धूर्तता: खट्टर सरकार ने चीनी कम्पनी का 822 करोड़ का ठेका रद्द किया
मज़दूर मोर्चा ब्यूरो
लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी घुसपैठ व अपने 20 सैनिकों की बलि देने के बाद देश की जनता को बहकाने के लिये एक ओर जहां पूरी भारतीय जनता पार्टी व सरकार चीनी माल के बहिष्कार की नौटंकी कर रही है, वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर भी मुहिम में उछल कर सामने आये हैं। उन्होंने घोषणा की है कि हिसार जि़ले के खेदड़ व यमुनानगर स्थित दो थर्मल पावर हाउसों की मेंटेनेंस के ठेके रद्द कर दिये हैं।
विदित है कि इन दोनों प्लांटों का पूरा निमार्ण कार्य शंधाई इलेक्ट्रिक नामक एक चीनी कम्पनी ने कांग्रेस राज (2004-2014) में पूरा किया था। वास्तव में हरियाणा सरकार ने यह ठेका भारत की एक बेहतरीन कम्पनी बीएचईएल (भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स) को न देकर देश के एक बड़े लुटेरे एवं ठग अनिल अम्बानी को दिया था। यह वह अम्बानी है जो ठगी-ठोरी के अलावा दूसरा कोई काम नहीं जानता। इसके बावजूद भी देश में राफेल विमान बनने हों तो यह ‘बनायेगा,’ दिल्ली से आगरा तक का राजमार्ग या फरीदाबाद-गुडग़ांव सडक़ चौड़ी करनी हो तो यह ‘करेगा’, दिल्ली में एयरपोर्ट मैट्रो लाइन बनानी व चलानी हो तो यह चलायेगा, पावर प्लांट लगाने हों तो ठेका इसी को मिलेगा। सरकार चाहे कांग्रेस की हो या भाजपा की, दोनों इसकी जेब में रहती हैं।
अपनी कम्पनी के नाम ठेका लेने के बाद यह ठग काम करने के लिये किसी अन्य कम्पनी को दे देता है जैसे सडक़ों व मैट्रो का काम एल एण्ड टी को सौंप दिया, पावर हाउस बनाने का काम शंधाई इलेक्ट्रिक कम्पनी को सौंप दिया। हजारों करोड़ के हर ठेके में सैंकड़ों करोड़ इस ठग को बैठे-बिठाये मिल जाते हैं। इसे ठग की बजाय दल्ला कहना ज्यादा वाजिब होगा क्योंकि अपनी लूट कमाई में ये यह शासक वर्ग को भी अच्छा-खासा माल खिलाता है।
कई हज़ार करोड़ की लागत से बने उक्त पावर प्लांटों की पूरी पेमेंट मुख्यमंत्री हुड्डा के वक्त में ही ये डकार चुके थे। अब तो केवल मामूली छुट-पुट मरम्मत आदि का ही काम रहता है जो प्राय: वही कम्पनी कर सकती है जिसने प्लांट बनाया हो क्योंकि उसे प्लांट की रग-रग का पता होता है जबकि अन्य कोई नई कम्पनी इसमें हाथ फंसाने से गुरेज करती है। दिखाने को बेशक खट्टर ने उक्त ठेका रद्द करने की घोषणा कर दी, परन्तु वास्तव में यह होने वाला है नहीं। कुछ दिन बाद जनता को कौनसा याद रहने वाला है कि खट्टर ने क्या घोषणा की थी। दूसरे ठेके की उक्त रकम में से अम्बानी का भी तो मोटा कमीशन तय है, नई ठेकेदार कम्पनी, यदि कोई मिल भी गयी तो जरूरी नहीं कि वह भी इस दल्ले को कमिशन दे।
उक्त दोनों ठेकों को रद्द करने की नौटंकी तो खट्टर जी करते हैं, जो पार उतरने वाली नहीं, लेकिन फरीदाबाद शहर का कूड़ा उठाने के नाम पर जो दो करोड़ मासिक चीन की ईको ग्रीन को दे रहे हैं, उसे रोकने में क्या दिक्कत है? कितने ताज्जुब की बात है कि कूड़ा- कचरा उठाने जैसे साधारण से काम का ठेका भी चीनी कम्पनी को दिया जाता है, लानत है ऐसी सरकार को। इसके बावजूद कूड़े से जो शहर सड़ रहा है, वह बोनस है चीन का दिया हुआ।