हरियाणा बेरोजगारी में नंबर 1, लेकिन कांग्रेसी घरों में छिपे बेरोजगार युवकों और किसानों के आंदोलन से बनाई दूरी..

हरियाणा बेरोजगारी में नंबर 1, लेकिन कांग्रेसी घरों में छिपे  बेरोजगार युवकों और किसानों के आंदोलन से बनाई दूरी..
September 17 14:27 2020

यूसुफ किरमानी

फरीदाबाद: बेरोजगारी पूरे देश की समस्या है लेकिन ‘अपना हरियाणा’ बेरोजगारी के मामले में अगर टॉप 5 राज्यों में आ जाए तो हम सब की चिन्ता स्वाभाविक है। लेकिन यह चिन्ता हरियाणा की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस की नहीं है। बेरोजगार युवकों से उनकी हमदर्दी सोशल मीडिया पर चंद जुमलों तक सीमित है। देश के बेरोजगार युवकों के संगठनों ने 9 सितंबर को रात 9 बजे 9 मिनट के लिए लाइट बंद करने का आह्वान देश के लोगों से किया था। यूपी कांग्रेस ने फौरन इस मुहिम का समर्थन कर दिया। इसके बाद आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और समाजवादी पार्टी के नेता व पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भी इस मुहिम का समर्थन कर दिया। लेकिन हरियाणा कांग्रेस की ओर से न तो इस संबंध में कोई अपील की गई और न ही इस अभियान में शिरकत की गई। तमाम राज्यों से कांग्रेस के नेताओं ने 9 सितंबर को रात 9 बजे घर में बत्ती बुझाकर हाथ में मोमबत्ती लेकर फोटो पोस्ट किए। कानपुर और दिल्ली में कांग्रेस समर्थक युवक कांग्रेसी रात में सडक़ों पर मोमबत्ती लेकर आ गए। लेकिन हरियाणा के कांग्रेसी तमाशबीन बने रहे।

खट्टर सरकार को मुंह चिढ़ाते आंकड़े

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनोमी (सीएमआईई) ने अगस्त की बेरोजगारी की जो रिपोर्ट जारी की है, उसके मुताबिक हरियाणा में बेरोजगारी की दर 33.5 फीसदी पहुंच गई है। हरियाणा उन टॉप 5 राज्यों में पहले नंबर पर है, जहां बेरोजगारी सबसे ज्यादा है। लॉकडाउन ने हरियाणा को लगभग बर्बाद कर दिया है। बिहार, जिसे रोजगार देने के मामले में बहुत पीछे माना जाता है, उसने अपनी स्थिति सुधारी है। इसी तरह झारखंड की हालत में भी सुधार हुआ है। हरियाणा में पिछले 6 साल में न तो कोई निवेश हुआ है और न ही रोजगार के नए अवसर पैदा हुए है। हालांकि खट्टर सरकार के पास रोजगार देने के सुनहरे आंकड़े मौजूद हैं। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। राज्य में मैन्यूफेक्चरिंग सेक्टर पूरी तरह बैठ गया है, टूरिज्म तबाह हो चुका है। खुदरा (रिटेल) दुकानदारों ने खूब ताली और थाली बजाई लेकिन हालात नहीं सुधरे। रिटेलर्स एसोसिएशन आफ इंडिया के सीईओ कुमार राजगोपालन का कहना है कि देश में दस करोड़ लोग रिटेल बिजनेस में रोजगार से लगे हुए हैं, जिसमें हरियाणा का योगदान 4-5 फीसदी है। यानी करीब 50 लाख लोग जो रिटेल बिजनेस में हरियाणा में रोजगार पाये हुए थे, वे बेरोजगार हो चुके हैं। होटल-रेस्तरां में काम करने वालों पर खासा असर पड़ा है। होटल्स एंड रेस्टोरेंट्स एसोसिएशन आफ हरियाणा के मनबीर चौधरी के मुताबिक राज्य के विभिन्न होटलों में काम करने वालों में से 25-30 फीसदी लोग बेरोजगार हो चुके हैं। इसी तरह रेस्तरां में काम करने वाले 60-70 फीसदी लोग बेरोजगार हो चुके हैं। इसके अलावा मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में बड़े पैमाने पर छंटनी हुई है।

हरियाणा में शिक्षक भर्ती के लिए जरूरी परीक्षा एस्टेट की परीक्षा करीब एक लाख युवकों ने पास की है लेकिन वो घरों में बैठे हैं। खट्टर सरकार अब तक उन्हें जेबीटी शिक्षक नियुक्त नहीं कर सकी है। जबकि राज्य के सरकारी स्कूल शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। हालांकि सरकार इस परीक्षा को हर साल कराकर करोड़ों रुपये फीस के रूप में वसूल लेती है। पिछले छह साल में इन बेरोजगार युवकों से वसूली गई फीस को जोड़ लिया जाए तो उससे कई स्कूल-कॉलेज ही खोलकर इन्हें खपाया जा सकता है।

हरियाणा जहां दूसरे राज्यों से आये हुए लोगों को रोजगार मुहैया कराता था, वहां पिछले 6 साल से वह रोजगार देने में नाकाम है। राज्य में न तो नया निवेश हुआ और न ही दूर दूर तक फिलहाल कोई संभावना नजर आ रही है। खट्टर सरकार यह आंकड़ा देने में नाकाम है कि पिछले छह साल में कोई नई इंडस्ट्री निजी क्षेत्र में शुरू हुई हो। हरियाणा की ‘इज आफ डुइंग बिजनेस’ में भी रैंकिंग 13 से गिरकर 16वें नंबर पर पहुंच चुकी है। इज़ आफ डुइंग बिजनेस का अर्थ है कि राज्य में ऐसा वातावरण बनाना कि यहां काम करना या इंडस्ट्री चलाना आसान हो जाए। इसी रैंकिंग से स्पष्ट है कि दूसरे राज्यों से उद्योगपति और विदेशी कंपनियां हरियाणा में निवेश की इच्छुक नहीं हैं।

अजीबोगरीब रवैया है इस पार्टी का

पिछले विधानसभा चुनाव में जनता का भरपूर समर्थन मिलने के बावजूद हरियाणा कांग्रेस के नेता उस संकेत को समझ नहीं पा रहे हैं और तमाम जनहित के मुद्दों पर आंखें बंद करके बैठे हैं। इस मामले में सबसे निराशाजनक रवैया भूपेंद्र सिंह हुड्डा, उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा का है। राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा 5 सितंबर को हरियाणा में बेरोजगारी पर चंद ट्वीट के जरिए बोलते नजर आये लेकिन किसी आंदोलन का आह्वान उन्होंने बेरोजगार युवकों से नहीं किया।

इतना ही नहीं उन्होंने 9 सितंबर के अभियान का समर्थन तक नहीं किया। 5 सितंबर को उनके पिता भूपेंद्र सिंह हुड्डा यह तो बताते नजर आये कि उनके कार्यकाल में कितने हरियाणवी युवकों को रोजगार मिला था लेकिन वे बेरोजगारों के मौजूदा आंदोलन में दिलचस्पी लेते नजर नहीं आये। यही हाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा का भी रहा। हालांकि हरियाणा में कांग्रेस की पहचान अभी भी बराबर हुड्डा के जरिये बनी हुई है, लेकिन पिता-पुत्र फिसड्डी साबित हो रहे हैं। शैलजा की तरफ से भी पार्टी में जान फूंकने की कोशिश नहीं हो रही है।

इसी तरह फरीदाबाद में पूर्व विधायक ललित नागर ने पिछला चुनाव हारने के बाद पार्टी की सक्रियता को लेकर दिलचस्पी लेनी छोड़ दी है। फरीदाबाद में अकेले ललित नागर ही नहीं, सभी विधानसभा क्षेत्रों का यही हाल है। पार्टी के बाकी नेता भी फिसड्डी साबित हो रहे हैं। उन्हें अपने एसी दफ्तर के बाहर जनता के मुद्दे ही नजर नहीं आ रहे हैं। पार्टी के प्रवक्ता भी प्रदेश अध्यक्ष का हुक्मनामा जारी कर लकीर के फकीर बने हुए हैं।

कांग्रेस आंदोलन से पैदा हुई पार्टी है। लेकिन हरियाणा में वो अपनी जिम्मेदारी तो दूर कर्तव्य भी भूल चुकी है। पार्टी को समझना होगा कि सोशल मीडिया पर मात्र कुछ ट्वीट लिख देने से हरियाणा में पार्टी में जान नहीं फूंकी जा सकती।

किसान आंदोलन से दूरी क्यों

हरियाणा में किसान कांग्रेस के नाम से पार्टी का बाकायदा संगठन है लेकिन उसका काम नजर नहीं आ रहा है। भारतीय किसान यूनियन ने कैथल, पीपली और अन्य मंडियों में किसानों और मजदूरों के साथ हो रहे शोषण के खिलाफ 10 सितंबर को कुरुक्षेत्र में रैली का ऐलान किया। फासिस्ट खट्टर सरकार ने किसान नेताओं को रैली की अनुमति देने से मना कर दिया। लेकिन किसान नेता जब नहीं झुके तो फासिस्ट सरकार ने 8 सितंबर से किसान नेताओं की धरपकड़ शुरू कर दी और 10 सितम्बर को किसानों की रैली पर क्रूरतापूर्वक लाठीचार्ज भी किया।

कांग्रेस के केंद्रीय नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने तो किसान नेताओं की मुहिम को खुलकर समर्थन दिया लेकिन कांग्रेस का कोई नेता या विधायक कुरुक्षेत्र, कैथल में आवाज उठाने नहीं पहुंचा। होना तो यह चाहिए था कि किसान आंदोलन के समर्थन में कांग्रेसी जेलें भर देते लेकिन उन्होंने किनारा कर लिया। इस समय अगर कांग्रेस किसानों के साथ नहीं खड़ी होगी तो कब होगी।

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Mazdoor Morcha
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