आपदा में ही तो होती है असली लूट – एशियन अस्पताल
फरीदाबाद (म.मो.) आपदा में खोद-खोद के अवसर निकालने का लाइसेंस जब खुद प्रधानमंत्री से मिल जाए तो ऐसे में सबसे ज्यादा फायदा वे संस्थाएं उठा लेती हैं जिनके पास इंसान जाता भी आपदा में ही है। इसमें शामिल हैं अस्पताल, पुलिस, मोटर मैकेनिक इत्यादि-इत्यादि।
फरीदाबाद सेक्टर 21ए में स्थित एशियन अस्पताल जो पहले से ही इंसानों को उनकी मजबूरियों में हलाल करने का माहिर है, ने कोरोना के नाम पर मिली वसूली करने की छूट को कैश करने का कार्यक्रम चालू कर दिया। 34 वर्षीय फरीदाबाद निवासी रोहित अपनी माँ को सर्वाइकल का दर्द होने पर एशियन अस्पताल ले गए जहाँ उनकी माँ का कोविद टेस्ट करवाया गया और भर्ती कर लिया गया। टेस्ट के बाद कोरोना पॉजिटिव की रिपोर्ट मिली और आईसीयू में भर्ती करने के बाद रोहित से पहले चार लाख रुपये पेमेंट ले ली गई, उसके बाद ही किसी तरह का ट्रीटमेंट करने की बात हुई।
मजे की बात यह है कि एशियन अस्पताल कोरोना सैंपल तक लेने के लिए अधिकृत नहीं है और उसने लाल पाथ लैब से जांच कराने के बाद बिल में कोरोना के नाम से 5200 रुपये जोड़ दिए जबकि सरकारी रेट 2400 रुपये है।
रोहित ने बताया कि उनकी माँ को किसी भी तरह का न तो इलाज दिया जा रहा था न ही उचित भोजन। आईसीयू के नाम पर मोटा बिल अलग बना दिया।
रोहित को अस्पताल पर असंतोष हुआ और उन्होंने अपनी माँ को एक जानकार डाक्टर के पास ले जाने के लिए फैसला किया। ज्यों ही एशियन वालों को मालूम चला कि कटने वाला बकरा अब और कटने को तैयार नहीं तो उन्होंने मरीज की डिस्चार्ज समरी देने में आनाकानी करते हुए दो दिन बिता दिए। ये सब अस्पताल ने तब किया जब रोहित ने चार लाख दस हजार का बेतुका बिल चुका दिया था और उनकी माँ की हालत गंभीर बनी हुई थी।
रोहित ने इसका विरोध करते हुए जब विडियो बनायी और हो-हल्ला किया तो अस्पताल के गुंडों ने उन्हें जबरन कमरे से बाहर करने की कवायद शुरू कर दी।
एशियन अस्पताल के मालिक एनके पाण्डे को भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया हुआ है। जाहिर है पद्मश्री उन्हें मजबूर मरीजों के गुर्दे फेल करने के लिए तो नहीं दिया गया होगा जबकि कर ये वही रहे हैं। इन जैसों को पद्मश्री सरकारें शायद लूट के धंधे में अपना हिस्सा लेने के लिए देती हैं और उसी के तहत ये मजबूरों से आपदा के समय वसूली करते हैं।
अब रोहित अपनी माँ को घर में ही रख कर सर्वोदय अस्पताल से इलाज करवा रहे हैं। हैरानी की बात है कि कोरोना पॉजिटिव मरीज का एशियन अस्पताल ने डिस्चार्ज जिला प्रशासन को क्यों नहीं सूचित किया, क्योंकि ऐसे मरीज के लिए जिला प्रशासन को आवश्यक आईसोलेशन के लिए उसके क्षेत्र में आवश्यक सावधानियां बरतने की हिदायतें जारी करनी होती हैं।
राज्य शासन जो कोरोना के नाम पर बॉर्डर सील करने का ड्रामा कर रहा था। उसके स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को इन अस्पतालों का गोरखधंधा कैसे नहीं दिख रहा? मंत्री के मुखपत्र बने डीसी को कैसे इतना बड़ा गड़बड़ झाला नहीं दिख रहा?
जमातियों के नाम पर कोरोना-कोरोना खेलने वाली भाजपाई सरकार को एशियन अस्पताल के मालिक की बदमाशी क्यों नजर नहीं आती?