मजदूर मोर्चा ब्यूरो
फरीदाबाद: खेती-किसानी को बर्बाद करने वाले बिलों पर हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला से जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) में विधायकों की नाराजगी बढ़ती जा रही है। दुष्यंत चौटाला ने सबसे पहले बयान दिया कि अगर एमएसपी नहीं रहेगी तो वो इस्तीफा दे देंगे। फिर इसके बाद उन्होंने केंद्र सरकार को इस बात के लिए बधाई दी कि उसने विभिन्न फसलों के रेट बढ़ा दिए। इसके बाद दुष्यंत ने कहा कि किसानों को तीनों अध्यादेशों पर बरगलाया गया। लेकिन खुद दुष्यंत की पार्टी जेजेपी में क्या हुआ?
जेजेपी के बरवाला से विधायक जोगीराम सिहाग और इसी पार्टी से शाहाबाद के विधायक रामकरण काला किसानों के साथ प्रदर्शन में शामिल हो गए। पार्टी आलाकमान से नाराज चल रहे रामकुमार गौतम और देवेंद्र सिंह बबली ने पहले ही किसान आंदोलन का समर्थन कर दिया था। दस विधायकों की पार्टी में चार विधायक खुलकर किसानों के साथ हैं। कुछ और साथ आने वाले हैं लेकिन दुष्यंत अपनी कुर्सी छोडऩे को तैयार नहीं है।
हाशिए पर जाती पार्टी
हरियाणा की किसान राजनीति में जेजेपी लगातार हाशिए की तरफ बढ़ रही है। इंडियन नैशनल लोकदल (इनेलो) से टूटकर 2019 के विधानसभा चुनाव में यह पार्टी भाजपा के खिलाफ मैदान में उतरी थी। हरियाणा के किसान बेल्ट में जेजेपी को ओमप्रकाश चौटाला के राजनीतिक रूप से नाकाम बेटों का पर्याय माना गया। जेजेपी ने बहुत तेजी से उसकी जगह भी ले ली। लेकिन जब परीक्षा का मौका आया तो जेजेपी फेल हो गई। पीपली में किसानों पर सरेआम पुलिस और कुछ गुंडा तत्वों ने लाठियां बरसाईं। जेजेपी ने इसकी निन्दा करते हुए जांच की मांग की। इसके बाद गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि पुलिस को लाठी चार्ज का न तो आदेश था और न ही उसने लाठीचार्ज किया, इसलिए जांच की जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पहले तो कहा कि लाठीचार्ज हुआ ही नहीं और बाद में बोले कि पुलिस ने आत्मरक्षा में ऐसा किया।
इन बयानों से साफ हो गया कि भाजपा पूरी तरह से अब जेजेपी के दबाव से मुक्त है। उसे जेजेपी की तरफ से सरकार गिराने का कोई खतरा नहीं है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषक यह अंदाजा लगाए बैठे थे कि जेजेपी खट्टर सरकार पर दबाव बनाकर किसान विरोधी तीनों बिलों को वापस लेने को कहेगी।
हाथ से निकलते विधायक
चुनाव के बाद मौके का फायदा उठाते हुए जेजेपी ने जब कुर्सी के लिए भाजपा से हाथ मिला लिया तो इसका सबसे पहला विरोध नारनौंद से जेजेपी विधायक रामकुमार गौतम ने किया। अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए गौतम ने पार्टी के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद देवेंद्र सिंह बबली ने विरोध का परचम बुलंद किया। लेकिन जिस तरह से दो अन्य विधायक जोगीराम सिहाग और रामकरण काला खुलकर किसानों के साथ धरने पर बैठे, उससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि ये चारों विधायक पार्टी की लाइन से अलग चले गए हैं। इनके अलावा कम से कम दो और विधायक किसी भी समय इन चारों विधायकों के साथ खुलकर सामने आ सकते हैं। हाल ही में जेजेपी की जिस राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अजय चौटाला को फिर से पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था, उस बैठक में शामिल वरिष्ठ नेताओं ने स्पष्ट कर दिया था कि अगर दुष्यंत चौटाला ने अपना रवैया नहीं बदला तो यह पार्टी के हित में नहीं होगा।
जेजेपी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि हमने विधानसभा चुनावों में किसानों से वोट मांगा था। हमारी पूरी पार्टी का आधार किसान हैं। अब अगर किसानों पर ही आंच आ जाएगी और जेजेपी चुप रही तो फिर किसान किधर के रहेंगे। दुष्यंत को कुर्सी से इतना प्यार हो गया है कि वो पार्टी को भूलता जा रहा है।
फिलहाल सरकार को खतरा नहीं
जेजेपी के अंदर बढ़ती नाराजगी के बावजूद खट्टर सरकार के गिरने का कोई खतरा नहीं है। इसकी वजह है कांग्रेस का मजबूत न होना।
हालांकि हाल ही में इसे लेकर कयासबाजी शुरू हो गई थी कि अगर जेजेपी में असंतुष्ट बढ़ते हैं तो खट्टर सरकार गिर सकती है। कुछ विधायकों के कांग्रेस के संपर्क में होने की बात भी कही गई थी लेकिन जेजेपी के असंतुष्ट विधायक नाराज होने के बावजूद खट्टर सरकार को गिराना नहीं चाहते। क्योंकि कांग्रेस में नेतृत्व का मसला साफ नहीं है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपनी दावेदारी छोडऩे को तैयार नहीं हैं और शैलजा या सुरजेवाला पर कोई कैसे दांव लगा सकता है।
दुष्यंत का पीआर दौरा
दुष्यंत ने किसान बेल्ट में पैदा हुई नाराजगी को दूर करने के लिए अचानक गांवों का दौरा शुरू कर दिया है। हालांकि जिन तमाम इलाकों में वो जा रहे हैं, वहां अधिकतर उनकी पार्टी के कार्यकर्ता और उनके घर की महिलाएं होती हैं। जिनके फोटो दुष्यंत के साथ खिंचवाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट किए जा रहे हैं। खबर है कि तमाम इलाकों में दुष्यंत से वहां के युवकों ने पिछली सरकारी प्रतियोगी परीक्षाओं के नतीजे जल्द से जल्द घोषित करने की अपील की। बहुत साफ है कि लोग तमाम मुद्दों पर हरियाणा की मौजूदा सरकार से बेहद नाराज हैं। उनका नारनौंद विधानसभा क्षेत्र का दौरा भी राजनीतिक माना जा रहा है क्योंकि यहां से जेजेपी विधायक राजकुमार गौतम ने पहले ही पार्टी में असंतुष्ट होने का बिगुल बजाया था। गौतम ने किसान आंदोलन का भी समर्थन कर दिया है। नारनौंद जाकर दुष्यंत यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि असंतुष्ट विधायकों के इलाके में भी वो लोकप्रिय हैं।