फरीदाबाद के स्कूल लूटने में जुटे, घरों में बाउंसर भेजे, शिक्षा मंत्री के पास अभिभावकों से मिलने का वक्त नहीं

फरीदाबाद के स्कूल लूटने में जुटे, घरों में बाउंसर भेजे, शिक्षा मंत्री के पास अभिभावकों से मिलने का वक्त नहीं
August 22 13:21 2020

 

शहर के नामी स्कूलों के आगे रोजाना प्रदर्शन हो रहे, प्रशासन और सरकार मूक दर्शक बने

मजदूर मोर्चा ब्यूरो

फरीदाबाद: मनमानी स्कूलफीस वसूली का मामला तूल पकड़ गया है। प्राइवेट स्कूलों की गुंडागर्दी पर सरकार का कोई नुस्खा काम नहीं कर रहा है। भाजपा को वोट देने वाला शहरी मिडिल क्लास खुद को ठगा महसूस कर रहा है। डीपीएस मथुरा रोड फरीदाबाद, मॉडर्न डीपीएस, डीएवी स्कूल सेक्टर 14, एमवीएन, सेंट कोलम्बस, संस्कृति स्कूल, जीडी गोयनका स्कूल, विद्यामंदिर समेत तमाम नामी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ अभिभावक आये दिन प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन हरियाणा सरकार  इन स्कूलों द्वारा खिलाई गई रिश्वत की अफीम के नशे में सो रही है।

शिक्षा मंत्री कंवरपाल 15 अगस्त वाले दिन फरीदाबद में सरकारी स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि थे। कुछ अभिभावकों ने शिक्षा मंत्री को फरीदाबाद के प्राइवेट स्कूलों की शिकायत देनी चाही, लेकिन कोरोना फैलने के नाम पर उन्हें न तो मंत्री से मिलने दिया गया, न ज्ञापन देने दिया गया। मंत्री ने अपनी तरफ से भी अभिभावकों से मिलने की कोशिश नहीं की, मिलते भी क्यों, क्योंकि वह पहले ही शिक्षा व्यापारियों से मिल चुके थे।

स्कूल खुले नहीं, ट्रांसपोर्ट फीस चाहिए

फरीदाबाद के तमाम स्कूल अप्रैल से लेकर अभी तक सभी बच्चों से ट्रांसपोर्ट फीस मांग रहे हैं। डीपीएस फरीदाबाद ने बाकायदा कुछ अभिभावकों से इस फीस की वसूली भी कर ली है। जिन बच्चों के अभिभावकों ने ट्रांसपोर्ट फीस मांगे जाने पर ऐतराज किया, उनके बच्चों के नाम स्कूल से काटे जाने की धमकी दी गई। 19 अगस्त 2020 को तमाम पैरंट्स बारिश में भीगते हुए जब डीपीएस स्कूल में प्रिसिंपल से मिलने पहुंचे तो उन्हें मना कर दिया गया।

अभिभावकों से कहा गया कि स्कूल बंद है। हालांकि प्रिसिंपल अंदर मौजूद थे। इससे पहले अभिभावकों ने कई बार डीपीएस के प्रिंसिपल को ईमेल भेजा, वाट्सऐप पर संदेश भेजा लेकिन स्कूल की ओर से कभी किसी बात पर जवाब नहीं दिया गया।

आरोप है कि डीएवी पब्लिक स्कूल ने बच्चों के घऱों पर अपने कर्मचारियों को भेजकर ट्रांसपोर्ट फीस मंगवाई। इस संबंध में डीएवी में पढऩे वाले एक बच्चे के पिता ने सीधे हरियाणा के सीएम, पीएम और शिक्षा मंत्रालय को लिखा। उन्होंने लिखा कि जब बैंक इस संकट में लोगों के घर ईएमआई मांगने नहीं जा सकते हैं फिर डीपीएस फरीदाबाद  सेक्टर 14 कैसे लोगों के घर फीस मांगने आदमी भेज रहा है। क्या सरकार और जिले के अधिकारियों की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है कि वो स्कूल के खिलाफ कार्रवाई करें। एक अभिभावक ने तो आरोप लगाया कि डीएवी स्कूल वालों ने ट्रांसपोर्ट फीस वसूलने के लिए बाउंसर्स तक पैरंट्स के घरों पर भेजे।

एक अभिभावक राजू भगत ने मुख्यमंत्री हरियाणा के पास शिकायत भेजी है कि उनकी नौकरी चली गई। वो डीएवी स्कूल सेक्टर 37 फरीदाबाद में पढऩे वाले अपने दो बच्चों की फीस नहीं भर सके तो स्कूल ने उनके बच्चों को आनलाइन क्लास में हिस्सा लेने से मना कर दिया।

स्कूल तरह-तरह से पैसा कमाने की तरकीब निकाल रहे हैं। डीएवी स्कूल सेक्टर 14 में पढऩे वाले छात्रों के कुछ अभिभावकों ने आरोप लगाया कि डीएवी स्कूल मल्होत्रा बुक डिपो फरीदाबाद से स्कूल के नाम से प्रिंट वाले बैग खरीदने के लिए मजबूर कर रहा है…नोट बुक व अन्य प्रकार की स्टेशनरी पर भी स्कूल का नाम प्रिंट रहता है।

हरियाणा सरकार की बेशर्मी

प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ मोर्चा जमाने वाले अभिभावकों को सिर्फ नीचा दिखाने के लिए इन स्कूलों ने 15 अगस्त वाले दिन राज्य के शिक्षा मंत्री कंवरपाल को डीएवी पब्लिक स्कूल सेक्टर 14 में ले जाने का कार्यक्रम बनाया। दरअसल, इसके पीछे प्राइवेट स्कूल वाले सरकारी अधिकारियों को भी संदेश देना चाहते हैं कि सरकार उनके साथ है। डीएवी स्कूल में पढऩे वाले बच्चों के अभिभावकों को जब पता चला कि मंत्री का प्रोग्राम स्कूल में रखा गया है तो उन्होंने फौरन भाजपा, सीएम हरियाणा, आरएसएस पदाधिकारियों, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर, गृह मंत्री अमित शाह और पीएम को संदेश भेजकर विरोध जताया  कि मंत्री कंवरपाल को डीएवी स्कूल के प्रोग्राम में जाने से रोका जाए।

खास बात यह है कि अभिभावक जब स्कूलों में प्रिंसिपल से मिलने जाते हैं तो उन्हें स्कूल बंद का बहाना बताकर मना कर दिया जाता है लेकिन किसी मंत्री को बुलाना हो तो स्कूल सारे नियम तोडऩे की पहल कर देते हैं।

हरियाणा का शिक्षा मंत्री कंवरपाल वही शख्स है जिसने कहा था कि जब स्कूल नहीं खुल रहे हैं तो बच्चों से पूरी फीस नहीं ली जानी चाहिए और ट्रांसपोर्ट फीस लेने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। लेकिन अपने बयान के चंद दिनों बाद यह मंत्री मुकर गया। डीएवी में पढऩे वाले बच्चों के अभिभावकों ने कहा है कि कंवरपाल का स्कूल में जाना फरीदाबाद के लाखों मतदाताओं का अपमान है।

 

टीचरों को वेतन नहीं, सोनू सूद से मांग रहे मदद

एक तरफ तो फरीदाबाद के स्कूल अभिभावकों से ट्रांसपोर्ट समेत पूरी फीस मांग रहे हैं और वसूल रहे हैं, दूसरी तरफ कई स्कूलों ने अप्रैल से अभी तक अपने शिक्षक को उसकी सैलरी तक नहीं दी है। फरीदाबाद की एक निराश महिला टीचर ने तो बॉलिवुड अभिनेता सोनू सूद से सोशल मीडिया के जरिए मदद मांगी है। महिला टीचर ने सोनू सूद को लिखा है कि मेरे पति को कुल वेतन का 70 फीसदी पैसा ही मिला। शेष पैसा काट लिया, स्कूल ने अप्रैल से अब तक मुझे सैलरी नहीं दी, कृपया आप मेरी मदद करें। बता दें कि सोनू सूद ने फरीदाबाद से पलायन करने वाले प्रवासी मजदूरों की मदद की थी। उसके बाद से फरीदाबाद का हर कोई सोनू सूद से मदद मांग रहा है। रवि सक्सेना ने सोनू सूद को लिखा है कि 24 साल का अनुभव है। मैं एक बेरोजगार एकाउंटटेंट हूं। स्कूल फीस जमा नहीं कराने पर स्कूल से बच्चे का नाम कट गया है। आप मेरी फरीदाबाद में कहीं नौकरी लगवा दो। एक अन्य अभिभावक ने सोनू सूद से अनुरोध किया है कि वह फरीदाबाद के किसी स्कूल में उनके दोनों बच्चों का ईडब्ल्यूएस कैटिगरी में एडमिशन करा दे।

अरावली इंटरनैशनल स्कूल सेक्टर 43 फरीदाबाद ने टीचरों को सैलरी नहीं दी लेकिन अभिभावकों से पूरे साल की फीस मांग रहा है। एक बच्चे के अभिभावक ने सीधे प्रधानमंत्री को लिखा है – माननीय नरेन्द्र मोदी जी, आपदा को अवसर में बदलने के आपके संदेश को स्कूल ने मौकापरस्ती और संवेदनहीनता में बदल दिया। अरावली इंटरनैशनल स्कूल सेक्टर 43 ट्यूशन फीस के साथ-साथ पूरे साल की अन्य मदों की फीस भी मांग रहा है। इसमें तमाम सेवाएं ऐसी हैं, जिनका बच्चे इस्तेमाल नहीं करेंगे। ऐसे में सारे मदों की फीस लेना गलत है।

अभिभावक बन गए हैं फुटबॉल

प्राइवेट स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों के अभिभावक फुटबॉल बनकर रह गए हैं। सरकार से लेकर अदालतों तक उनकी कहीं सुनवाई नहीं है। सीबीएसई तक ने अभिभावकों की शिकायतों से पल्ला झाड़ लिया है। डीएवी स्कूल के एक बच्चे के अभिभावक ने सीएम से पूछा है कि – स्कूल के पास जाते हैं तो वे कहते हैं कि हमारे स्कूलों को हरियाणा सरकार नहीं सीबीएसई देखता है। जब सीबीएसई के पास जाते हैं तो वह कहता है राज्य सरकार देखगी… कोई बताएगा ये स्कूल माफिया किसके तहत आता है। डीएवी पब्लिक स्कूल सेक्टर 14 प्राइवेट पब्लिशर की किताब जबरन खरीदवा रहा है, उसे कौन रोकेगा। अभिभावक ने सीबीएसई से सवाल किया है कि क्या आपकी कोई जिम्मेदारी नहीं है। आप किसी भी असामाजिक संस्था को स्कूल चलाने की मान्यता दे देते हैं क्या ? अगर नहीं तो आप बताइए आपके पास स्कूल की क्या शिकायत लेकर अभिभावक जाए।

लेकिन मिडिल क्लास के ये सारे अभिभावक कभी खुद से सवाल नहीं करते कि उन्हें किसने फुटबॉल बनाया है। स्कूलों के खिलाफ मोर्चा संभालने वाले कई सारे अभिभावकों में आरएसएस की शाखा में जाने वाले स्वयंसेवक भी है। उनके ऊपर भाजपा सरकार की भक्ति का चश्मा चढ़ा हुआ है। वे सरकार से स्कूलों पर कोई सवाल पूछने की हिम्मत नहीं करते। उन्हें लगता है कि सारी गलती स्कूलों की है, जबकि प्राइवेट स्कूलों को भाजपा सरकार ने ही संरक्षण दे रखा है। इन स्कूलों ने गरीब बच्चों को पढ़ाने के नाम पर सरकार से सस्ती जमीन हासिल की थी। हरियाणा सरकार जब चाहे इनसे वो जमीन छीन सकती है। लेकिन न तो अभिभावक समझदारी दिखा रहे  हैं और न ही वे लोग, जिनको उन्होंने वोट देकर पिछला चुनाव जिताया था।

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