फरीदाबाद नगर निगम पार्क खोलने का तुगलकी आदेश जारी
अजातशत्रु
कमिश्नर नगर निगम फरीदाबाद ने तीन जून को जारी अपने एक आदेश के द्वारा $फरीदाबाद के सभी पार्कों को कुछ शर्तों के साथ आम जनता के लिये खोल दिया। अपने इस आदेश में उन्होंने शर्त लगायी है कि हर व्यक्ति दूसरे से 6 फुट यानी दो गज की दूरी बनाये रखेगा, एक समय में पार्क में 50 से ज्यादा व्यक्ति उपस्थित नहीं होंगे, मास्क पहनना अनिवार्य होगा तथा पार्क में कोई थूकेगा नहीं। प्रथम दृश्टया ही स्पष्ट है कि ये सभी शर्ते ऊपर के आदेशों का मूर्खतापूर्ण शब्दश: अनुपालना है।
ज्यादातर पार्कों में घूमने के लिये जो रास्ता बना होता है वो छ: $फीट से कम ही चौड़ा होता है। ऐसे में उसमें घूमने वालां के लिये ये दूरी बनाये रखना होगा। दूसरी शर्त सबसे हास्यास्पद है कि पार्क में एक समय में 50 से ज्यादा व्यक्ति नहीं होंगे। इस शर्त का पालन कौन करवायेगा? कौन किसको बाहर निकालेगा या अंदर आने देगा। टाऊन पार्क सेक्टर 12 जिसमें अलग-अलग दिशा में प्रवेश द्वार से तो अधिक संख्या में लोग प्रवेश नहीं कर गये। मैं पार्क में जाऊं तो मुझे कैसे पता चलेगा कि मैं पार्क में प्रवेश करने वाला 49 वां व्यक्ति हूं कि 51 वां हूं। क्या छोटे-बड़े सभी पार्कों में पचास की सीमा रहेगी या इसका पार्क के साइज से कोई सम्बन्ध होगा यह भी नहीं बताया गया है। इसी तरह मास्क का है। डॉक्टरों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि व्यायाम करने वक्त, तेज चलते या तेज साईकिल चलाते वक्त मास्क लगाने से शरीर को जरूरी मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। इसलिये इससे फेफड़ों और ह्दय को नुक्सान हो सकता है और हो सकता है और इससे मौत भी हो सकती है। इसी तरह थूकने वाली शर्त का भी कोई औचित्य नहीं है ।
धूल मिट्टी में सने इलाकों में रहने वाले गरीबों को और अन्य को भी थूकने की जो आदत पड़ी है वह कैसे रूकेगी? क्या निगम कटोरा लेकर उसे इकठ्ठा करेगा? जड़ या कहीं एक तरफ थूकने से कोई समस्या नहीं आने वाली। सिर्फ ऊपर का हुक्म बजा लाने की आदत के कारण, लकीर के फकीर बनते हुये ये आदेश जारी किये गये हैं इसलिये सबसे जरूरी शर्त जो लगायी जानी चाहिए थी वो कमिश्नर साहब लगाना भूल गये। पार्कों में मौजूद ‘ओपन जिम’ के उपयोग पर अभी पूर्णत: पाबंदी होनी चाहिये थी क्योंकि वहां पर लगे उपकरणों को अलग-अलग व्यक्तियों द्वारा स्पर्श किया जाना है। जिससे कोरोना फैल सकता है। इसी तरह पार्क की रेलिंग आदि को छूना ‘वर्षा आश्रय’ आदि का प्रयोग भी फ़िलहाल रोक दिया जाना चाहिये था। लेकिन जहां लोगों के बचाव के लिये कुछ सोचने और करने की इच्छा की बजाय सिर्फ उपर के अफसरों की ताबेदारी की ही मंशा हो वहां ऐसा कौन करेगा।
इसलिये सिर्फ सशर्त आदेश जारी करके खानापूर्ति कर ली गयी है, उसके पालन की न वो उम्मीद करते हैं और न पालन करवाने की कोशिश ही की जायेगी।