मज़दूर मोर्चा ब्यूरो बीते नौ साल के दौरान केंद्र में मोदी व राज्य में खट्टर सरकार की नाकामी व तमाम जनविरोधी कार्रवाइयों के चलते भाजपाइयों को आगामी चुनावों में अपना सूपड़ा साफ़ होता नजऱ आ रहा है। ये लोग इस बात से परेशान से हैं कि वोट मांगें तो किस नाम पर मांगें? अब इतना समय तो रहा नहीं कि वे कोई काम करके दिखा सकें, वैसे यदि समय हो तो भी इनके बस का कुछ करना है नहीं, क्योंकि ये लोग लूट-मार के अलावा और कोई काम जानते भी नहीं। झूठे प्रचार द्वारा लोगों को बेवकूफ बनाने में ये लोग अपने आप को माहिर मानते हैं। इसीलिए हिंदू धर्म को खतरा बताकर जनता को मुसलमानों के विरुद्ध लड़ाने की तैयारी में जुटे हुए हैं। इसी तरह ये विभिन्न जातियों को भी आपस में लड़ाने की भी महारत रखते हैं जिसका खुला प्रदर्शन इन्होंने 2016 के जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान किया था।
हिंदुओं को मुसलमानों से भिड़ाने के लिए फरीदाबाद में बिट्टू बजरंगी जैसे कई गुंडे पाले गए थे तो मानेसर में मोनू जैसे अपराधियों को गोरक्षक का तमगा देकर पाला गया था। बीते करीब एक डेढ़ साल से ये लोग हर तरह से कोशिश कर रहे थे कि मुसलमान भडक़ कर कोई हिंसक वारदात करें। कभी उन्हें नमाज़ पढऩे से रोकना, कभी उन्हें गाय के नाम पर मार डालना, कभी उनका किसी न किसी बहाने बहिष्कार करना आदि, आदि।
लेकिन इस बार मुसलमान काफी सयाने साबित हुए उन्होंने बहुत ही सब्र और तहम्मुल से काम लिया और चुपचाप रह गए। उन्होंने कभी पलट कर जवाबी कार्रवाई करने का रास्ता नहीं पकड़ा। मुसलमानों के सयानेपन से संघी बड़े परेशान हो उठे थे, चुनाव का समय निकट आता जा रहा है और मुसलमान भडक़ नहीं रहे थे, इसलिए अब ये फ़ैसला किया गया कि सीधे इनके घरों यानी मेवात में जाकर इन्हें भडक़ाया जाए जिससे कि वह भी बदले की कार्रवाई करें। इसी सोची समझी साजि़श के तहत बिट्टू बजरंगी व मोनू जैसे संघ द्वारा पोषित अपराधियों ने 31 जुलाई को एक धार्मिक यात्रा की ओढऩी ओढ़ कर मेवातियों पर हल्ला बोल दिया।
अपराधियों की इस सेना द्वारा भिवानी,हिसार, फतेहाबाद, टोहाना, कैथल, करनाल, पानीपत, जींद, नरवाना आदि तक के उन नौजवानों को बहला-फुसला कर लाया गया था जिन्हें आरएसएस ने हिंदुत्व की ताज़ी-ताज़़ी चटनी चटाई थी। उन बेचारों को यह नहीं पता था कि उनके साथ वहां क्या होने वाला है, सैकड़ों की संख्या में विभिन्न प्रकार की गाडिय़ों में लद कर ये लोग मेवात की ओर कूच करने लगे, बिट्टू बजरंगी जैसे गुंडे इन नौसिखिए अंधभक्तों की हौसला अफज़ाई के लिए वीडियो वायरल कर रहे थे कि वे दामादों की तरह ससुराल जा रहे हैं जहां उनका फूल मालाओं से स्वागत होगा, भक्त बेचारे भी बाराती बनकर बड़े खुश थे। हिदायत के मुताबिक तमाम बाराती गाडिय़ों में हर तरह के असलहे आदि रखे गए थे।
पूर्व चेतावनी पाए मेवाती भी बारातियों का स्वागत करने को पूरी तरह से तैयार थे। ज्यों ही चढ़ाई करके आने वाले मोनू और बारात लेकर आने वाले बिट्टू की सेना मेवातियों की व्यूह रचना में फंस गए तब न मोनू का पता चला न बिट्टू का। भीड़ को बहका कर लाने वाले ये शातिर लोग तो चतुराई से नौ-दो ग्यारह हो गए। फंस गए बेचारे वे बाराती जो फूल माला पहनने को आए थे। खूब पिटे और चप्पल छोड़ छोड़ भागे, पजामे गीले हो गए, पुलिस पुलिस चिल्लाने लगे, क्योंकि उन्हें ये बताया गया था कि पुलिस उनका पूरा साथ देगी लेकिन मौके से पुलिस वाले नेताओं से पहले ही भाग खड़े हुए थे। इस तरह की झड़पें मेवात के करीब तीन-चार क्षेत्रों में हुईं, बंदूकें दोनों ओर से चलीं जिसमें दो होमगार्ड सहित पांच लोगों के मरने की खबर है, घायल होने वालों का तो कोई हिसाब नहीं। इस तरह के माहौल में अपराधियों का सक्रिय होना भी कोई नई बात नहीं है सो मेवात के सक्रिय अपराधियों ने भी इस मौके का लाभ उठाने का प्रयास किया। उन्होंने थाना साइबर में घुस कर खूब लूटपाट की। बारातियों द्वारा लाए गए वाहनों को भी अग्नि के सुपुर्द कर दिया गया। लूटपाट करने वालों ने भी मौके का पूरा लाभ उठाया।
अपनी साजिश में असफल सरकार ने मेवातियों को सबक सिखाने के लिए अपना दमन चक्र पूरी ताकत से चला दिया है। अनेकों छोटी-मोटी दुकानों के अलावा कुछ बड़ी दुकानों को धराशायी करने में खट्टर सरकार ने कोई संकोच नहीं किया, पुश्तैनी जमीनों पर बने मकानों को अतिक्रमण बता कर ढहा दिया गया, जबकि अतिक्रमण को ढहाने का भी प्रावधान देश के कानून में मौजूद है। जितने भी मुकदमे मेवात में दर्ज किए गए हैं उनमें दूर-दूर से हमला करने आए हमलावरों को मुल्जि़म न बना कर उन स्थानीय मेवातियों को मुलजि़म बनाया गया है जिन्होंने आत्मरक्षा में उन गुंडों का मुकाबला किया था। इन्हीं पर वाहन फूकने का आरोप भी लगाया गया है लेकिन यह जानने का प्रयास कोई नहीं कर रहा कि जले हुए वाहन दूर-दूर से वहां करने क्या आए थे?
स्थानीय स्तर पर धार्मिक पूजा अर्चना तो यहां के मंदिरों में पहले भी होती रही है, उसी पूजा के उद्देश्य से अनेकों असली श्रद्धालु महिलाएं व बच्चे भी वहां आए हुए थे लेकिन उन्हें इस बात का ज्ञान नहीं था कि इस बार संघी गुंडे क्या खेल खेलेंगे। इस खेल में बेशक कुछ महिलाओं व बच्चों को असुविधा ज़रूर हुई लेकिन किसी भी मेवाती ने उन महिलाओं को छुआ तक नहीं। इस बात की पुष्टि नलहड़ स्थित उस मंदिर के पुजारी करते हैं जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु शरण लिए हुए थे। दरअसल, संघी गुंंडे इन श्रद्धालुओं को ही ढाल बना कर अपनी लड़ाई लड़ रहे थे। इन श्रद्धालुओं में गुडग़ांव की एक महिला मजिस्ट्रेट भी फंसी हुई थी जिन्हें मेवातियों ने सुरक्षित निकाल कर घर पहुंचवा दिया था। मौके पर पहुंची पुलिस ने भी तमाम श्रद्धालुओं को सुरक्षित बाहर निकाल दिया था, लेकिन संघी गुंडे इतने डरे हुए थे कि वे बाहर निकलने से भी घबरा रहे थे। वे प्राण रक्षा के लिए वायु मार्ग से निकलना चाहते थे और बार बार पुलिस और फौज बुलाने की मांग करते रहे।
भरोसेमंद सूत्र बताते हैं कि मेवात के पुलिस अधीक्षक बिजारणिया गांव दर गांव जाकर लोगों से कह रहे हैं कि वे आरोपी लडक़ों को पेश कर दें तो अच्छा रहेगा वरना हम तो पकड़ ही लेंगे। जवाब में लोग उन्हें कहते हैं कि आप नाम बताइए किस किस को पेश करना है हम कर देंगे? अब एसपी साहब के पास कोई नाम हो तो बताएं, नाम तो कोई है नहीं। पुलिस का जाना माना तरीका यही है कि किसी को पकड़ लो और फिर उसका नाम लिख दो।