फरीदाबाद (म.मो.) नागरिक प्रशासन में कानून-व्यवस्था बनाये रखने एवं हिंसक होती भीड़ को नियंत्रित करने के लिये सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) की धारा 144 का इस्तेमाल किया जाता है। यदि स्थिति बहुत ज़्यादा गंभीर होती नज़र आये और लोगों की जान-माल खतरे में पडऩे का अंदेशा हो तो सीआरपीसी के तहत कफ्र्यू लगाया जाता है। बतौर जि़ला मैजिस्ट्रेट इसे लागू करने का अधिकार उपायुक्त को होता है।
रविवार दिनांक 21 जून को इस जि़ले में कफ्र्यू लगाने का आदेश जि़ला मैजिस्ट्रेट यशपाल यादव द्वारा दिया गया था। सर्वविदित है कि उस दिन जि़ले भर में न तो कहीं हल्ला-गुल्ला था और न ही किसी हिंसक प्रर्दशन एवं भीड़ के एकत्र होने की कोई संभावना थी। सारा जन-जीवन पूर्णतया सामान्य चल रहा था जैसा कि सैमी लॉकडाउन में चलता आ रहा था। इसके बावजूद जि़ले में कफ्र्यू घोषित करने सम्बन्धी जि़ला मैजिस्ट्रेट का फोटो सहित बयान अखबारों में प्रकाशित कराया गया।
नियमानुसार जब कफ्र्यू लगाया जाता है तो इसकी बाकायदा मुनादी कराई जाती है, शहर भर में सरकारी वाहनों पर लाउडस्पीकर लगा कर जनता को इस बाबत बताया जाता है। लेकिन ऐसी कोई मुनादी शहर में नहीं हुई। और तो और जब इस संवाददाता ने उपायुक्त कार्यालय के कुछ कर्मचारियों से इस बाबत जानना चाहा तो उन्होंने ऐसे किसी आदेश से अनभिज्ञता जताई। जि़ले के लोक सम्पर्क विभाग, जिसका काम मुनादी कराना व मीडिया को प्रेस नोट भेजना होता है, में भी किसी को जानकारी नहीं थी। अस्थाई नौकरी कर रहे एक बाबू ने कहा कि डीपीआरओ से पूछ लो, हो सकता है उन्हें कोई जानकारी हो। डीपीआरओ साहब न तो दफ्तर में उपलब्ध थे और न ही मोबाइल पर।
इतना ही नहीं कफ्र्यू की और मिट्टी पलीत करने के लिये इसे आजकल रात के नौ बजे से प्रात: पांच बजे तक भी लगाया जा रहा है। सर्वविदित है कि रात को केवल वही लोग निकलते हैं जिनका निकलना बहुत जरूरी होता है। ऐसे लोगों की जांच-पड़ताल एवं पूछ-ताछ करने के लिये पुलिस गश्त लगाई जाती है। वह बात अलग है कि यह गश्त अब केवल नाम-मात्र को ही रह गयी है। कुल मिला कर कफ्र्यू आदेश के बावजूद न तो दिन में कोई रूका और न ही कोई रात में रूकता है।
अपने कफ्र्यू आदेश में उपायुक्त महोदय ने यह भी कहा था कि उस दिन सूर्य ग्रहण रहेगा और लोग घरों में ही रह कर पूजा-अर्चना करें। उपायुक्त को शायद यह मालूम नहीं होगा कि जिन्होंने पूजा-अर्चना करनी होगी वे उनके आदेश के बिना भी कर लेंगे और जो इस खगोलीय घटना को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखते-समझते हैं वे कतई किसी पाखंडतंत्र में $फंसने वाले नहीं। यह भी विदित हो कि भारतीय संविधान की धारा 51ए (एच) के अनुसार भारत के हर नागरिग का कत्र्तव्य है कि वह वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवता, खोजबीन और सुधार की भावना विकसित करे। अपने आदेश से उपायुक्त महोदय ने संविधान का भी उल्लंघन किया है।
कफ्र्यू को खिलौना बनाकर खेलने व लॉकडाउन के नाम पर कारोबारियों पर शिकंजा कसने की बजाय यदि उपायुक्त महोदय अपनी लचर-पचर प्रशासनिक व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने पर ध्यान केंद्रित करें तो समाज के लिये ज़्यादा लाभकारी होगा।