गौरतलब है कि न तो यह पहला वायरस है और न ही अन्तिम। इस तरह के वायरस पहले भी बना कर छोड़े जाते रहे हैं और आगे भी निहित स्वार्र्थी कारोबारियों द्वारा फैलाये जाते रहेंगे।

गौरतलब है कि न तो यह पहला वायरस है और न ही अन्तिम। इस तरह के वायरस पहले भी बना कर छोड़े जाते रहे हैं और आगे भी निहित स्वार्र्थी कारोबारियों द्वारा फैलाये जाते रहेंगे।
March 25 04:58 2020

 

कोरोना इमरजेंसीके नाम पर ड्रामेबाज़ी

फरीदाबाद (म.मो.) 130 करोड़ के इस देश में मात्र 236 लोग ही कोरोना संक्रमित पाये गये हैं। जिनमें से 23 ठीक भी हो गये हैं। इनमें से भी अधिकांश विदेश यात्रा से लौटे लोग हैं। मरने वालों की संख्या देश भर में चार से अधिक नहीं हुई है। ये मरने वाले पहले से ही अन्य रो$गों से ग्रस्त एवं बड़ी आयु के लोग थे।

हरियाणा में तो मात्र 15 लोग ही संक्रमित पाये गये हैं, इनमें से भी पांच तो ठीक भी हो चुके हैं। इसके बावजूद इस बीमारी का ढोल इतने ज़ोर से पीटा जा रहा हे कि उसके शोर में समाज की तमाम गतिविधियां दबा दी गयी हैं। स्कूल-कॉलेज बंद दफ्तर बंद और तो और हाट-बाजार तक बंद किये जा रहे हैं। सब्ज़ी व फल आदि की मंडियां तक बंद की जा रही हैं। मोदी जी ने तो 22 मार्च यानी रविवार को घरों से न निकल कर अपने आप से कर्फ्यू लगाने की घोषणा कर दी है। यानी पूरे भय का वातावरण बना दिया गया है।

लेकिन इस सबके बावजूद स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर लफ्फाजी के अलावा कोई काम नहीं किया जा रहा। हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर जी फरमाते हैं कि उन्होंने राज्य में 6500 अतिरिक्त बेडों का इंतजाम कर लिया है। कहने में क्या जाता है 6500 की बजाय 65000 भी कह दो तो क्या फर्क पड़ता है इसके लिये कुछ करना थोड़े ही है। इसके लिये सरकार की दृष्टि ईएसआईसी के मेडिकल कॉलेज अस्पताल पर है जहां 600 बेड पहले से ही कम पड़ रहे हैं। निजी व्यापारिक अस्पतालों को धमकाया जा रहा है कि वे बेड उपलब्ध करायें। सुनने में तो यह भी आ रहा है कि सा$फ-सुथरे एवं सुसज्जित प्राइवेट स्कूलों पर भी सरकार की गिद्ध दृष्टि है।

सवाल यह उठता है कि बीते करीब ढाई साल से एनटीपीसी अपने पैसे से बीके अस्पताल में पूरा एक वार्ड बनाने की ऑफर दे चुका है। जिसकी फाईल वर्षो से चण्डीगढ़ में अटकी पड़ी है। वैसे भी बीके अस्पताल की मौजूदा इमारत इसकी कुल योजना का मात्र पांचवां भाग है; यानी मूल रूप से बने बीके अस्पताल के नक्शे में ऐसे-ऐसे पांच खंड दिखाये गये हैं। सेक्टर आठ में ईएसआईसी द्वारा 200 बेड का अस्पताल बना कर करीब 40 वर्ष पूर्व राज्य सरकार को सौंप दिया गया था, जो आज पूरी तरह से उजाड़ भूत बंगला बना हुआ है। इतनी बड़ी इमारत में किसी डिस्पेंसरी से अधिक काम नहीं हो रहा है। राज्य के लगभग हर जि़ले की ऐसी ही स्थिति है जिसे ठीक करने के लिये कोई काम करने की बजाय शासन-प्रशासन केवल ढोल पीट कर लोगों को भयभीत करने में जुटा है।

गौरतलब है कि न तो यह पहला वायरस है और न ही अन्तिम। इस तरह के वायरस पहले भी बना कर छोड़े जाते रहे हैं और आगे भी निहित स्वार्र्थी कारोबारियों द्वारा फैलाये जाते रहेंगे। ऐसे में सरकार को लफ्फाजी एवं नौटंकी करने की बजाय देश की स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ करना चाहिये।

view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles