क्या थाना खेड़ी पुल फ़रीदाबाद पैसों की खातिर लोगों के अपहरण में भी शरीक होने लगी है?

क्या थाना खेड़ी पुल फ़रीदाबाद पैसों की खातिर लोगों के अपहरण में भी शरीक होने लगी है?
August 15 06:48 2020

फौजदारी को दरकिनार करने वाली खेड़ी थाना पुलिस

सिविल मामले में बेहद सक्रिय क्यों हो जाती है?

विवेक कुमार की ग्राउंड रिपोर्ट  

फरीदाबाद थाना खेड़ी पुल के तहत आने वाली भारत कॉलोनी में गुंडागर्दी की सभी सीमाएं पार होती जा रही हैं। शायद यहाँ एसएचओ पूरे थाने समेत कुम्भकर्ण की नींद सो रहे हैं। 26 वर्षीय धारा सिंह फरीदाबाद में ऑटो चलाने का काम करते हैं और उनकी माँ भारत कॉलोनी में सब्जी बेचने का काम करती हैं। धारा की माँ तारा देवी ने बताया कि एक व्यक्ति जो उनकी दुकान के सामने सो रहा था उसे उठने को कहने से लेकर शुरू हुआ विवाद मार पीट पर जा पहुंचा और उस व्यक्ति ने इलाके के ही अपने दोस्तों को बुलाकर धारा को इतना मारा कि वह लगभग मरणासन्न हो गया। किसी तरह एक आटाचक्की दुकानदार ने धारा की जान बचाई।

थाना खेड़ी पुल पुलिस को सूचना देने पर वहां से न कोई आया और न ही कोई कार्यवाही हुई, लिहाजा धारा को उसके घर वाले बीके अस्पताल ले गए जहाँ से उसे दिल्ली के  सफदरजंग अस्पताल रेफर कर दिया गया। धारा की हालत गंभीर बनी हुई है पर दोषियों पर कार्यवाही करना तो दूर, पुलिस ने शिकायत तक दर्ज नहीं की। फिलहाल धारा की सिर की चोट और टूटी नाक से बेतहाशा बहते खून के कारण उसकी हालत गंभीर बनी हुई है पर जैसे पुलिस को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

जबकि एक अन्य दीवानी मामले में, जो पुलिस के कार्यक्षेत्र में नहीं आता, इसी थाना ने बड़ी तेज कार्यवाही करते हुए अपने टैलेंट का परिचय दिया है। भारत कालोनी से ही आगे भूपानी चौक के पास रहने वाला 34 वर्षीय जफरुदीन लेंटर-शटरिंग का काम करता हैं। जफरुद्दीन लेंटर के लिए बल्ली और पटरे पास ही स्थित शोभाराम टिम्बर से लेता रहा हैं। टिम्बर के मालिक और शोभाराम के बेटे प्रवीण ने जफरुद्दीन पर बल्ली-फट्टों के कम होने और उनके चोरी होने का आरोप लगाया जिसका जफरुद्दीन ने खंडन करते हुए भविष्य में प्रवीण की दुकान से मॉल न लेने की बात कही।

जफरुद्दीन ने बताया, इसके बाद से ही प्रवीण उन्हें धमकाने लगा और बकाया माल या उसके बदले पैसा चुकाने के नाम पर करीब चार लाख का हिसाब थमा गया। क्योंकि इतनी राशि  चुकाना जफरुद्दीन के लिए असंभव था और उसके मुताबिक इतना पैसा बनता भी नहीं तो प्रवीण ने कहा या तो पैसा दे या हमारे यहाँ बतौर मजदूर काम कर। कुछ कहा सुनी होने के बाद जफरुद्दीन ने अपनी बीमार बेटी के इलाज की बात कह फिलहाल के लिए किनारा कर लिया। कुछ वक्त बाद प्रवीण ने थाना खेड़ी पुल पर जफरुदीन के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई और यहाँ से खेल शुरू हुआ पैसे और पुलिस का।

पुलिस ने जफरुद्दीन को फोन करके 6 जुलाई को दोपहर 12 बजे थाने में बुलाया जहाँ उसे शाम 6.30 तक बैठाये रखा गया और शाम को हवलदार मंजीत के आने के बाद ही बातचीत शुरू हुई। जफरुद्दीन के बताये अनुसार, हवालदार मंजीत ने कहा कि देख दूसरी पार्टी तो मान नहीं रही, इसलिए पैसे तो तुझे देने ही होंगे, अपने किसी रिश्तेदार से पैसे लेकर दे दे। जब जफरुद्दीन ने आरोपों से इनकार किया तो उसे भीतर ले जाकर मारा जाने लगा। जफरुद्दीन के साथ उसकी रिश्तेदार शबीना और पत्नी भी थी जिन्हें बाहर बैठा दिया गया था। रात 11 बजे जफरुद्दीन को छोड़ा गया और उसकी पत्नी से कहा कि कल इसे पेश कर दियो। जफरुद्दीन की पत्नी ने बताया कि इस बीच प्रवीण और उसके घर वालों के फोन देर रात तक आते रहे और धमकाते हुए कहते रहे कि पुलिस से न हुआ तो हम सीआईए तक जाएँगे और वहां भी नहीं हुआ तो हमारे हाथ-पाँव तो हैं ही।

अगली सुबह 7 बजे ही जफरुद्दीन अपनी पत्नी के साथ वादे अनुसार थाने में पेश होने चल दिया पर बीच रास्ते में एक सुनसान स्थान पर कुछ अज्ञात लोगों ने उसके मुंह पर कपड़ा बाँध कर अपहरण कर लिया। जब उसकी पत्नी इस बात की शिकायत थाने में करने पहुंची तो पहले तो पुलिस ने उसे भगा दिया पर दोबारा जाने पर हवलदार मंजीत और एक अन्य एसआई ने कहा कि जा शाम तक घर आ जाएगा वो, वैसे उसे बचाना तेरे हाथ में है, तू देख ले क्या करना है। पूरी रात जफरुदीन का कोई पता नहीं चला पर तडक़े कुछ राहगीरों ने उसे भूपानी मोड़ से आगे मंझावाली जाने वाली सडक़ पर झाडिय़ों में फेंका पाया। स्थानीय लोगों ने इसकी विडियो बनाई जिसमे साफ देखा जा सकता है कि जफरुद्दीन का मुंह, हाथ, और पैर बंधे हुए हैं। लोगों ने जफरुद्दीन की पत्नी को फोन कर इसकी सूचना दी और मौका-ए-वारदात से 100 नंबर पर भी फोन किया जिसके उपरान्त घायल जफरुद्दीन को इलाज मिल सका।

जफ्रुदीन ने बताया कि अपहरणकर्ताओं ने उसका मुंह कपड़े से बाँध दिया था उसके बाद उसे याद नहीं क्या हुआ, इसलिए वह नहीं जानता कि कौन लोग थे और उसके साथ क्या हुआ उसे इसका भी होश नहीं। जबकि जफरुद्दीन की पत्नी ने बताया कि जब पति के मिलने बाबत राहगीरों से फोन आया और वह अपने बंधे हुए पति के पास पहुंची तो पाया कि उसके शरीर से भयंकर शराब की बदबू आ रही थी, जबकि वो शराब नहीं पीता है और उसकी उंगलियाँ व पीठ भी खून में सनी थीं। इन सबके बावजूद आजतक पुलिस ने किसी के भी खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं किया है। प्रवीण और पुलिस की मिली भगत का आरोप लगाते हुए जफरुद्दीन ने कहा इनके अलावा और कोई क्यों करेगा ऐसा?

मजदूर मोर्चा ने पुलिस से उसका पक्ष जानने की कोशिश की तो थाना खेड़ी पुल में फोन उठाने वाले व्यक्ति ने कहा कि उसके पास ऐसा कोई मुकदमा दर्ज नहीं। वहीँ, हवालदार मंजीत ने फोन नहीं उठाया। प्रवीण से बात करने पर उन्होंने अपहरण और मारपीट के आरोपों से इनकार करते हुआ कहा कि जफरुद्दीन ने खुद अपहरण की कहानी बना ली है। प्रवीण ने बताया कि जफरुद्दीन के पास उन्ही की बल्लियाँ और पटरे मिलने के बाद उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई और अपना हर्जाना माँगा। जबकि जफरुद्दीन का कहना है कि उसकी कंसट्रक्शन साइट से जबरन प्रवीण बल्लियाँ उठा ले गया।

इन सभी बातों में एक बात निकल कर सामने आई कि जिस धारा सिंह पर हमला हुआ और वो बुरी तरह जख्मी हुआ, इस मामले में पुलिस को तुरंत शिकायत दर्ज कर कार्यवाही के साथ-साथ धारा को इलाज मुहैया करवाना था, जो कि नहीं किया गया। दूसरी तरफ जफरुद्दीन और प्रवीण के पैसों के दीवानी विवाद से पुलिस का कोई लेना देना नहीं था पर पुलिस ने उसमे फुर्ती दिखाते हुए अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जा कर जफरुद्दीन को मारा पीटा। इसके बाद जब उसका अपहरण हुआ तब फिर पुलिस निष्क्रिय हो गई जिसमे कथित रूप से आरोप है कि पुलिस खुद उसके अपहरण में शामिल थी।

इन मामलों में कोई झूठा हो या सच्चा पर धारा सिंह, प्रवीण और जफरुद्दीन तीनों के मामले में पुलिस ने न केवल अपनी ड्यूटी पूरी नहीं की बल्कि बिना शिकायत दर्ज किये पैसे के लेन देन जैसे सिविल मामले में शामिल हुई।

जाहिर है यह सब पुलिस बिना किसी फायदे के तो कर नहीं रही होगी वरना हवलदार मंजीत को प्रवीण और जफरुद्दीन के उधारी के मामले में इतनी दिलचस्पी क्यों है, और सारे मामले को जानते हुए एसएचओ साहब मौन क्यों हैं? क्या 100 नम्बर पर पुलिस सहायता के लिये किये गये फोन बेकार है?

सवाल है कि क्या नए कमिश्नर पुलिस फरीदाबाद ओ पी सिंह गरीब जनता पर होने वाले मनमाना पुलिसिया जुल्म पर भी गौर फरमाएंगे?

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Mazdoor Morcha
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