नकली-घटिया दूध बेचे जाने की शिकायत पर भी जो अधिकारी जांच नहीं करते हैं, लगता नहीं कि वो हाईकोर्ट के आदेश पर इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगाएंगे। दिल्ली-एनसीआर में नकली और मिलावटी दुग्ध उत्पादों की आपूर्ति पर कड़ा रख़ अपनाते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 15 जनवरी 2024 को आयुक्त एफएसएसएआई को नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता वरुण श्योकंद के अनुसार पलवल, मेवात, नूंह आदि जिलों मे रोजाना कई हजार किलोग्राम नकली व मिलावटी दुग्ध उत्पाद तैयार किए जाते हैं। इस नकली दूध, पनीर, दही, घी सहित इनसे बनाई गई मिठाई व अन्य खाद्य पदार्थ दिल्ली, फरीदाबाद, गुडग़ांव, रोहतक, झज्जर, रेवाड़ी, नारनौल, नोएडा, गाजियाबाद, सहित एनसीआर के बड़े इलाके में भेजे जाते हैं। इस पर रोक के लिए उन्होंने मेलामाइन, ग्लिसरिन, यूरिया, स्टार्च, हाइड्रोजन पर ऑक्साइड, कास्टिक सोडा, जैसे मानव शरीर के लिए नुकसानदेह रसायनों का प्रयोग कर तैयार किए जाने वाले यह दुग्ध उत्पाद मिठाई की दुकानों से लेकर होटल, ढाबे, रेहडिय़ों तक हर जगह बेचे व इस्तेमाल किए जाते हैं। यह जानकारी जिला अभिहित अधिकारी पृथ्वी सिंह और खाद्य सुरक्षा अधिकारी डॉ. सचिन से लेकर डीसी विक्रम सिंह तक सबको है लेकिन अभियान तो दूर जांच तक नहीं की जाती। अगस्त 2023 में मज़दूर मोर्चा ने डॉ. सचिन को खतरनाक केमिकल मिला दूध बेचे जाने की जानकारी दी थी। जांच करने के बजाय उन्होंने संवादाता से ही दूध का सैंपल भर कर उनके कार्यालय पहुंचाने की नसीहत दी। साथ ही यह भी बताया कि यदि सैंपल गड़बड़ पाया गया तो उसके बाद ही वह आधिकारिक रूप से सैंपल भर कर जांच कराएंगे। इससे बड़ा और क्या मज़ाक हो सकता है। जाहिर है कि उनकी नकली दूध की जांच करने में कोई रुचि नहीं थी।
फरीदाबाद में पलवल और आसपास से रोजाना एक हजार से अधिक दूधिये हजारों लीटर दूध लेकर आते हैं, दुहने से घरों तक पहुंचने में इस दूध को आठ से दस घंटे और कभी कभी इससे भी ज्यादा समय लगता है, ऐसे में दूध खराब होने से बचाने के लिए ये दूधिए खतरनाक रसायनों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इनकी जांच नहीं होती क्योंकि प्रत्येक से हर महीने बंधी रकम मिलती है। ऐसे में हाईकोर्ट को भी गलत रिपोर्ट भेज कर गुमराह किया जाएगा।