही हैं, मंत्री कैसे भाजपा नेताओं के ऐसे धंधों को बंद करा सकते हैं। कुछ ने प्रचलित मुहावरों का इस्तेमाल भी किया।
डंफरों पर लगाम ऐसे कहां लगेगी
मंत्री मूलचंद शर्मा अगर सोच रहे हैं कि उनके इस अचानक जांच पड़ताल और 11 डंफरों के जब्त करने से यह धंधा रुक जाएगा तो यह बात बचकानी है। फरीदाबाद-गुडग़ांव में डंफरों की ओवरलोडिंग का धंधा बहुत संगठित तरीके से चल रहा है। जिसे मंत्री तो क्या मुख्यमंत्री तक रोक नहीं सकते। डंफरों के मालिक ज्यादातर सत्तारुढ़ पार्टी के लोग हैं। उन्हीं के पास माइंस (खानें) हैं, उन्हीं के पास क्रशर हैं, उन्हीं के पास भाजपा को मोटा चंदा देने और यहां तक की पार्टी का टिकट खरीद लेने का पैसा है। इस रास्ते पर हर चौकी और थाने को हर महीने मंथली पहुंचती है। वह मंथली कितनी ऊपर तक जाती होगी, उसके बारे में सब सर्वविदित है। आबकारी कराधान विभाग भी इन पर कार्रवाई कर सकता है लेकिन वहां के भी कुछ अफसरों का संरक्षण इस धंधे को मिला हुआ है। मंत्री मूलचंद ने पहल अच्छी की है लेकिन उनकी यह पहल भ्रष्ट अफसरों और भड़ाना नियंत्रित संगठित कारोबार के सामने सिर्फ खानापूर्ति बनकर रह जाएगी। फरीदाबाद-गुडग़ांव रोड पर अगर इन डंफरों की ओवरलोडिंग और स्पीड लिमिट पर लगाम लग जाए तो इस सडक़ से गुजरने वाले हजारों बाइक-स्कूटी वाले मूलचंद को दुआएं जरूर देंगे। मंत्री मूलचंद कल को यह कहकर पल्ला छुड़ा सकते हैं कि उनके पास पुलिस विभाग नहीं है और सिर्फ पुलिस विभाग ही इन पर काबू पा सकता है तो यह जवाब सही नहीं होगा। मौजूदा पुलिस कमिश्नर की ईमानदारी के गीत गाये जा रहे हैं तो ऐसे में अगर इन डंफरों पर अब लगाम नहीं लगी तो कब लगेगी। ….पता नहीं मूलचंद शर्मा अगली बार मंत्री बनेंगे या नहीं लेकिन उन्हें हजारों बाइकों-स्कूटर वालों की दुआएं लेने के लिए पुलिस कमिश्नर से बात करके इस धंधे पर शिकंजा कसवाना चाहिए। वरना जनता इसे ड्रामा करार देते देर नहीं लगेगी।
मजदूर मोर्चा के पाठकों को याद होगा कि पिछले अंक में हमने मंत्री मूलचंद शर्मा द्वारा शहर की सडक़ों का जायजा लेने के संबंध में खबर छापी थी। मूलचंद शर्मा की वह पहल अच्छी होने के बावजूद ड्रामा ही साबित हुई। फरीदाबाद नगर निगम (एमसीएफ) पूरी तरह कंगाल है। पैसे के अभाव में सडक़ें बन ही नहीं सकतीं, ऐसे में अफसरों को बुलाकर सिर्फ आदेश देने भर से और अखबारों में गुड न्यूज छपवा भर देने से शहर की सडक़ें नहीं बन पाएंगी। अगर मंत्री में हौसला है तो सिर्फ फरीदाबाद की सडक़ों के लिए विशेष ग्रांट लेकर आयें। लेकिन वो स्पेशल ग्रांट भी नहीं मिलेगी, क्योंकि सीएम मनोहर लाल खट्टर ने खुद अपनी घोषणा के तहत होने वाले विकास कार्यों पर रोक लगा दी है। हरियाणा सरकार के पास पैसे ही नहीं हैं। ऐसे में मूलचंद शर्मा के मुआयने भर से कुछ नहीं होने वाला।