सरकार पुलिसवालों  की तनखाह में से बाकायदा तीन दिन के पैसे दान के नाम पर काटने का आदेश भी जारी कर चुकी है

सरकार पुलिसवालों  की तनखाह में से बाकायदा तीन दिन के पैसे दान के नाम पर काटने का आदेश भी जारी कर चुकी है
April 12 08:46 2020

लॉक-डाउन: चूहे मारने के

लिए घर ऐसे ही जलाया जाता है

मज़दूर मोर्चा ब्यूरो

अंध-भक्त जब बहस में घिर जाते हैं तो कहते हैं, ”बेचारा मोदी अकेला क्या करे?’’ अरे अकेले मोदी ने चार घंटे के नोटिस पर रात के 12 बजे हजार व 500 के नोट बंद करके सारे देश को लाइनों में लगा दिया और अब फिर चार घंटे के नोटिस पर रात के 12 बजे पूरे देश का चक्का जाम कर दिया। भक्तगण और क्या चमत्कार देखना चाहते हैं ‘बेचारे अकेले मोदी’ से?

देश का चक्का जाम करते वक्त मोदी महाराज ने यह सोचने की जहमत बिल्कुल भी नहीं उठाई कि उसके परिणाम क्या होंगे। हां इतना ध्यान जरूर रखा कि आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को इससे मुक्त रखा। करीब एक सप्ताह बाद मोदी को अपनी मूर्खता का एहसास हुआ कि उनके तुगलकी फर्मान ने देश भर में करीब साढे तीन लाख उन ट्रकों को जहां का तहां रोक दिया जिनमें करीब 35 हज़ार करोड़ का माल लदा हुआ था। मोदी का फर्मान सुनते ही ट्रक ड्राइवर व क्लीनर ट्रकों को जहां का तहां छोड़ कर जैसे-तैसे अपने घरों को पहुंच गये। अपनी इस मूर्खता का एहसास  होने पर जब महामहिम मोदी जी ने तमाम तरह के सामानों/ट्रकों को चलाने का आदेश दिया तो चलाने वाले ही नहीं थे क्योंकि सब लोग ट्रकों को छोड़ कर अपने घरों को जा चुके थे जहां से आने जाने का साधन नहीं हैं।

जो ट्रक सामान लेकर सम्बन्धित कारखानों तक पहुंच भी गये हैं वहां उन ट्रकों को खाली करने वाली लेबर पहले ही पलायन कर चुकी थी। ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था का पहिया पूरी तरह जाम होकर रह गया। इसी को कहते हैं घर के चूहे मारने के लिये घर को ही आग लगा देना।

 

खट्टर के दान करने के आदेश

मनोहर लाल खट्टर, मुख्यमंत्री हरियाणा, ने सभी किसानों से कहा है कि वे अपनी आय का एक से पांच प्रतिशत कोरोना रिलीफ फंड में दान करे। इससे पहले ये सरकार पुलिसवालों  की तनखाह में से बाकायदा तीन दिन के पैसे दान के नाम पर काटने का आदेश भी जारी कर चुकी है जिसे भारी विरोध के चलते नाम दिखावे को वापिस ले लिया गया था।

इस तरह हरियाणा सरकार  देश की ऐसी पहली सरकार बन गयी है जिसने दान के भी रेट फिक्स कर दिये हैं और ये भी तय है कि सरकार जबरदस्ती ये वसूली सब किसानों से करेगी चाहे वो एक दो एकड़ पर गुजारा करने वाला कंगला किसान हो या 20 एकड़ का धनी किसान। कुछ किसान यह भी कहते सुन गये कि हम अपनी शुद्ध आय का एक क्या पांच प्रतिशत भी देने को तैयार है पर पहले सरकार हिसाब तो करे कि हमारी शुद्ध आय कितनी है, सब खर्चे निकाल के-जैसे कि दुकानदार या फैक्ट्री मालिक निकालता है। अगर शुद्ध आय घाटे में आती है तो सरकार उसकी भरपाई करे।

उधर एक सरकारी दलाल यूनियन भारतीय किसान यूनियन के नेता चढऩी ने कहा कि किसान प्रति क्विंटल एक किलो गेहूं सरकार को दान करें। ज्यादातर किसान उसकी ठुकाई करने के लिये उसे ढूंढते फिर रहे हैं। बता दें कि न सिर्फ ओला बृष्टि आदि प्रकृति की मार से किसान की कुछ फसल खराब हुई है बल्कि मज़दूर न मिलने और कटाई के लिये मशीनें (हारवेस्टर) पंजाब से न आ पाने के कारण भी किसानों को पहले ही काफी नुक्सान झेलना और मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

पोखरियाल का इन्डिया और भारत

केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री पोखरियाल ने कहा है कि आईआईटी से पास होकर निकलने वाले युवाओं के लिये नौकरी के लिये वो एक विशेष अभियान चलायेंगे। बता दें कि देश के प्रतिष्ठित माने जाने वाले इन्जिनियरिंग संस्थानों-आईआईटी से निकलने वाले छात्रों को विदेशों की बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां करोड़ों रुपये सालाना की नौकरियों पर अपने यहां ले जाती है। लेकिन इस बार कोरोना महामारी के कारण सारा व्यापार ठप्प होने की वजह से इनमें से बहुत से छात्रों को इन कंपनियों ने नौकरी देने से मना कर दिया है। इसलिये इनकी मदद को पोखरियाल जी आगे आये हैं।

लेकिन पढाई और रोजगार के मंत्रालय के जिम्मेदार पोखरियाल जी ने ये नहीं बताया कि देश में ही आईटीआई, पालिटेक्निक, कॉलेजों आदि से निकलने वाले लाखों लोगों को नौकरी देने की उनकी क्या योजना है? ये लोग तो यहां नौकरी करके हमारे देश के विकास में योगदान करते हैं। लेकिन लगता है पोखरियाल जी को सिर्फ करोडों की नौकरी पाने वाले और विदेशियों की सेवा करने वालों की ही चिन्ता है बाकि के छात्र युवा तो यहीं कहीं चपरासी, चौकीदार लग ही जायेंगे। उन ‘कंगले-कुंजड़ों’ की क्या चिन्ता। उन्हें सभ्रांत इन्डियन की चिन्ता है। गरीब भारत की नहीं।

ट्रम्प की गुंडागर्दी

इस बीच विश्व के परिदृश्य पर दो नये गुंडागर्दी के मामले सामने आये हैं। पहले मामले में चीन से फ्रांस को ‘फेस मास्क’ ले जा रहे एक जहाज को अमरीका ने थाइलैण्ड में रोककर अगवा कर लिया और उसे जबरदस्ती अपने यहां ले गया। फ्रांस ने इसे समुद्री डकैती की संज्ञा दी है। दूसरी घटना में ट्रम्प ने भारत को धमकाया कि यदि उसने कोरोना से लडऩे में सहायक दवाई ‘हाइड्रोक्सीक्लोक्विन’ उसे सप्लाई नही कि तो वो बदले की कार्यवाही करेगा। एक तीसरी घटना में ट्रम्प ने सभी एच-1 बी वीजा घारकों को 60 दिन के अंदर नौकरी ढूंढने को कहा है वरना उनको उनके देश वापस भेज दिया जायेगा। ये सपष्ट है कि कोरोना वायरस के कारण आई भयंकर मंदी में उनको वहां कोई रोजगार नहीं मिलेगा सो इन 600 00 भारतीयों का वापिस आना भी तय है।

बता दें कि ट्रम्प की धमकी के आगे लीद करते हुये भारत ने अमरीका को, सारे व्यापार प्रतिबन्ध हटाकर, वह दवा निर्यात कर दी है। भारत के प्रधानमंत्री जी अपना सीना 56 इन्च होने का दावा करते रहे हैं। इसे मानवीय आधार पर मदद बताया है। 60000 भारतीयों को वापिस भगाने के ट्रम्प के कारनामे पर अभी भारत सरकार खामोश है। लेकिन भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रम्प को अपना अच्छा मित्र बताया है।

मज़दूरों ओर गरीबों से छीने अमीरों ने अस्पताल

भोपाल में कोरोना से मरने वाला पहला व्यक्ति एक भोपाल गैस त्रासदी का पीडि़त था। उसके बेटे गौरव खटीक ने बताया कि कोरोना के लक्षण दिखने पर उसे  बीएमएचआरसी अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उसे कोरोना से ग्रस्त पाया गया। तीन अप्रैल को उसकी अस्पताल में मौत हो गई। बता दें कि सिर्फ भोपाल गैस त्रासदी पीडि़तों के लिये ही विशेष रूप से बने इस अस्पताल को कोरोना के ईलाज के लिये कब्जा लिया गया है। इस कारण गैस पीडि़तों का इलाज वहां अब नहीं हो रहा है।

फरीदाबाद में भी मज़दूरों के पैसे से बने और उनके पैसे से ही चलने वाले तीन नम्बर के ईएसआईसी अस्पताल को सरकार ने कब्जा कर कोरोना मरीज़ों के लिये आरक्षित कर दिया। इसी तरह भोपाल के गैस पीडि़तों के पैसे से चलने वाले विशेष अस्पताल बीएमएचआरसी को भी कोरोना के लिये कब्जा लिया गया। कोरोना के अमीर बीमारों को तो हवाई जहाजों में भरकर फ्री में भारत लाया गया और यहां गरीबों के अस्पताल कब्जा कर, उन्हीं के पैसे से अमीरों का इलाज हो रहा है। फिर भी सारे गरीब और मज़दूर कभी ताली पीट कर और कभी दीया जलाकर मोदी जी की वाहवाही कर रहे हैं।

अंतिम मिसरा

प्रश्र : लाकडाउन में खाली समय कैसे पास करते हो।

वकील : रामायण और महाभारत देखकर।

प्रश्र : तो उनसे क्या शिक्षा मिली।

वकील : यही कि महाभारत जमीन का मुकदमा है और रामायण अपरहण का।

view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles