फरीदाबाद (म.मो.) 24 अगस्त को बल्लभगढ़ से विधायक और हरियाणा के परिवहन मंत्री पंडित मूलचंद शर्मा ने बल्लभगढ़ बस अड्डे के बाहर छापा मारते हुए अपनी पुरानी आज़मायी अदा का सबूत पेश किया। इस दिखावटी छापे में मूलचंद ने अवैध रूप से चल रही पांच प्राइवेट बस, एक पानी का टैंकर, तीन इको वैन को जब्त करवाया। मंत्री जी यहीं नहीं रुके, उन्होंने बल्लभगढ़ बस अड्डे के भीतर जाकर साफ सफाई का जायजा लिया और रोडवेज के जीएम् राजीव नागपाल को व्यवस्था दुरुस्त करने के आदेश देते हुए रोडवेज की वर्कशॉप में खड़ी कंडम बसों को जल्द से जल्द नीलाम कराने के निर्देश दिए।
पत्रकारों ने जब मंत्री जी से इस औचक निरीक्षण का कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि कोई खास बात नहीं है, उनके इलाका का बस अड्डा है और वे परिवहन मंत्री हैं इसलिए दौरा किया है। मूलचंद ने बताया कि मुख्यमंत्री से बात हो गई है और सरकार इस बस अड्डे को पीपीपी माँडल से सौन्दर्यीकरण का काम जल्द ही शुरू करवाने वाली है।
बल्लभगढ़ बस अड्डे की खूबियाँ बताते हुए उन्होंने कहा कि पूरे उत्तर भारत में ऐसा इलाका नहीं है जो रेल, मेट्रो और बस अड्डे से 300 मीटर के दायरे में ऐसे घिरा हो जैसा बल्लभगढ़। ज्ञान के इस भंडार से समझा जा सकता है कि मंत्री जी को उत्तर भारत की समझ तो दूर फरीदाबाद और दिल्ली एनसीआर की समझ के नाम पर भी धेले का कुछ नहीं पता।
पीपीपी माडल पर विशेष जोर देते हुए मंत्री ने कहा कि इस बसअड्डे को अब वो सबसे अच्छा बस अड्डा बना कर ही मानेंगे। सबसे अच्छे से मंत्री का क्या मतलब है? लन्दन, अमेरिका के बस अड्डों से भी अच्छा या बिहार के बस अड्डों से? दरअसल पीपीपी के नाम पर मंत्री जी के गुरु मोदी जी देश में तमाम प्रतिष्ठान बेच आये हैं तो अब बारी चेलों की है जो झाड़ फूँक कर बचे उसे भी बेच डालो। वरना इन्ही मूलचंद शर्मा ने मंत्री बनते ही इसी बल्लभगढ़ के बस अड्डे पर छापा मारा था और तबसे लेकर आजतक क्या बदला जनता के सामने है।
जो अवैध बसें मंत्री जी को अचानक ही मिल गई वो उनके अधिकारियों को पहले मारे गए छापे के बावजूद आजतक क्यों नहीं दिख रही थीं? अब जब अवैध बसें मिल ही गईं तो क्या मंत्री ने किसी अधिकारी को इस हिमाकत के लिए तलब या ससपेंड किया?
पंडित जी ने कहा कि जब हमारे खुद के कंडक्टर, बसें और ड्राईवर हैं तो ये प्राइवेट इको, और अवैध बसें चलने का क्या मतलब है। सिस्टम में खराबी है और इस सिस्टम को हम पीपीपी मॉडल ला कर ठीक कर रहे हैं जिसका ड्राफ्ट खुद उन्होंने बनाया है।
मंत्री जी से पूछा जाना चाहिए कि जब आपको अपने ड्राईवर, खलासी और बसें दिख गईं तो आपको अपने इंजीनीयर, और दूसरे कर्मचारी नहीं दिख रहे जो बिना किसी निजी कंपनी को ठेकेदारी दिए भी बस अड्डों का तो क्या पूरे के पूरे शहर का सौंदर्यीकरण कर सकते हैं बशर्ते मंत्री जी चाहें तो।
दरअसल ये सारा ड्रामा किया जाता है निजी बस और गाड़ी वालों को उगाही का सन्देश भेजने के लिए। एक साल पहले मारे गए मंत्री जी के छापे के बाद क्या कुछ बदला, जनता के सामने है और अब मारे गए छापे के बाद क्या कुछ बदलेगा यह भी जनता देख ही लेगी। जिन्हें इन बातों में शक है वे हरियाणा के छापामार मंत्री अनिल विज के द्वारा छापा मारी गई जगहों पर एक बार मंत्री पंडित मूलचंद शर्मा के साथ घूम आयें। देहातों की कहावत है नाई भाई कै बाल, भाई तेरे आग्गे ही गेरुंगा देख लियो।