राष्ट्रीय औद्योगिक अनुसंधान परिषद से सम्बन्धित एक संस्था ‘नीरी’ ने अपने एक प्रोजेक्ट में गंगा के पानी की जांच की थी और पाया था कि गंगा के पानी में या वहां की मिट्टी में विषाणु या जीवाणु मुक्त होने के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं।

राष्ट्रीय औद्योगिक अनुसंधान परिषद से सम्बन्धित एक संस्था ‘नीरी’ ने अपने एक प्रोजेक्ट में गंगा के पानी की जांच की थी और पाया था कि गंगा के पानी में या वहां की मिट्टी में विषाणु या जीवाणु मुक्त होने के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं।
May 11 07:32 2020

न्यूयार्क मैट्रो और ट्रम्प की हेकड़ी

पिछले 115 साल में कभी न बंद होने वाली न्यूयार्क की भूमिगत रेल  अब बंद होने जा रही है। एक खबर के अनुसार भूमिगत रेल सुबह एक बजे से पांच बजे तक बंद रहेगी ताकि ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों को विषाणु मुक्त किया जा सके। इस चार घण्टों में रोज सभी ट्रेनों और स्टेशनों को ‘डिसइन्फेक्ट’ किया जायेगा। रोज लगभग पचास लाख यात्री ढोने वाली भूमिगत मेट्रो रेल अपनी शुरूआत से अब तब के 115 साल के इतिहास में कभी बंद नहीं हुई थी। यह वहां पर कोरोना महामारी के फैलाव की गंभीरता को दिखाता है।

लेकिन दूसरी ओर बड़े पूंजीपतियों को नुक्सान से बचाने के लिये ट्रम्प ने लॉकडाउन को खोलना जारी रखा। वे एक फैक्टरी में बिना मास्क के जाकर आये। ये मानते हुये भी  कि इस महामारी से दूसरे विश्वयुद्ध व 9/11 के हमले से भी ज्यादा नुक्सान होगा और देश में एक लाख से ऊपर लोग मर सकते हैं उन्होंने कहा कि हमें काम-काज शुरू करना होगा क्योंकि लोग तो वैसे भी मरते ही हैं। मतलब पूंजीपतियों के मुखिया को उनके मुना$फे से ही मतलब है जनता चाहे जीये या मरे।

रेलवे यूनियन बनाम सोनिया

रेलवे की एक यूनियन ऑल इन्डिया रेलवेमेन्स फेडरेशन ने कहा है कि सोनिया गांधी कोरोना की महामारी के समय तुच्छ राजनीति न करें। बता दें कि रेलवे ने कोरोना के लॉकडाउन की वजह से दूसरे प्रदेशों में फंसे मज़दूरों को घर ले जाने के लिये विशेष रेलगाडिय़ां -श्रमिक स्पेशल-चलाई थी। इनमें मज़दूरों से अनाप-शनाप किराया वसूला जा रहा था। जब अखबारों में यह खबर प्रकाशित होने पर भी सरकार ने मज़दूरों का किराया मा$फ नहीं किया तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बयान दिया कि मज़दूरों का पूरा किराया उनकी पार्टी वहन करेगी। इससे सरकार की बड़ी किरकिरी हुई और किराया मा$फ करने के बारे में स$फाई दी गयी। बताया गया कि 85 प्रतिशत किराया रेलवे वहन करेगी और 15 प्रतिशत राज्य सरकार। इससे पहले रेलवे मज़दूरों से स्लीपर क्लास का किराया और 20 रुपये रिजर्वेशन शुल्क, 30 रुपये सुपर फास्ट ट्रेन का शुल्क और 20 रुपये एक खाने का वसूल रही थी जो कि बहुत ज्यादा था। फेडरेशन ने अपने बयान में यह भी कहा था कि स्टेशनों पर भीड़ न हो इसलिये मज़दूरों से किराया लिया जा रहा है।

अगर बुहान से अमीरों और उनके बच्चों को हवाई जहाजों से भरकर मु$फ्त लाया जा सकता है तो मज़दूर भी निश्चित रूप से अपने घर जाने के लिये एक सस्ती सी मुफ्त रेल यात्रा के हकदार थे और हैं। अगर कोटा से अमीरों के बच्चों को बिना भीड़ किये मुफ्त लाया जा सकता है तो गरीब मज़दूरों को क्यों नहीं? अगर यह तुच्छ राजनीति है तो यह देश की हर पार्टी को करनी चाहिये। ऐसा बताने वाली यूनियन ने अपने आप को सरकार की चापलूस सिद्ध करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

गंगा के पानी के विशेष औषधीय गुण

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने पत्र लिखकर आईसीएमआर से मांग की हे कि गंगा के ऊपरी इलाकों में उसके पानी के ऊपर शोध किया जाये क्योंकि यह पानी विषाणु यानी वायरस से मुक्त होता है। हालांकि देश की राष्ट्रीय औद्योगिक अनुसंधान परिषद से सम्बन्धित एक संस्था ‘नीरी’ ने अपने एक प्रोजेक्ट में गंगा के पानी की जांच की थी और पाया था कि गंगा के पानी में या वहां की मिट्टी में विषाणु या जीवाणु मुक्त होने के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं।

एक बार शोध  से यह तय हाने के बाद भी एक सरकारी संस्था द्वारा दुबारा किसी दूसरी संस्था को गंगा पानी की जांच के लिये कहना ये सिद्ध करता है कि इस संस्था की मंशा सच्चाई जानने या फिर वैज्ञानिक जांच की नहीं है बल्कि गंगा के पानी के चमत्कारिक होने के मिथक पर विज्ञान का ठप्पा लगवाने की है। ऐसी संस्था वैज्ञानिक ढंग से किसी नदी को साफ करने और पुनर्जीवित करने की दिशा में क्या काम करेगी यह समझा जा  सकता है।

आखिरी मिसरा

लडख़ड़ा रहे शराबी से- भाई साहब जरा सम्भल कर चलना।

शराबी-हम देश की अर्थव्यवस्था चला रहे हैं और तुम हमें अब चलना सिखाओगे?

 

 

 

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Mazdoor Morcha
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