माडर्न डीपीएस के प्रिंसिपल यू.एस वर्मा ने दी परिजनों को दी धमकी…

माडर्न डीपीएस के प्रिंसिपल यू.एस  वर्मा ने दी परिजनों को दी धमकी…
October 25 13:36 2020

यू.एस. वर्मा : मॉर्डन डीपीएस फरीदाबाद  का प्रिंसिपल है या शहर का डॉन

मजदूर मोर्चा ब्यूरो

फरीदाबाद: मॉर्डन डीपीएस के प्रिंसिपल और डायरेक्टर यू.एस. वर्मा नए विवादों में घिर गए हैं। इस बार उन पर बच्चों के माता-पिता को पूरी फीस न देने पर धमकी देने का आरोप लगा है। उनकी धमकी का आडियो-वीडियो सोशल मीडिया पर घूम रहा है लेकिन शिक्षा विभाग से लेकर जिला प्रशासन मूक दर्शक बना हुआ है। सभी अधिकारी उस आडियो-वीडियो को सुन और देख चुके हैं लेकिन किसी भी स्तर पर अभी तक वर्मा से उस पर सफाई नहीं मांगी गई है।

आडियो-वीडियो आया सामने

हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद मॉर्डन डीपीएस सहित शहर के तमाम स्कूल एमवीएन, सेंट कोलम्बस, संस्कृति स्कूल, जीडी गोयनका स्कूल, विद्या मंदिर, एपीजे, डीपीएस मथुरा रोड फरीदाबाद, अरावली इंटरनैशनल, डीएवी पब्लिक स्कूल की सभी ब्रांच और अन्य स्कूल अभिभावकों से आनलाइन पढ़ाई और लॉकडाउन के बावजूद पूरी फीस के अतिरिक्त वसूल रहे हैं। कुछ स्कूलों ने ट्रांसपोर्ट फीस भी वसूली है। लेकिन अभिभावकों को फीस के लिए धमकाने में सिर्फ यूएस वर्मा का नाम सामने आया है। वर्मा ने हाल ही में पैरंट्स एसोसिएशन के लोगों से बात करते हुए एक बच्चे के पिता को सीधे धमकी दी और कहा कि उसे (सजा) मिलेगी। वर्मा की उस नौ मिनट की बातचीत को किसी सदस्य ने रेकॉर्ड कर लिया। उसके बाद उस बातचीत की आडियो पूरे फरीदाबाद में अभिभावकों के मोबाइल पर पहुंच गई। फिर उस आडियो की वीडियो बनाकर वर्मा की फोटो के साथ यूट्यूब पर अपलोड कर दिया।

इस वीडियो को एडवर्ड जैक्सन नामक सोशल मीडिया यूजर ने 18 अक्टूबर को यूट्यूब पर डाला है। इस वीडियो में अभिभावक को धमकी देने के अलावा यूएस वर्मा कहते हुए सुनाई दे रहे है कि वो पैरंट्स एसोसिएशन को कुछ नहीं समझता है। वो जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) को भी कुछ नहीं समझता है।

खास बात ये है कि वर्मा की धमकी वाला आडियो-वीडियो सभी दैनिक अखबारों और पत्रकारों को मिला। लेकिन सभी उस आडियो-वीडियो को पी गए। कुछ कथित राष्ट्रीय अखबारों ने मॉर्डन डीपीएस का पूरे पेज का विज्ञापन छापकर वर्मा को सुरक्षित करने की कोशिश की। अभिभावक लगभग असहाय की हालत में इन हालात को देख रहे हैं लेकिन गोदी मीडिया के प्रति उनका प्यार खत्म नहीं हो रहा है।

प्रशासन पर असर नहीं

फरीदाबाद की जनता में मॉर्डन डीपीएस के प्रिंसिपल वर्मा की खूब थू-थू हो रही है लेकिन जिला प्रशासन पर इसका कोई असर नहीं हो रहा है। आल इंडिया पैरंट्स एसोसिएशन के महासचिव कैलाश शर्मा ने इस आडियो के संबंध में प्रशासन और हरियाणा सरकार से कार्रवाई की मांग की है। पिछले दिनों वर्मा के खिलाफ स्कूल गेट पर प्रदर्शन भी हो चुके हैं। बता दें कि मॉर्डन डीपीएस में ओल्ड फरीदाबाद के भी कुछ सेठों का पैसा लगा हुआ है। लेकिन नीचे से ऊपर उठे इन सेठों को उस स्कूल में पढऩे वाले मिडिल क्लास परिवारों की कोई फिक्र नहीं है।

मजदूर मोर्चा स्कूलों की इस खुली गुंडागर्दी के खिलाफ लगातार लिख रहा है। फरीदाबाद के तमाम स्कूल अप्रैल से लेकर अभी तक सभी बच्चों से ट्रांसपोर्ट फीस मांग रहे हैं। डीपीएस फरीदाबाद ने कुछ अभिभावकों से इस फीस की वसूली भी कर ली है। जिन बच्चों के अभिभावकों ने ट्रांसपोर्ट फीस मांगे जाने पर ऐतराज किया, उनके बच्चों के नाम स्कूल से काटे जाने की धमकी दी गई। इससे पहले अभिभावकों ने कई बार डीपीएस के प्रिंसिपल को ईमेल भेजा, वाट्सऐप पर संदेश भेजा लेकिन स्कूल की ओर से कभी किसी बात पर जवाब नहीं दिया गया।

आरोप है कि डीएवी पब्लिक स्कूल ने बच्चों के घऱों पर अपने कर्मचारियों को भेजकर ट्रांसपोर्ट फीस मंगवाई। इस संबंध में डीएवी में पढऩे वाले एक बच्चे के पिता ने सीधे हरियाणा के सीएम, पीएम और शिक्षा मंत्रालय को लिखा। उन्होंने लिखा – जब बैंक इस संकट में लोगों के घर ईएमआई मांगने नहीं जा सकते हैं फिर डीएवी पब्लिक स्कूल-14, सैक्टर, फरीदाबाद  कैसे लोगों के घर फीस मांगने भेज रहा है। क्या सरकार और जिले के अधिकारियों की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है कि व स्कूल के खिलाफ कार्रवाई करें। एक अभिभावक ने तो आरोप लगाया कि डीएवी स्कूल वालों ने ट्रांसपोर्ट फीस वसूलने के लिए बाउंसर्स तक घऱों पर भेजे।

संघ-भाजपा का साथ, फिर भी नहीं आस

प्राइवेट स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों के अभिभावक फुटबॉल बनकर रह गए हैं। सरकार से लेकर अदालतों तक उनकी कहीं सुनवाई नहीं है। सीबीएसई तक ने अभिभावकों की शिकायतों से पल्ला झाड़ लिया है। डीएवी स्कूल के एक बच्चे के अभिभावक ने सीएम से पूछा है कि – स्कूल के पास जाते हैं तो वो कहते हैं कि हमारे स्कूलों को हरियाणा सरकार नहीं सीबीएसई देखता है। जब सीबीएसई के पास जाते हैं तो वह कहता है राज्य सरकार देखेगी… कोई बताएगा ये स्कूल माफिया किसके तहत आता है।

लेकिन मिडिल क्लास के ये सारे अभिभावक कभी खुद से सवाल नहीं करते कि उन्हें किसने फुटबॉल बनाया है। स्कूलों के खिलाफ मोर्चा संभालने वाले कई सारे अभिभावकों में आरएसएस की शाखा में जाने वाले स्वयंसेवक भी है। उनके ऊपर भाजपा सरकार की भक्ति का चश्मा चढ़ा हुआ है। वे सरकार से स्कूलों पर कोई सवाल पूछने की हिम्मत नहीं करते। उन्हें लगता है कि सारी गलती स्कूलों की है, जबकि प्राइवेट स्कूलों को भाजपा सरकार ने ही संरक्षण दे रखा है। इन स्कूलों ने गरीब बच्चों को पढ़ाने के नाम पर सरकार से सस्ती जमीन हासिल की थी। हरियाणा सरकार जब चाहे इनसे वो जमीन छीन सकती है। लेकिन न तो अभिभावक समझदारी दिखा रहे हैं और न ही वे लोग,जिनको उन्होंने वोट देकर पिछला चुनाव जिताया था।

सविता गर्ग का मामला

फरीदाबाद में रहने वाली सविता गर्ग को कुछ समझ में नहीं आया तो उन्होंने भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुब्रह्मण्यम स्वामी से मॉर्डन डीपीएस की शिकायत की है। सविता ने स्वामी को लिखा है कि उनका बेटा इस स्कूल में पढ़ता है। उन्होंने किसी तरह से अगस्त तक स्कूल की पूरी फीस भर दी है। लेकिन स्कूल ने अब 28 अक्टूबर 2020 तक आखिरी तारीख देते हुए कहा है कि पूरी फीस भरें नहीं तो छात्र का नाम स्कूल से काट दिया जाएगा। सविता गर्ग ने भाजपा के राज्यसभा सदस्य स्वामी को पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि अदालत के आदेश में सिर्फ पूरी ट्यूशन फीस लेने की बात कही गई है लेकिन स्कूल अन्य मदों की भी फीस मांग रहा है।

उन्होंने मॉर्डन डीपीएस पर कार्रवाई की मांग की है। आमतौर पर स्वामी इस तरह की शिकायतों का संज्ञान नहीं लेता। अलबत्ता कांग्रेस और गांधी परिवार के खिलाफ कोई शिकायत करे तो वह उसका संज्ञान फौरन लेते हैं। इस तरह सविता गर्ग की इस शिकायत का कोई नतीजा निकलता नहीं दिख रहा है।

 

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Mazdoor Morcha
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