कब गिरफ्तार होगा बीपीटीपी का धंधेबाज काबुल चावला..

कब गिरफ्तार होगा बीपीटीपी का धंधेबाज काबुल चावला..
December 28 14:52 2020

डिस्कवरी पार्क के फ्लैट खरीददार ठोकरें खाने को मजबूर

मजदूर मोर्चा ब्यूरो

फरीदाबाद: ऐसे वक्त में जब बड़े बड़े बिल्डर जेलों में हैं, बीपीटीपी डिस्कवरी पार्क का मालिक काबुल चावला फ्लैट खरीदारों के पैसे से मौज उड़ा रहा है। पिछले हफ्ते बीपीटीपी ने उसका फ्लैट बेचने वाले प्रापर्टी डीलरों और कुछ बेईमान अफसरों के साथ जश्न आयोजित किया। 10 साल से ज्यादा समय से बीपीटीपी डिस्कवरी पार्क के खरीदार फ्लैट के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं लेकिन न तो काबुल चावला की कंपनी ने फ्लैट बनाकर सौंपे और न ही उनका पैसा वापस किया। सारे मामले में हरियाणा सरकार और रेगुलेटरी अथॉरिटी हरेरा मूक दर्शक बना हुआ है।

खरीदारों के टूटते सपने

नहर पार यानी ग्रेटर फरीदाबाद में बीपीटीपी के तमाम प्रोजेक्ट चल रहे हैं। हर प्रोजेक्ट को लेकर सरकारी एजेंसियो के पास शिकायतें पहुंची हुई हैं लेकिन सेक्टर 80 के डिस्कवरी पार्क प्रोजेक्ट में तो इस बिल्डर ने सारी हदें पार कर दी हैं। इस प्रोजेक्ट के लिए 2011-12 में बुकिंग शुरू हुई और कंपनी ने 2015 में फ्लैटों का कब्जा देने का वादा लिखित रूप में किया। जब फ्लैट खरीदारों ने दबाव बढ़ाया तो 2018 में बीपीटीपी ने पांच टावर बनाकर खड़े कर दिए। लेकिन इनमें किसी तरह की सुविधाएं मुहैया नहीं कराई गईं, जिनका वादा था। जब इन टावरों में किसी तरह की सुविधा नहीं दी गई तो फ्लैट खरीदारों ने फ्लैट का कब्जा लेने से इन्कार कर दिया।

हरेरा के अफसरों ने दलाली की भूमिका अदा करते हुए सितम्बर 2019 में बीपीटीपी डिस्कवरी पार्क के मालिक और फ्लैट खरीददारों में समझौता कराया कि सितम्बर 2020 तक बीपीटीपी सभी टावर पूरा करेगा। खेल क्लब वगैरह जैसी सुविधाएं भी मुहैया कराएगा। लेकिन उससे पहले फ्लैट खरीदारों को बीपीटीपी पर दायर सारे मुकदमों को वापस लेना पड़ेगा। खरीदारों ने सारे मुकदमे वापस ले लिए और सभी शर्तों के साथ 250 फ्लैट खरीदारों ने सेटलमेंट डीड को स्वीकार किया। कब्जा देने के समय दिया जाने वाला पैसा भी जमा करा दिया।

लेकिन इसके बाद बिल्डर काबुल चावला आपदा को अवसर में बदलने के प्रधानमंत्री मोदी के जुमले को भुनाने में जुट गया। उसने कोविड19 की आड़ लेकर डिस्कवरी पार्क में किसी तरह का कोई काम नहीं कराया। अब फ्लैट खरीदारों पर फ्लैट का कब्जा लेने का दबाव बनाया जा रहा है। हालात ये हैं कि चार टावर अभी बने ही नहीं है और पहले के बने पांच टावर फ्लैट मालिकों के रहने लायक नहीं हैं। अंदर की सडक़ें अभी बनी नहीं हैं। लिफ्ट पूरी तरह से लगी नहीं है। कार पार्किंग आधी-अधूरी है। डिस्कवरी पार्क में सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात गार्डों को समय से वेतन नहीं मिलता है। रात की ड्यूटी में सिर्फ दो गार्ड रहते हैं। मेंटिनेंस कर्मचारियों का वेतन अक्सर रुक जाता है। सभी टावरों में बिजली के तार खुले हुए हैं, जो आग लगने की स्थिति में जानलेवा साबित हो सकते हैं। पहले भी यहां आग लग चुकी है लेकिन उसके  बावजूद बिल्डर ने कोई सबक नहीं सीखा।

कब गिरफ्तार होगा काबुल चावला

बीपीटीपी के खिलाफ हरियाणा सरकार के पास असंख्य शिकायतों की भरमार है। सीएम विंडों से लेकर हरेरा, हूडा, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, प्रदूषण नियंत्रण विभाग में बीपीटीपी के खिलाफ शिकायतें पहुंची हैं। काबुल चावला के बही खातों की जांच करा ली जाए तो यह एसआरएस से भी बड़ा प्रॉपर्टी घोटाला साबित हो सकता है। कायदे से काबुल चावला को जेल में होना चाहिए लेकिन यह शख्स फ्लैट मालिकों के पैसों से मौज उड़ा रहा है। पिछले हफ्तों प्रॉपर्टी डीलरों के साथ मनाया गया जश्न यही साबित करता है। इस जश्न में हरेरा से लेकर हूडा और प्रदूषण नियंत्रण विभाग तक के अफसर शामिल हुए और उसकी मेहमान नवाजी का लुत्फ उठाया। पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर रंजीत कुमार ने बताया कि पार्क लैंड के पार्क इलीट फ्लोर्स में भी अभी तक बहुत सारे ग्राहकों को कब्जा नहीं मिला है। खुद वह भी इसके शिकार हैं। दस साल से तमाम ग्राहक अपने फ्लैट का इंतजार कर रहे हैं।

परेशान फ्लैट मालिक जो यहां कब्जा ले चुके हैं, वे अपनी जेब से पैसा लगाकर फ्लैट को रहने लायक बना रहे हैं। इस तरह उन्हें ये फ्लैट उनकी कीमत से ज्यादा महंगे पड़ रहे हैं।

गुडग़ांव की भी यही कहानी

बीपीटीपी से सिर्फ फरीदाबाद ही नहीं गुडग़ांव के फ्लैट खरीदार भी परेशान हैं। सेक्टर 37 डी में बीपीटीपी स्पेशियो में फ्लैट बुक कराने वाले भी इसी तरह भटक रहे हैं। बीपीटीपी स्पेशियो प्रोजेक्ट 2009 में ल़ॉन्च हुआ था। इन फ्लैटों में भी 2014 तक कब्जा दिया जाना था। अभी तक 50 फीसदी ही फ्लैट बने हैं। जिन फ्लैटों में बिल्डर कब्जे दे रहा है, उनमें सुपर एरिया बढ़ाने के नाम पर 15-20 लाख रुपये अलग से मांगे जा रहे हैं।

गुडग़ांव में हरेरा का दफ्तर है। बीपीटीपी स्पेशियो के फ्लैट खरीदारों ने हरेरा में एक साल पहले बिल्डर के खिलाफ याचिका दायर की थी लेकिन हरेरा ने अभी तक न कोई सुनवाई की और न ही उनकी समस्याओं का कोई समाधान निकला। दरअसल, हरेरा बिल्डरों और प्रॉपर्टी डीलरों का दलाल बनकर रह गया। यह अब सरकारी रेगुलेटरी एजेंसी नहीं रही, बल्कि बिल्डरों के पक्ष में समझौते कराती है। हरेरा में कार्यरत फरीदाबाद नगर निगम (एमसीएफ) से रिटायर एक अधिकारी पूरी तरह से बिल्डरों का दलाल बनकर रह गया है। उसी के अनुसार हरेरा अब सारे फैसले ले रही है।

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