भाजपा के नये अध्यक्ष नड्डा भी , अमित शाह से कम नहीं

भाजपा के नये अध्यक्ष नड्डा भी , अमित शाह से कम नहीं
February 05 14:42 2020

मज़दूर मोर्चा ब्यूरो

हिमाचल प्रदेश से आने वाले जय प्रकाश नड्डा बेशक गुजराती अमित शाह की तरह न तो तड़ीपार रहे हैं और न ही बड़े पैमाने पर किसी नर संहार के आरोपी, फिर भी वे अमित शाह से दो हाथ आगे बढने के लिये कोई कसर छोडऩे वाले नहीं। इसमें कोई दो राय नहीं कि अमित शाह राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा का चढ़ाव लेकर आये और उतराव के वक्त छोड़ चले। ऐसे में पुन: पार्टी को चढ़ाव की ओर ले जा पाना कोई सरल काम नहीं।

इन सब के बावजूद नड्डा को अपनी उस फरेबी विद्या पर पूरा भरोसा है जो उन्होंने आरएसएस से ग्रहण की और जिसका अमित शाह व मोदी जैसों की प्रयोगशाला में बरसों तक पूरा अयास किया। हिन्दू वोटों का ध्रुवीकरण करने के तमाम हथकंडे उन्होंने शुरू कर दिये हैं क्योंकि वे भली-भांति समझते हैं कि उनकी पार्टी एवं सरकार देश की जनता को न तो कुछ दे पाई है और न ही दे पाने की स्थिति में है। अभी तक देश को देने के नाम पर उनकी सरकार ने नोटबंदी, बेरोजगारी, घटती जीडीपी, गिरता रुपया, बढती महंगाई के अलावा छद्म राष्ट्रवाद, धारा 370, एनआरसी, सीएए आदि का झुनझुना ही दिया है। इन हालात में भाजपा के पास ले-दे कर एक ही सहारा बचता है हिंदुत्व, जिसके नाम पर देश में साप्रदायिक ज़हर फैलाया जाय।

भ्रष्टाचार और लूट कमाई के मामले में भी नड्डा पीछे नहीं। इसका छोटा सा उदाहरण दिल्ली के एम्स में देखा जा सकता है। कांग्रेसी मनमोहन सिंह राज में नड्डा के चेहते  हिमाचल काडर के एक आईएएस व एक आईपीएस अधिकारी एम्स में तैनात थे। उनके द्वारा मचाई गयी भारी लूट के चलते मनमोहन सरकार ने हरियाणा काडर के आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को मुख्य विजिलेंस अधिकारी लगाया तो नड्डा को इतनी तकलीफ हुई कि तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आज़ाद से कहकर चतुर्वेदी को एम्स से हटवाने के आदेश जारी करा दिये थे। परन्तु तत्कालीन पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से कह कर वह आदेश रद्द करवा दिया जिसके चलते कांग्रेसी राज में चतुर्वेदी अपने पद पर बने रह गये।

इस दौरान चतुर्वेदी ने करोड़ों रुपये के घोटाले पकड़ निकाले। लेकिन तभी भाजपा की मोदी सरकार आ गयी| डॉक्टर हर्षवर्धन स्वास्थ्य मंत्री बने, परन्तु नड्डा को इससे तसल्ली नहीं हुई और हर्षवर्धन से छीन कर खुद स्वास्थ्य मंत्री की कुर्सी ले ली। बस फिर क्या था, पहला निशाना ही चतुर्वेदी पर साधा और अपने दोनों लुटेरे अफसरों को उनके शिकंजे से निकाला। इससे समझा जा सकता है कि नड्डा के नेतृत्व में भ्रष्टाचार को  भी फलने-फूलने का पूरा मौका अमित शाह की तर्ज पर मिलेगा।

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