बल्लभगढ़ (म.मो.) पिछले महीने परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा ने बल्लभगढ़ बस स्टैंड पर छापे मारकर अवैध वाहनों की पकड़-धकड़ की थी। वैसे यह ‘ड्रामा मंत्री जी’ कुछ माह पहले भी इसी जगह गये थे। इसके बावजूद बीते बुधवार को यहां हरियाणा सरकार की रोडवेज बसों के स्टाफ व प्राइवेट बसों के ड्राइवर कंडक्टरों के बीच अच्छी-खासी मारपीट हो गयी।
स्थानीय पुलिस ने दोनों पक्षों को हिरासत में लेकर भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 107-150 के तहत कार्यवाही करते हुए दोनों पक्षों को भविष्य में कोई झगड़ा न करने के लिए पाबंद करके अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। लेकिन झगड़े के मूल कारण का निराकरण पुलिस नहीं कर रही।
दरअसल, परिवहन विभाग द्वारा पैदा किये गये इस झगड़े का निराकरण पुलिस कर भी नहीं सकती। इस वजह से इस मुद्दे पर इससे भी भयंकर झगड़े भविष्य में भी होने तय है। मामले की जानकारी लेने पर पाया गया कि गुडग़ांव के ‘प्रधान जी‘ नामक किसी ट्रांसपोर्टर की कुछ गाडिय़ां गुडग़ांव-बल्लभगढ़ रूट पर चलती है। इनके परमिट आरटीए गुडग़ांव ने जारी किये हैं। परमिट तो वैध है लेकिन इनका रूट वाया पाली है लेकिन इन बसों को चलाया जा रहा है सीधे एनआईटी होते हुए बल्लभगढ़ तक। पहले इनको केवल एनआईटी तक ही आने की ही इजाजत थी लेकिन अभी कुछ दिन पूर्व इन्हें बल्लभगढ़ बस अड्डे के भीतर घुसने व 15 मिनट ठहर कर सवारी उठाने का परमिट आरटीए गुडग़ांव ने दे दिया।
इस बढ़े हुए परमिट का दुरूपयोग करते हुए ‘प्रधान जी’ के ड्राइवर कंडक्टर 15 मिनट पूरे होने के बाद भी अपनी बसों को अड्डे से नहीं निकालते, बल्कि रोडवेज की बसों में बैठी सवारियों को खींच-खींच कर अपनी बसों में ले जाते हैं। उनकी इसी गुंडागर्दी का विरोध जब रोडवेज कर्मियों ने किया तो ‘प्रधान जी’ के स्टाफ ने उन्हें बुरी तरह से पीट दिया।
परिवहन मंत्री होने के नाते मूलचंद को इन्सपेक्टरों की तरह छापेमारी करने की बजाय अपने विभाग में बराबर तालमेल स्थापित करके तमाम प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाना चाहिए तथा नियम-कायदों का सख्ती से पालन कराते हुए अपने स्टाफ को गुंडागर्दी से बचाना चाहिए।