देश में नकली शराब का सबसे बड़ा सप्लायर बना हरियाणा, कौन है मास्टरमाइंड?

देश में नकली शराब का सबसे बड़ा सप्लायर बना हरियाणा, कौन है मास्टरमाइंड?
November 20 07:44 2020

 

जांच के लिए अब तक दो एसआईटी बन चुकी, नतीजा अब तक जीरो

मजदूर मोर्चा ब्यूरो

फरीदाबाद: हरियाणा देश में जहरीली, नकली शराब और अवैध शराब का सबसे बड़ा हब बन गया है। अब तक दो एसआईटी शराब घोटाले और जहरीली शराब से हुई मौतों को लेकर राज्य सरकार बना चुकी है लेकिन इस अवैध धंधे पर लगाम नहीं लगा सकी है। राज्य के औद्योगिक शहरों सोनीपत, पानीपत, फरीदाबाद, गुडग़ांव, जगाधरी, यमुनानगर, रोहतक, भिवानी, जीन्द में सबसे ज्यादा अवैध शराब का धंधा फलफूल रहा है। बुधवार तक 53 लोगों की मौत हो चुकी थी। इसमें से 42 सोनीपत जिले में, 8 पानीपत जिले में और तीन फरीदाबाद जिले में मौतें हुई हैं। लेकिन हरियाणा ही नहीं देश भी इन मौतों पर मौन है। सोनीपत, पानीपत और फरीदाबाद में जहरीली शराब पीकर मरने वाले ज्यादातर गरीब मजदूर और निम्न आय वर्ग के लोग हैं। हरियाणा सरकार लव जिहाद जैसे फर्जी मुद्दों को लेकर ज्यादा चिन्तित है लेकिन अवैध शराब से हो रही इन मौतों पर उसकी कोई तवज्जो नहीं है। नकली और जहरीली शराब के धंधे की जांच के लिए अब तक दो एसआईटी बन चुकी है लेकिन हर बार मास्टरमाइंड बदल जाता है। राजनीतिक संरक्षण की तरफ पुलिस का ध्यान नहीं है।

कहां-कहां बन रही है शराब

हरियाणा के लगभग हर शहर और खासकर यमुना नदी के किनारे बसे गांवों में देसी और मिलावटी अंग्रेजी शराब बनाने का कुटीर उद्योग खुला हुआ है। पुलिस ने सोनीपत के नैना गांव में बॉटलिंग प्लान्ट पकड़ा, जहां देसी शराब बनाई जा रही थी। दरअसल, सोनीपत का खरखोदा कस्बा अवैध शराब के कारोबार का सबसे बड़ा केंद्र है। लॉकडाउन के दौरान यहां से देश के करीब 10 राज्यों को नकली और अवैध शराब की सप्लाई हुई। जून में अंबाला और कुरुक्षेत्र में पुलिस ने ट्रक और अन्य वाहनों से ले जाई जा रही शराब बरामद की। इन्हें एनवी डिस्टलरी से ले जाया जा रहा था। शराब की इन खेपों को भूपेन्द्र सिंह – जितेन्द्र सिंह नियंत्रित कर्टल ले जा रहा था। पुलिस ने शराब स्मगलिंग के आरोप में भूपेन्द्र सिंह को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के मुताबिक भूपेन्द्र सिंह ने बताया कि उसे यह शराब एनवी डिस्टलरी से मिली थी। एनवी डिस्टलरी के मालिक एन.के. जैन को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया। जैन को एक साल पहले भी अवैध शराब के कारोबार के आरोप में पानीपत के पास समालखा पुलिस ने गिरफ्तार किया था। पानीपत के एक पुलिस अफसर ने अक्टूबर में हिन्दुस्तान टाइम्स के रिपोर्टर को बताया था कि एन.के. जैन ने उस समय स्वीकार किया था कि उसने कई राज्यों को शराब सप्लाई की थी। इसके बाद पुलिस जांच में पता चला कि जैन के साथ कुछ और लोग भी जुड़े हैं, जिस नकली शराब की स्मगलिंग कर रहे हैं। पानीपत पुलिस ने भूपेन्द्र सिंह और एन.के. जैन का आमना-सामना कराया लेकिन जैन ने इसे स्वीकार नहीं किया कि उसने यह काम भूपेन्द्र सिंह के कर्टल के जरिए किया है। भूपेन्द्र के खिलाफ हरियाणा के अलावा बिहार, झारखंड, यूपी, एमपी में शराब स्मगलिंग के मामले दर्ज हैं।

हरियाणा से ले जाई जा रही शराब जब कई राज्यों में भी बरामद हुई और उस पर शोर मचा तो हरियाणा सरकार ने एसआईटी बना दी। एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट अगस्त में हरियाणा सरकार को सौंप दिया। जांच रिपोर्ट के ब्यौरे से राज्य के गृह मंत्री अनिल विज ने सहमति जताई लेकिन अभी तक उस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है। सूत्रों के मुताबिक इस जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि 1 अप्रैल 2019 से लेकर 10 मई 2020 तक हरियाणा में ही अवैध और नकली शराब की बड़े पैमाने पर बरामदगी हुई। इनकी स्मगलिंग करने वाले लोग एनवी डिस्टलरीज से जुड़े हुए थे। इस संबंध में अंबाला के मुलाना पुलिस स्टेशन में एफआईआर नंबर 143 दर्ज है, जिसमें 1800 बोतल अवैध शराब बरामद होने की बात कही गई है। इसी तरह कुरुक्षेत्र के सदर पुलिस स्टेशन में एफआईआर नंबर 222 में 14,100 बोतल अवैध शराब बरामदगी दर्ज है। ये शराब करनाल जिले के चन्दरो गांव में स्थित आरएस डिस्टलरी में तैयार की गई थी। कुरुक्षेत्र के ही सदर पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर नंबर 302 में 10.104 बोतल अवैध शराब बरामद होने की बात स्वीकार की गई है।

कौन चला रहा है इस धंधे को

अवैध शराब स्कैम में पिछले दिनों हरियाणा पुलिस ने सोनीपत के भूपेन्द्र और जितेन्द्र नामक लोगों को इस धंधे का सरगना बताकर गिरफ्तार किया गया था। पुलिस सूत्रों ने यह भी बताया था कि दोनों एनवी डिस्टलरी के मालिक एन.के. जैन के लिए काम करते थे। लेकिन अभी जब सोनीपत, पानीपत में जहरीली शराब का मामला सामने आया तो धंधे के मास्टरमाइंड बदल गए। पानीपत पुलिस ने अंबाला से मनीष कश्यप और विजय कुमार को गिरफ्तार किया है। पुलिस का कहना है कि इन दोनों ने मुम्बई की कंपनी से इथेनॉल केमिकल बरामद किया था, जिसे सोनीपत में शराब बनाने वालों को सप्लाई किया गया था। इसी इथेनॉल से वह जहरीली शराब भी बनी थी। पुलिस ने सोनीपत से दो अवैध शराब फैक्ट्रियों से 3400 लीटर इथेनॉल बरामद किया था, जिन्हें 17 ड्रमों में छिपाकर रखा गया था। हालांकि पानीपत पुलिस ने जहरीली शराब का मुख्य सप्लायर पहले नरेश  और उसके पार्टनर कुलदीप को बताया था। नरेश के साथ इस मामले में एक बिचौलिये मोहित को भी गिरफ्तार किया गया है। इस तरह अब तक गिरफ्तार पांच लोगों को जहरीली शराब कांड का मुख्य आरोपी बताया गया है। लेकिन ये पांचों इस धंधे की छोटी मछलियां हैं। श्रीकांत जाधव के नेतृत्व में बनी दूसरी एसआईटी ने इन पांचों आरोपियों से गुरुवार को पानीपत और सोनीपत में पूछताछ की है लेकिन मामले में कुछ खास हासिल नहीं हुआ है। इस गैंग के सरगनाओं के असली चेहरे सामने आना अभी बाकी हैं।

इस तथ्य को गौर से पढि़ए –

हिसार पुलिस ने 17 अप्रैल 2020 को हिसार के रसूखदार भाजपा नेता और पार्षद महेन्द्र जुनेजा के भाई मुनीष और उसके दो साथियों मनोहर लाल व उसके बेटे हिमांशु को गिरफ्तार किया। पुलिस ने भाजपा नेता के भाई और मनोहर लाल के पास से 2800 पव्वे अवैध देसी शराब के और 12 बोतल अवैध अंग्रेजी शराब की बरामद की। हालांकि उस समय भाजपा नेता महेन्द्र जुनेजा ने इस साजिश बताया था। उनका कहना था कि चूंकि वह राजनीति में हैं, इसलिए उन्हें फंसाने और पार्टी को बदनाम करने के लिए यह साजिश रची गई है। पुलिस ने इस मामले की आगे जांच बंद कर दी। उसने यह पता लगाने की कोशिश ही नहीं की आखिर इन तक ये शराब किन लोगों ने पहुंचाईं। उस समय कोरोना की वजह से हरियाणा में सभी शराब के ठेके बंद थे। इसके बावजूद धड़ल्ले से अंग्रेजी और देसी शराब की सप्लाई शहर-शहर हो रही थी। भाजपा नेता के भाई के साथ जिस मनोहर लाल को पुलिस ने गिरफ्तार किया था, वह हिसार शहर में अवैध शराब सप्लायर का चर्चित नाम है। उस पर कई मुकदमे भी दर्ज हैं। लेकिन हरियाणा में शराब ठेकों की बंदी के दौरान शराब की सप्लाई जारी रही, इसके पीछे राजनीतिक लोगों के संरक्षण से इन्कार नहीं किया जा सकता है। चूंकि देसी शराब इथेनॉल केमिकल से बनाई जाती है, इसलिए देसी शराब तैयार करने वालों ने ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में इस धंधे को कुटीर उद्योग में उसी दौरान बदल डाला था। उसी समय से शिकार का खून मुंह में लगा था और इथेनॉल से शराब बनाकर धड़ल्ले से सप्लाई की जा रही थी। लेकिन यह धंधा जो कर्टल चला रहा है, वह अभी भी पुलिस के रडार पर नहीं आया है।

कब हो जाती है जहरीली शराब

देसी शराब इथेनॉल और मेथनॉल नामक केमिकल से बनाई जाती है। इसके अलावा भी और कई तरह से भी देसी शराब बनती है। लेकिन इन दोनों केमिकल से बनाना ज्यादा आसान है तो शराब के धंधेबाज इन्हीं दोनों केमिकल से देसी शराब तैयार करते हैं। ये दोनों केमिकल सिर्फ फैक्ट्री मालिकों को मिलते हैं। ज्यादातर अपना स्टॉक मुम्बई से उठाते हैं और वहां से फिर इसे बाकी देश में भेजा जाता है। हरियाणा में ये दोनों केमिकल इंडस्ट्रियल इस्तेमाल के नाम पर लाये जाते हैं और इन्हें देसी शराब बनाने वालों को महंगे दामों पर बेच दिया जाता है।

एक्सपर्ट कहते हैं कि जब कच्ची शराब का लाहन तैयार किया जाता है और इथेनॉल या मिथेनॉल को इसमें निश्चित डिग्री पर रखकर पकाया जाता है। अगर उस प्रक्रिया में शराब ज्यादा पक गई तो वह जहर बन जाती है।  फोरेंसिक साइंस एक्सपर्ट नागेन्द्र सिंह के अनुसार गन्ने के रस, ग्लूकोज, शीरा, आलू, चावल, जौ जैसे स्टार्चयुक्त पदार्थों के फर्मनटेशन से इस शराब को बनाते हैं। नशीला बनाने के लिए इथेनॉल या मेथनॉल मिलाते हैं। सामान्य अल्कोहल लीवर के जरिए एल्डिहाइड में बदलती है, ये मिथाइल अल्कोहल फॉर्मेल्डाइड नामक जहर बन जाती है। आखों व दिमाग पर असरहोता है। अंधापन जैसे लक्षण उभरने लगते हैं।

इसके अलावा अंग्रेजी शराब भी बड़े पैमाने पर स्प्रिट के जरिए नकली बनाई जाती है। भारी मात्रा में स्प्रिट लेकर उसमें केमिकल डालकर अंग्रेजी शराब तैयार कर दी जाती है। इसका धंधा करने वाले दावा करते हैं कि वे दो-तीन सौ रुपये के खर्च पर दो हजार बोतल तक अंग्रेजी शराब बनाते हैं और फिर उसे पुरानी बोतलों में भरकर ठेकों के जरिये बाजार में बेच दिया जाता है। शराब के ठेके चलाने वाले इसे ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में असली अंग्रेजी शराब के साथ इसे भी बेच देते हैं। कबाड़ी इसीलिए शराब की खाली बोतलें ज्यादा खरीदते हैं, क्योंकि शराब माफिया को पुरानी शराब की बोतलों की जरूरत पड़ती है। इस तरह मार्केट में इन्हीं पुरानी बोतलों के जरिए मिलावटी अंग्रेजी शराब पहुंच जाती है।

 

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Mazdoor Morcha
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