निकिता केस : चार्जशाीट से ‘लव जिहाद’ गायब परिवार मांग रहा 1 करोड़ रुपये और सरकारी नौकरी !!

निकिता केस : चार्जशाीट से  ‘लव जिहाद’ गायब  परिवार मांग रहा 1 करोड़ रुपये और सरकारी नौकरी !!
November 20 06:46 2020

 

 

मजदूर मोर्चा ब्यूरो

फरीदाबाद: निकिता तोमर के परिवार ने हरियाणा सरकार से आर्थिक मदद के तौर पर 1 करोड़ रुपये मांगे हैं। इसके अलावा उसके भाई के लिए सरकारी नौकरी और कॉलेज का नाम निकिता के नाम पर रखे जाने की भी मांग की गई है। बल्लभगढ़ के अग्रवाल कॉलेज के पास छात्रा निकिता तोमर की हत्या के मामले में अदालत में दाखिल चार्जशीट में कहीं भी लव जिहाद का जिक्र तक नहीं है। हालांकि हरियाणा सरकार ने इस मामले की जांच लव जिहाद के नजरिए से करने का बयान दिया था। लेकिन फरीदाबाद पुलिस को चिराग लेकर तलाशने पर भी लव जिहाद का कोई सबूत नहीं मिला।

21 साल की निकिता तोमर की हत्या 26 अक्टूबर को उस समय हुई जब वह परीक्षा देकर बाहर निकली। आरोप है कि तौसीफ नामक युवक ने उससे कार में बैठने को कहा। उसके मना करने पर तौसीफ ने बिल्कुल सामने से निकिता को गोली मारी और अपने दोस्त रेहान के साथ कार में बैठकर फरार हो गया। बल्लभगढ़ पुलिस ने मात्र पांच घंटे के अंदर तौसीफ और रेहान को नूंह से गिरफ्तार कर लिया। घटना की सूचना जब फैली और आरोपी के नाम मुसलमान निकले तो दक्षिणपंथी संगठन फौरन इसमें लव जिहाद लेकर कूद पड़े। यहां यह बता देना उचित होगा कि इस घटना की वीडियो रेकॉर्डिंग सोशल मीडिया पर तुरंत ही आ गई थी। निकिता के घर वालों और पुलिस को शुरू से ही मालूम था कि ये किस तरह का मामला है, लेकिन हिन्दूवादी संगठनों के दबाव पर निकिता के माता-पिता ने भी इसे लव जिहाद कह दिया। हालांकि जब निकिता और तौसीफ की 2018 की कहानियां सार्वजनिक हुईं और निकिता घर छोडक़र तौसीफ के साथ चली गई तो निकिता के घर वालों ने इसे लव जिहाद कहना बंद कर दिया। लेकिन हिन्दूवादी संगठन नहीं माने। बाद में जब कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा निकिता के घर दुख जताने पहुंचीं तो हिन्दूवादी संगठन के मु_ीभर लोगों ने शैलजा के साथ बदसलूकी की। जिसकी एफआईआर पुलिस ने दर्ज की है। इसमें उस पार्षद का नाम भी शामिल है, जो तमाम युवकों को हिन्दू मुसलमान का नारा देकर उकसा रहा था। अगले दिन राष्ट्रीय राजमार्ग जाम कराने में भी उसका नाम सामने आया था। निकिता तोमर मर्डर केस में 1 नवंबर को सबसे पहले गृहमंत्री अनिल विज और उसी दिन शाम को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बयान दिया कि इस मामले में लव जिहाद की बात सामने आई है इसलिए इसकी लव जिहाद के नजरिए से भी जांच कराई जाएगी। एक एसआईटी गठित कर दी गई है।

700 पेज की चार्जशीट

बल्लभगढ़ पुलिस ने 6 नवम्बर को इस मामले में 700 पेजों की चार्जशीट फाइल की। इसमें 60 गवाहों के जरिए बताया गया है कि किस तरह निकिता तोमर और तौसीफ के पुराने संबंध थे। वह 2018 में अपनी मर्जी से तौसीफ के साथ अपना घर छोडक़र चली गई थी। लेकिन निकिता तोमर के माता-पिता की शिकायत पर पुलिस ने तौसीफ के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज किया था। उस समय भी निकिता तोमर के माता-पिता ने तौसीफ पर .यह आरोप नहीं लगाया था कि तौसीफ धर्म परिवर्तन कराना चाहता है। बहरहाल, बाद में तौसीफ का निकिता के घर वालों से समझौता हो गया। पुलिस ने मैजिस्ट्रेट के सामने निकिता का बयान कराया। जिसमें उसने कहा था कि वह अपनी मर्जी से तौसीफ के साथ गई थी। इसके बाद यह मामला खत्म हो गया लेकिन निकिता और तौसीफ मिलते रहे। पुलिस को ऐसे गवाह भी मिले, जिन्होंने बताया कि निकिता तौसीफ के साथ कार में घूमती थी। परिवार ने कभी इस पर ऐतराज नहीं किया और न ही कॉलेज या पुलिस में शिकायत की।

इस चार्जशीट में यह बात साफ तौर पर दर्ज है कि तौसीफ ने निकिता की हत्या पूरी योजनाबद्ध तरीके से की। उसने पहले अजरूद्दीन नामक शख्स से कथित तौर पर हथियार खरीदा, उसके बाद अपने दोस्त रेहान के साथ बल्लभगढ़ आया। हत्या के बाद वह कार में फरार हुआ और कार रेहान चला रहा था। ये सारे तथ्य वायरल वीडियो से भी पुष्ट होते हैं।

पुलिस ने इसीलिए किसी भी जगह अप्रत्यक्ष रूप से इस मामले को धर्म से नहीं जोड़ा है। अगर पुलिस इसे धर्म या कथित लव जिहाद से जोड़ती तो उसे सबूत पेश करने पड़ते। निकिता के परिवार के पास ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे यह साबित किया जा सके कि निकिता पर धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डाला जा रहा था। कहीं कोई लिखित दस्तावेज, वीडियो या आडियो रेकॉर्डिंग नहीं है। इतना ही नहीं 2018 में जब निकिता खुद से तौसीफ के साथ चली गई थी तो उसने लौटकर यह नहीं बताया कि उस पर इस दौरान धर्म परिवर्तन के लिए तौसीफ ने कोई दबाव डाला है। अगर निकिता ने उस समय यह बयान दिया होता तो तौसीफ पर बहुत गंभीर धाराओं में केस दर्ज हो जाता और पुलिस को उसे गिरफ्तार करना पड़ता। इन्हीं वजहों से पुलिस इसमें लव जिहाद तलाश नहीं कर पाई।

कौन है अजरूद्दीन

पुलिस ने इस मामले में मेवात के पुन्हाना इलाके में पडऩे वाले गांव सिहरी सिंगड़ी से अजरुद्दीन नामक शख्स को गिरफ्तार किया है। उस पर आरोप है कि उसी ने तौसीफ को वह देसी कट्टा दिया था, जिससे उसने निकिता पर गोली चलाई थी।

पर, अजरूद्दीन दरअसल मजदूरी करके अपना पेट पालता है। उसका हथियार बेचने से कोई संबंध नहीं है। अजरुद्दीन को लेकर 5 नवम्बर को पुन्हाना में पंचायत हुई जिसमें मेवात के सभी गांवों के लोगों ने आरोप लगाया तौसीफ को बचाने के लिए बेकसूर अजरुद्दीन को गिरफ्तार किया गया है। अगर अजरूद्दीन हथियार बेच रहा होता तो उसे मजदूरी की जरूरत क्यों पड़ती। अजरुद्दीन के घर के हालात बयान कर रहे हैं कि उसका हथियार बेचने से कोई संबंध नहीं है।

एमएलए आफताब का इनकार

जिन दिन निकिता की हत्या हुई, उस दिन कांग्रेस विधायक आफताब अहमद बरोदा उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी का प्रचार कर रहे थे। उन्हें तब तक पता नहीं था कि तौसीफ का संबंध उनसे जोड़ दिया गया है। महत्वपूर्ण बात यह है कि भाजपा के किसी भी पदाधिकारी, केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गूर्जर या हरियाणा के मंत्री मूलचंद शर्मा ने इस मामले में आफताब अहमद का नाम नहीं लिया। लेकिन हिन्दूवादी संगठन ही आफताब पर तौसीफ को संरक्षण देने का आरोप लगाते रहे। आखिरकार आफताब ने निकिता तोमर की हत्या की कड़े शब्दों में निन्दा करते हुए कहा कि तौसीफ का उनसे कोई संबंध नहीं है। जिन लोगों ने निकिता की हत्या की है, उन आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। पुलिस सूत्रों ने बताया कि उनके पास या किसी भी आला अफसर के पास तौसीफ को बचाने के लिए किसी भी तरह का दबाव या फोन नहीं आया। पुलिस अफसरों का कहना है कि सजा देना अदालत का काम है। हम कानूनी प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं।

आखिर क्या चाहता है निकिता

का परिवार

निकिता तोमर का परिवार बल्लभगढ़ पुलिस और जिला प्रशासन की अब तक की कार्रवाई से बहुत संतुष्ट है। परिवार का कहना है कि उनकी ज्यादातर मांगे मान ली गई हैं। हमें पुलिस और जिला प्रशासन से पूरा सहयोग मिल रहा है। लेकिन हमारी कुछ और मांगे हैं जो हमने सरकार के सामने रखी हैं। निकिता के परिवार ने कहा कि जब केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गूर्जर हमारे घर आये थे तो हमने वो मांगें उनके सामने रखी थीं। ये तीन मांगें हैं – नए बन रहे कॉलेज का नाम निकिता तोमर के नाम पर रखा जाए, निकिता के भाई को सरकारी नौकरी दी जाए और परिवार की आर्थिक सहायता के लिए एक करोड़ रुपये दिये जाएं।

अब यहां सवाल यह उठ रहा है कि निकिता की मौत की कीमत क्या भाई की सरकारी नौकरी, एक करोड़ रुपये और कॉलेज का नाम रखने भर से मिल जाएगी। क्या वो हिन्दूवादी संगठन राज्य की भाजपा सरकार अब दबाव बनाने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग जाम करेंगे….जो निकिता की मौत को साम्प्रदायिक रंग देकर बल्लभगढ़ और फरीदाबाद के माहौल को खराब करना चाहते थे, दंगे कराना चाहते थे। निकिता के पिता ने साफ-साफ कहा है कि बल्लभगढ़ में हिंसा करने वाले बाहर से आये थे। इसका मतलब तो यही हुआ कि कुछ अराजक तत्वों को बाहर से बल्लभगढ़ लाकर दंगा कराने की कोशिश की गई थी।

मजदूर मोर्चा ने अपने पिछले अंक में बाहरी तत्वों को लाकर माहौल खराब कराने के बारे में लिखा था लेकिन पुलिस कमिश्नर ने अभी तक यह जवाब नहीं दिया कि भीड़ को भडक़ाने वाले कथित नेता के खिलाफ पुलिस ने क्या कार्रवाई की गई है। ‘अपना घर’ से मुस्लिमों को निकालने की धमकी देने वालों पर क्या एक्शन हुआ है।

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