फरीदाबाद (म.मो.) शहर के सबसे बड़े बिल्डर बीपीटीपी ने अपनी तमाम तरह की गुंडागर्दी के लिये पुलिस संरक्षण एवं आशीर्वाद बनाये रखने के लिये पुलिस के लिये अपने सेक्टर 76 के एक प्लॉट में बाकायदा थाने का निर्माण कर के देने के अलावा घूमने-फिरने के लिये एक बढिया सी कार भी दे रखी है। यद्यपि यह पुष्टि तो नहीं हो पाई लेकिन जानकार बताते हैं कि थाने में तैनात पुलिस कर्मियों के लिये राशन- पानी भी बिल्डर की ओर से ही सप्लाई किया जाता है।
पुलिस के साथ अपने इसी गठजोड़ के दम पर बीपीटपी के गुंडों ने सेक्टर-88 स्थित उस कॉलोनी की 50 फीट लम्बी दीवार दिनांक 23 जनवरी को जेसीबी से तोड़ डाली जिसमें 168 विला बबे हैं। ये तमाम विला बिल्डर पहले ही 70 लाख से डेढ करोड़ तक के भाव से बेच चुका है। बेचते वक्त कॉलोनी की चारदीवारी व इसके सात गेट बनाकर दिये गये थे जिसका कि खरीद दस्तावेज़ों में उल्लेख है। कायदे से बिल्डर को इस कॉलोनी में न तो कोई तोड़-फोड़ करने का अधिकार है और न ही किसी प्रकार का निर्माण करने का। बेची जा चुकी इस सारी कॉलोनी की मलकियत कानूनन अब उन लोगों की हो चुकी है जिन्होंने लाखों करोड़ों रुपये देकर ये विलायें खरीदी हैं।
बीते कुछ समय पूर्व बिल्डर ने इस कॉलोनी के साथ लगती ज़मीन भी किसानों से खरीद ली। इस ज़मीन में उसने प्लॉटिंग भी कर दी। लेकिन प्लॉटो तक पहुंचने का रास्ता कुछ लम्बा व अटपटा होने के चलते ग्राहक नहीं आ रहे थे और भाव नहीं उठ पा रहे थे। ग्राहकों को आकृष्ट करने के लिये बिल्डर ने विला कॉलोनी के बीच से रास्ता निकालने की योजना बना डाली और एक दिन जेसीबी मशीन व कुछ बाऊंसर लाकर दीवार का तकरीबन 50 फीट हिस्सा तोड़ डाला। विरोध करने आये विला वासियों को बाऊंसरों ने धमकाया; मार- पीट तक कि जब नौबत आ गयी तो विला वासी थाने पहुंचे और सैंकड़ों निवासियों द्वारा हस्ताक्षरित दरखास्त पुलिस को दी।
लेकिन पुलिस ने न तो कुछ करना था न किया बल्कि बिल्डर की ही भाषा बोल रही थी। पुलिस के अनुसार ‘क्या हो गया जो बिल्डर ने दीवार तोड़ दी, बनाई भी तो उसी ने थी? पुलिस यह समझने को तैयार नहीं थी कि बिल्डर तो कब बना कर सारी कॉलोनी बेच चुका है और उसका अब इस कॉलोनी व इसकी किसी दीवार से कोई ताल्लुक नहीं रह गया है। दीवार टूटने से निवासियों की हुई असुरक्षा व आवारा पशुओं के घुसने से होने वाली परेशानी से भी पुलिस ने पल्ला झाड़ लिया। पल्ला झाड़े भी क्यों नहीं आखिर पल भी तो रहे हैं बिल्डर के ही टुकड़ों पर। लेकिन पुलिस को यह कभी नहीं भूलना चाहिये कि उनका वेतन-भत्ते आदि सब जनता के खून- सीने की कमाई से ही आता है और कानून भी कोई चीज़ है। जनता जब अपना कानूनी हक लेने पर उतारू हो जायेगी तो पुलिस को पीछा छुड़ाना भारी पड़ सकता है।
कॉलोनी की वैलफेयर एसोसिएशन के प्रवक्ता ने अपने लिखिल बयान में बताया कि बिल्डर की उक्त बदमाशी के अलावा उसने इस कॉलोनी व इसमें बने मकानों के नक्शों का नगर निगम से विधिवत अनुमोदन तक नहीं कराया। इसका खामियाज़ा निवासियों को तब भुगतना पड़ा जब वे अपने मकानों में आवश्यक सुधार एवं निर्माण सम्बन्धित नक्शों का अनुमोदन कराने जि़ला योजनाकार कार्यालय पहुंचे। इससे भी गंभीर बात तो यह है कि यह बिल्डर इतना बड़ा निर्माण बिना किसी अनुमोदन के करता रहा और कोई सरकारी बाबू उसे पूछने तक नहीं आया और ज्यों ही उसने मकान बेच दिये त्यों ही भूखे भेडिय़ों की तरह निवासियों पर लपलपाने लगे। प्रवक्ता ने यह भी बताया कि कॉलोनी वासियों ने चंदा एकत्र करके 50000 रुपये की लागत से दोबारा दीवार बना दिया है। इसे लेकर बिल्डर के पालतू कर्नल आनंद व विनोद शर्मा अपने बाऊंसरों से परिणाम भुगतने की धमकियां दिलवा रहे हैं। उन्होंने इस बात पर भी हैरानी जताई कि नगर योजनाकार ने इतनी बड़ी कॉलोनी बिना नक्शा पास कराये बनाने कैसे दी? इतना ही नहीं अब बिल्डर की इच्छानुसार कॉलोनी के जोनिंग प्लान में संशोधन भी कर दिया। जाहिर है, अकेली पुलिस ही नहीं सारी सरकार बिकाऊ है।