नीलम पुल के नीचे ‘पराली’ तो नहीं जली लेकिन धुएं ने फरीदाबाद को किया बेहाल
फरीदाबाद (म.मो.) नीलम पुल के नीचे से निकली आग पराली जलाने का धुंआ नहीं था, ये रासायनिक कबाड़ा जला और पूरा शहर बदहाल हो गया। नगर निगम मुख्याल से मात्र 300 मीटर के फासले पर नीलम पुल के नीचे इस तरह का कबाड़ा नियमित रूप से जलाया जाता है। इस कबाड़े को जला कर कबाड़ी लोग विभिन्न तरह की धातुओं को अलग-अलग करते हैं। गुरूवार को लगी आग का मामला इस लिये चर्चा में आ गया कि इससे नीलम पुल के तीन-चार पिलर क्षतिग्रस्त हो गये तथा आस-पास खड़ी तीन-चार कारें भी जल गई।
22 तारीख की शाम चार बजे लगी इस भयंकर आग को काबू करने में रात भर अनेकों दमकल गाडिय़ां लगी रही फिर भी अगले दिन दोपहर तक आग धधकती रही। नगर निगम की नाक के नीचे नियमित रूप से चल रहे कबाड़े के इस कारोबार को लेकर निगम अधिकारियों के बारे में क्या कहा जाए? उन्हें कर्मठ एवं ईमानदार कहा जाय अथवा हरामखोर व रिश्वतखोर कहा जाए? इन सब के ऊपर अधिकारियों की डोर हिलाने वाले खट्टर साहब का तो कहना ही क्या, ये तो छ. साल पहले ही हरियाणा को भ्रष्टाचार मुक्त घोषित करके निश्चिंत हो चुके हैं।
इस अग्निकांड के चलते नीलम पुल को बंद करना पड़ा। इसको लेकर न सिर्फ अफरा-तफरी का माहौल बना बल्कि उससे पूरा मथुरा रोड जाम हो गया। कई किलोमीटर लम्बी वाहनों की कतारें लग गई। ट्रैफिक पुलिस कहीं नज़र नहीं आई। आग की वजह से नीलम पुल तो बन्द ही था लेकिन एनआईटी इलाके में जाने के लिये बाटा फ्लाईओवर को भी कम से कम तीन घण्टे बंद करना पड़ा। हालांकि एसएचओ ट्रैफिक का कहना है कि बाटा फ्लाईओवर को एक मिनट के लिये भी बंद नहीं किया गया। जबकि प्रत्यक्षदर्शियों ने मज़दूर मोर्चा को बताया कि शाम सात बजे से लेकर रात नौ बजे तक हाईवे पर खड़े पुलिसकर्मियों ने किसी भी वाहन को बाटा फ्लाईओवर से एनआईटी की तरफ नहीं जाने दिया। लगता है कि यह बड़े अधिकारियों और मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों में कम्युनिकेशन का अभाव है।
एनआईटी की तरफ आने के लिये लोगों ने ओल्ड फरीदाबाद के अंडरपास से रास्ता चुना लेकिन वहां भी जबरदस्त जाम था। इस रोड पर और आगे रेलवे रोड पर हर समय खड़ी रहने वाली रेहडिय़ों ने इस सडक़ की दुर्गति पहले से ही बना रखी है। किसी भी इमरजेंसी में शहर का यह परम्परागत रास्ता सबसे अच्छा है लेकिन उसकी कद्र जिला प्रशासन और एमसीएफ ने कभी नहीं की। नीलम पुल शुक्रवार को भी बंद रहा इस वजह से ट्रैफिक का संचालन सही नहीं हो सका। लोगों को कई किलोमीटर का चक्कर काटकर अपनी मंजिल पर पहुंचना पड़ रहा है। यदि बुद्धिमता पूर्वक इसका प्रबन्धन किया गया होता तो इस अनचाहे जाम से बचा जा सकता था।