मजदूर मोर्चा ब्यूरो
फरीदाबाद: 26 गांवों को फरीदाबाद नगर निगम (एमसीएफ) में शामिल करने के पीछे बहुत बड़ा खेल खेला जा रहा है, जिसका अंदाजा गांवों में बैठी जनता को नहीं है। यह खेल जहां राजनीतिक है, वहां कुछ लोगों के आर्थिक हितों से भी जुड़ा है। फरीदाबाद नगर निगम ने दो दिन पहले 26 गांवों को निगम में शामिल करने का खुलासा किया था। निगम कमिश्नर डॉ यश गर्ग को प्रोजेक्ट को निपटाने की इतनी जल्दी है कि उन्होंने एक बैठक भी बुला ली और तमाम विभागों से इन गांवों का ब्यौरा भी मांग लिया है। मजदूर मोर्चा ने इस मामले में जो पड़ताल की है, उससे चौंकाने वाले खुलासे सामने आये हैं। निगम कमिश्नर भी मौके का फायदा उठाकर एक तीर से कई शिकार कर रहे हैं। एक तरफ तो वह केंद्रीय मंत्री को खुश करने में जुटे हैं तो दूसरी तरफ पैसे के अभाव में तंगहाल एमसीएफ को मालामाल बनाने और गांवों की सरप्लस जमीन बेचकर और उसके फंड का मनचाहा इस्तेमाल करने का ख्वाब इस योजना के जरिए देखा गया है। खास बात ये है कि भाजपा के कई विधायकों और पूर्व विधायक भी 26 गांवों को एमसीएफ में शामिल करने की योजना से खुश नहीं हैं।
गूजरों के गांवों ही क्यों चुने
26 गांवों को एमसीएफ में शामिल करने के पीछे दरअसल कोई और है जबकि निगम कमिश्नर उसका मोहरा बन गया है। जिन 26 गांवों को एमसीएफ में शामिल करने के लिए चुना गया है, वे सभी गांव गूर्जर बहुल गांव हैं। ये गांव हैं – खेड़ी गूजरान, सरुरपुर, समयपुर, नंगला जोगियान, खंदावली, सीकरी, जाजरु, मलेरना, साहूपुरा, चंदावली, मुजैड़ी, मिर्जापुर, नीमका, बड़ौली, भतौला, खेड़ी खुर्द, खेड़ी कलां, बादशाहपुर, टिकावली, तिलपत, पियाला, फरीदपुर, ददसिया, करौली, रिवाजपुर तथा बिंदापुर। इसे सोची समझी योजना के साथ अंजाम दिया जा रहा है। जिन 26 गांवों को सूची में शामिल किया गया है, वहां पंचायत के तहत विकास कार्य होते हैं लेकिन एमसीएफ में आने के बाद इन गांवों में विकास नगर निगम करेगा और गांव वालों से टैक्स भी वसूलेगा। अभी गांवों के लोग नगर निगम के किसी भी टैक्स से बचे हुए हैं लेकिन शामिल होने के बाद स्थिति बदल जाएगी। फरीदाबाद नगर निगम में फतेहपुर चंदीला, मेवला महाराजपुर, एत्मादपुर, दौलताबाद, नवादा, झाड़सेंतली, ऊंचा गांव आदि वर्षों से शामिल हैं लेकिन इन गांवों का शहरीकरण नगर निगम आज तक नहीं कर सका। एमसीएफ के पास ऐसी एक भी मिसाल नहीं है जो वो किसी गांव को उदाहरण के लिए पेश कर सके, जिसका उसने हुलिया बदल दिया हो।
केंद्रीय मंत्री चाहते हैं बेटे की ताजपोशी
मजदूर मोर्चा की छानबीन से पता चला है कि केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर अपने बेटे देवेंद्र चौधरी की ताजपोशी फरीदाबाद के मेयर या विधायक के रूप में कराने को बेकरार हैं। इसलिए वह इस मामले में सीधा हस्तक्षेप कर रहे हैं। उनकी ही सलाह और निर्देश पर डॉ. यश गर्ग ने यह कदम उठाया है। फरीदाबाद में मेयर का सीधा चुनाव होने वाला है। इसकी घोषणा कभी भी हो सकती है। अगली बार इसे महिला सुरक्षित सीट भी नहीं रखा जाएगा। इस सिलसिले में कृष्णपाल और मुख्यमंत्री के बीच तालमेल पहले ही चुका है। कृष्णपाल के बेटे देवेंद्र को भाजपा मेयर प्रत्याशी बनाएगी। जिला यूनिट इसकी तैयारी में भी जुट गई है। गूजर बहुल इन 26 गांवों के शामिल होने से कृष्णपाल और उनके संभावित मेयर पद के प्रत्याशी बेटे को सीधा फायदा होगा। फरीदाबाद के सेक्टरों में हालात बदतर होने की वजह से शायद भाजपा प्रत्याशी को वोट नहीं मिलें, इस वजह से गूजर बहुल इलाकों को शामिल करने से राजनीतिक रूप से भाजपा के संभावित प्रत्याशी देवेंद्र की स्थिति मजबूत रहेगी। यानी एनआईटी के पंजाबी मतदाता अगर भाजपा से बगावत कर कांग्रेस के प्रत्याशी को वोट दे दें तो भी कृष्णपाल मात्र गूजर वोटरों के भरोसे मेयर चुनाव की नैया पार लगाना चाहते हैं।
क्रिशनपाल के बेटे देवेन्द्र चौधरी
जिन 26 गांवों को एमसीएफ में शामिल करने की योजना है, उनमें 18 गांव तिगांव विधानसभा क्षेत्र में आते हैं। इस तरह तिगांव विधानसभा क्षेत्र को नगर निगम आधारित बनाने के लिए भी यह खेल खेला जा रहा है। तिगांव विधानसभा पर केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल की बराबर नजर लगी हुई है। वह पिछले विधानसभा चुनाव में अपने बेटे देवेंद्र के लिए टिकट चाहते थे लेकिन विरोध होने पर टिकट काट दिया गया। इस समय तिगांव से भाजपा विधायक राजेश नागर हैं जिनसे कृष्णपाल और उनके बेटे के 36 का आंकड़ा है। कृष्णपाल ने अपने कार्यक्रमों में राजेश नागर का बहिष्कार कर रखा है। राजेश नागर भी अपने कार्यक्रमों में केंद्रीय मंत्री को नहीं बुलाते। पिता-पुत्र ने एक तरह से भाजपा विधायक को डंप करने की तैयारी कर रखी है।
26 गांवों के शामिल होने से कृष्णपाल को दोनों ही स्थितियों में फायदा होगा। बेटे को चाहे मेयर का टिकट मिले या विधानसभा का, दोनों ही हालात मंत्री के मुताबिक होंगे।
बिल्डर लॉबी की भी नजर
एमसीएफ जिन 26 गांवों को नगर निगम में शामिल करना चाहता है, उनमें फरीदाबाद के बहुत से बिल्डरों ने पहले ही जमीन खरीद रखी है। गांवों के शामिल होने से बिल्डरों को सीधा फायदा होगा, वे आसानी से उन जमीनों पर प्लॉटिंग कर सकेंगे, जो अभी कृषि योग्य जमीन की श्रेणी में आती हैं। इन गांवों में जो प्लॉट बिल्डर बेचेंगे, उसके लिए बिल्डर को कुछ भी विकास नहीं करना पड़ेगा। उसकी सारी जिम्मेदारी नगर निगम फरीदाबाद की होगी। फरीदाबाद में कई महीनों से बंद पड़ी प्लॉटों की रजिस्ट्री को भी इसीलिए खोला जा रहा है ताकि इन 26 गांवों में बिल्डर खरीदफरोख्त का धंधा चला सकें। यह सर्वविदित तथ्य है कि कृष्णपाल और उनके बेटे का फुल टाइम धंधा प्रॉपर्टी डीलिंग भी है। शहर के तमाम नामी बिल्डर बिना कृष्णपाल की हिस्सेदारी कोई योजना शुरू नहीं करते। नहरपार के तमाम गांवों में कृष्णपाल की छत्रछाया में पलने और चलने वाली बिल्डर लॉबी जमीनें पहले ही खरीद चुकी है।
विरोध के अलावा कोई रास्ता नहीं
जिन 26 गांवों को नगर निगम में शामिल करने की योजना है, उन गांवों के लोगों ने संघर्ष का ऐलान कर दिया है। उनका कहना है कि वे किसी भी कीमत पर अपने गांव एमसीएफ में नहीं जाने देंगे। टिकावली और खेड़ीकला गांव के बुजुर्गों ने कहा कि हमने अपने संघर्ष की बागडोर पूर्व विधायक ललित नागर को सौंप दी है। ललित नागर ने गांवों में पंचायतों का आयोजन शुरू कर दिया है और वे इसके विरोध में जनमत तैयार करने में जुट गए हैं। ललित नागर का कहना है कि अपने गांवों को बचाने के लिए हमारे पास आंदोलन के अलावा कोई रास्ता नहीं है। नागर ने आरोप लगाया कि नगर निगम पैसे से कंगाल है, इसलिए उसकी नजर अब गांवों की जमीन और उसके फंड पर है। इसी तरह एनआईटी के विधायक नीरज शर्मा ने भी इन गांवों को एमसीएफ में शामिल करने का विरोध किया है। उनका कहना है कि अगर एमसीएफ ने गांवों को शामिल करने की मुहिम नहीं रोकी तो वे सभी गांवों के लोगों के साथ आंदोलन शुरू करेंगे।
भाजपा में भी कोई खुश नहीं
कृष्णपाल की 26 गांवों को एमसीएफ में शामिल कराने की मुहिम का विरोध खुद भाजपा में भी शुरु हो गया है। भाजपा के सूत्रों ने बताया कि तिगांव के भाजपा विधायक राजेश नागर ने पार्टी के अंदर इसका विरोध शुरू कर दिया है। इस संबंध में उन्होंने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ओपी धनखड़ और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से बात कर इसे भाजपा के लिए आत्मघाती कदम बताया है। विधायक ने पार्टी नेतृत्व से कहा है कि इस मुहिम से गांवों में भाजपा की पकड़ कमजोर हो सकती है। इसी तरह भाजपा के तेज तर्रार नेता और पूर्व मंत्री विपुल गोयल ने मुख्यमंत्री से इस संबंध में अपनी नाखुशी जाहिर की है। गोयल के नजदीकी सूत्रों का कहना है कि इससे गांवों में पार्टी का विरोध हो सकता है। केंद्रीय मंत्री पार्टी को बर्बाद करने पर तुले हैं। शेष विधायक इस मुद्दे पर कृष्णपाल से नाराज तो हैं लेकिन पार्टी आलाकमान से शिकायत करने में कतरा रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि सीएम इस पर रोक लगा देंगे।
नगर निगम पर बढ़ेगा बोझ
26 गांवों के शामिल होने से नगर निगम अपना खजाना भर लेगा और इसके भ्रष्ट अफसर भी अपनी जेबें भर लेंगे लेकिन अंत में नगर निगम के लिए यह घाटे का सौदा साबित होगा। फरीदाबाद नगर निगम में अभी 38 गांव हैं जिनकी देखभाल-रखरखाव में उसे नाकों चने चबाने पड़ते हैं। निगम का कोई भी बजट शहरों के मुताबिक बनता है, इसलिए वर्षों पहले निगम सीमा में शामिल किए गए ज्यों के त्यों हैं, उनमें कोई विकास कार्य नहीं होता है। अगर ये 26 गांव शामिल किए गए तो कुल संख्या 64 की हो जाएगी। इसके बाद निगम के वॉर्ड भी 40 से बढक़र 50 करने होंगे।
एक अनुमान के मुताबिक सालाना दस करोड़ का खर्च बढ़ेगा। जो दस पार्षद चुने जाएंगे, उसके लिए निगम को हर बार ज्यादा बजट सरकार से मांगना पड़ेगा। एक तरह से ये गांव निगम पर बोझ साबित होने वाले हैं, क्योंकि दस वॉर्डों के इन्फ्रास्ट्रक्चर का पहले से कोई प्लान उसके पास नहीं है। इन गांवों को एमसीएफ में शामिल कराने वाले नेताजी तक नहीं जानते कि शामिल होने के बाद इन गांवों के विकास की रूपरेखा क्या होगी। केंद्रीय मंत्री खुद मेवला महाराजपुर गांव के रहने वाले हैं, जो निगम में शामिल है। उस गांव की जो दुर्दशा है, वो बेहतर जानते हैं। वहां आज भी तमाम जगहों पर खड़ंजा बिछा है, नगर निगम वहां सडक़ें तक नहीं बना पाया। ड्रेनेज सिस्टम का अतापता नहीं है। खुली नालियां वहां बीमारी फैलाती हैं। इसी तरह फतेहपुर चंदीला गांव और दौलताबाद का हाल भी देखा जा सकता है।