पांडा की तरह सोती सरकार देश के गरीबों कोमार कर ही जागेगी…

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May 11 06:51 2020

पीएम केयर्स फंड…इस हाथ ले और उस हाथ दे

देश की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो चुकी है, कंपनियां अपने कर्मचारियों का हक मारकर पैसे लुटा रही हैं

मजदूर मोर्चा ब्यूरो

नई दिल्ली: देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आए न आए लेकिन पीएम केयर्स फंड की व्यवस्था पटरी पर आ चुकी है। लोग एक हाथ से डोनेशन दे रहे हैं तो दूसरे हाथ पर कृपा बरस रही है। हाल ही में इस फंड में दिए गए पैसों की आड़ में जो कारनामे सामने आए हैं, वे दहलाने वाले हैं। लेकिन देश के लोग तमाशबीन बने हुए हैं।

क्योर फिट का मामला

क्योर फिट कंपनी ने मात्र एक नोटिस देकर एक हज़ार कर्मचारियों को निकाल बाहर किया। कंपनी ने कहा कि उनके पास कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए पैसे नहीं हैं। उसने इन कर्मचारियों के लिए दो करोड़ का एक फंड बनाकर कहा कि इस दो करोड़ में से कर्मचारियों को पैसे मिलेंगे। लेकिन अभी चंद रोज पहले इस कंपनी ने पीएम केयर्स फ़ंड में पाँच करोड़ रूपये का दान दिया।

इस कंपनी के मालिक मुकेश बंसल और अंकित नागौरी हैं। मुकेश बंसल ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट के संस्थापक और अंकित दूसरी ई-कॉमर्स कंपनी मिंत्रा के संस्थापक रहे हैं। दोनों ने वहाँ अपनी हिस्सेदारी बेचकर यह नई कंपनी क्योर फिट खड़ी की। इन नव धनकुबेरों ने पीएम केयर्स फ़ंड में पाँच करोड़ का दान इसीलिए दिया था ताकि सरकारी एजेंसियाँ एक हज़ार लोगों के निकाले जाने पर कोई कार्रवाई न करें। कई और कंपनियों ने भी यही किया है और कुछ करने वाली हैं।

एयरटेल ने भी गुल खिलाया

तमाम मोबाइल आपरेटर कंपनियों के पैसे टैक्स समेत विभिन्न मदों में सरकार के पास फंसे हुए हैं। इसमें एयरटेल के 923 करोड़ रुपये हैं। एयरटेल कोर्ट में गया। सरकार ने इस पर ऐतराज नहीं किया। वहां सरकार एयरटेल को 923 करोड़ रुपये देने पर राजी हो गई। जब यह घटना घट रही थी, उसी समय एयरटेल का मालिक सुनील भारती मित्तल पीए केयर्स फंड में सौ करोड़ रुपये की निवेश यानी डोनेशन देने की घोषणा कर रहा था। इन दोनों घटनाओं की आपस में संबंध नहीं होते हुए भी बहुत कुछ संबंध है। इसके अलावा एयरटेल ने अपने हर कर्मचारी से पीएम केयर्स फंड में दान देने का निर्देश दिया है। हालांकि इसी कंपनी ने कोरोना की वजह से अपने कर्मचारियों के वेतन में कटौती भी कर दी है।

रिलायंस के 500 करोड़ का खेल

मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और मोदी सरकार के रिश्ते जगजाहिर हैं। रिलायंस ने 500 करोड़ का डोनेशन पीएम केयर्स फंड में देने की घोषणा की। इस पर हैरानी किसी को नहीं हुई।

हैरानी तब हुई जब रिलायंस ने कोरोना की वजह से अपने कर्मचारियों के वेतन में दस फीसदी कटौती की घोषणा कर दी। इसके अलावा कर्मचारियों को नौकरी में उनके प्रदर्शन (परफॉर्मेंस) के आधार पर मिलने वाले बोनस पर रोक लगा दी गई। रिलायंस की घोषणा से उसके हाइड्रोकॉर्बन बिजनेस में काम करने वाले कर्मचारी बड़ी तादाद में प्रभावित हुए हैं।

रिलायंस देश का बादशाह है। विदेश से आने वाली कोई भी कंपनी भारत में तभी अपना धंधा आसानी से कर पाती है, जब उसकी रिलायंस या अदानी ग्रुप से कोई पार्टनरशिप हो जाए। लंबे अर्से से सरकार की उपेक्षा का सामना कर रही फेसबुक कंपनी और सिल्वर लेक कंपनी ने अभी चंद दिनों पहले रिलायंस जियो में कई अरब रुपये की पार्टनरशिप की है। इस पार्टनरशिप से रिलायंस पर पैसों की बारिश हुई है।

फेयरफैक्स कंपनी ने पीएम केयर्स फंड में दस लाख डॉलर का योगदान दिया है। फेयरफैक्स फाइनेंशियल होल्डिंग लिमिटेड कनाडा की कंपनी है और इसके मालिक भारतीय मूल के कनाडाई नागरिक प्रेम वत्स हैं। प्रेम वत्स के भारत में कई बड़े कारोबार हैं। एक तरफ तो प्रेम भाई की कंपनी भारत में दान देकर दानी बनी हुई है, दूसरी तरफ कनाडा में फाइनेंशियल मार्केट की एजेंसियों ने फेयरफैक्स को चेतावनी दी है कि कोरोना महामारी में उसे 1.4 बिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है। सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या है कि भारी घाटे का सामना कर रही कंपनियां पीएम केयर्स फंड में पैसा जमकर लुटा रही हैं।

हुंडई ने दिए सात करोड़

कार बनाने वाली कोरियन कंपनी हुंडई ने पीए केयर्स फंड में सात करोड़ रुपये दिए हैं। भारत में पूरी आटो इंडस्ट्री डूब गई है। सारी कार कंपनियां सरकार से राहत पैकेज मांग रही हैं। सरकार के मुताबिक अप्रैल में एक भी कार नहीं बिकी। यहां तक कि मार्केट लीडर मारुति भी कोई कार अप्रैल में नहीं बेच सकी लेकिन हुंडई ने दान की पहल कर दी। समझा जाता है कि हुंडई भारत में अपनी भागीदारी बढ़ा रही है और भविष्य में आटो मार्केट में होने वाले उतारचढ़ाव के मद्देनजर उसने यह कदम उठाया है। जैसा कि प्रचार है कि चीन से कई अमेरिकी कंपनियां भारत आना चाहती हैं। वो सारी कंपनियां किसी न किसी कंपनी से करार करके ही भारत में घुसेंगी। हुंडई इसे अवसर के रूप में देख रहा है।

टिकटॉक की क्या मजबूरी

युवक-युवतियों के बीच भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रहे टिकटॉक ने पीएम केयर्स फंड में तीस करोड़ रुपये दिए हैं। यह कंपनी चीन की है। भारत में इसने तेजी से पैर पसारे हैं। शुरुआत में इसे लाइसेंस नहीं दिया गया। इसके वीडियो कंटेंट पर हिंसा फैलाने जैसे आरोप लगे। कुछ लोग अदालत में भी गए थे। लेकिन वक्त बदला और मोदी सरकार की कृपा से टिकटॉक को काम करने की छूट मिल गई। पीएम केयर्स फंड के लिए इसने अपने ग्राहकों से भी पैसे लिए। टिकटॉक ने भारत की 11 भाषाओं में एक ऐप के जरिए – खेलोगे आप, जीतेगा इंडिया – नाम से एक क्विज प्रतियोगिता  आयोजित  की। नाम दिया गया कि कोरोना को लेकर जागरूकता फैलाई जाएगी। इस प्रतियोगिता के रजिस्ट्रेशन के लिए कंपनी कुछ पैसे लेती थी, वो पैसे सीधे पीएम केयर्स फंड में जाते थे।

इनका हाल भी जानिए

एचडीएफसी बैंक ने इस फंड में 150 करोड़ का दान दिया है। यह बैंक कई तरह की जांच का सामना कर रहा है। हाल ही में चीन के एक बैंक ने एचडीएफसी बैंक में हिस्सेदारी खरीदी है। इस पर काफी शोर मचा था। इसके बाद ही मोदी सरकार ने नियम बनाया कि चीन की कोई भी कंपनी सीधे किसी भारतीय कंपनी में शेयर नहीं खरीद सकती, उसे मंजूरी लेनी होगी। बहरहाल, एचडीएफसी ने अपना काम तो निकाल ही लिया। पेटीएम के मालिक विजय शेखर शर्मा ने पांच सौ करोड़ पीएम केयर्स फंड में दिए हैं। यह वही कंपनी है जिसने अपनी शुरुआत में पहले विज्ञापन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो इस्तेमाल किया था। जिस पर काफी शोर मचा था। पेटीएम के खिलाफ भी कई तरह की जांच चल रही है। इस पर ग्राहकों का डेटा बेचने का आरोप है। इस कंपनी के लेनदेन का सॉफ्टवेयर चीन की कंपनी के हिसाब से चलता है। इस तरह इसके भारतीय ग्राहक की हर जानकारी चीन की कंपनी के पास रहती है। पेटीएम के बाद हीरो साइकिल्स, फोन पे, अडानी ग्रुप, इन्फोसिस, बजाज वगैरह ने सौ-सौ करोड़ रुपये इस फंड में दान दिए हैं।

ऐसे भी हैं, जिन्होंने मना किया

पीएम केयर्स फंड में तमाम सरकारी एजेंसियों के कर्मचारियों और अफसरों से भी दान देने को कहा गया। लेकिन एम्स के डॉक्टरों ने शुरुआत में ही एक भी पैसा देने से मना कर दिया। इसके बाद ऐसी ही घोषणाएं राम मनोहर लोहिया अस्पताल और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने भी एक नया पैसा पीएम केयर्स फंड में देने से मना कर दिया। डॉक्टरों के एक संगठन के मुताबिक देश के करीब छह हजार सरकारी डॉक्टरों ने पीएम केयर्स फंड में एक भी पैसा देने से मना कर दिया।

रेवेन्यू डिपार्टमेंट, इनकमटैक्स विभाग, सीआईएसएफ में तमाम कर्मचारियों और अफसरों से पीएम केयर्स फंड में दान देने के लिए आए दिन पत्र जारी हो रहे हैं।

इतने पैसे… मजदूर सडक़ पर

पीएम केयर्स फंड के नियमों के मुताबिक ये पैसे गरीबों, मजदूरों पर खर्च किए जाने चाहिए लेकिन अभी तक एक पाई भी इस फंड से निकालकर अपने घरों को पलायन कर रहे मजदूरों पर खर्च नहीं किया गया है। मजदूर सडक़ों पर भूख से दम तोड़ रहे हैं या फिर ट्रेन की पटरियों पर सोते समय जान दे रहे है। लेकिन सरकार इस पैसे में से भी ट्रांसपोर्ट का इंतजाम नहीं कर रही है। कुछ ट्रेनें चलाई गईं तो उसका बेतहाशा किराया गरीब मजदूरों से वसूला गया। जबकि यही मोदी सरकार विदेशों में फंसे लोगों को लाने के लिए इससे पहले हवाई जहाज भेज चुकी थी। हालांकि अब जो हवाई जहाज भेजे जा रहे हैं, उसका पैसा लिया जा रहा है लेकिन कई सौ लोग हवाई जहाज से मुफ्त में लाये गए। उसी दौरान दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर बसों के लिए गए मजदूरों पर पुलिस डंडे बरसाती देखी गई।

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