पानी और बिजली चोरी में भी पीछे नहीं, किसी बिल्डिंग का कम्पलीशन सर्टिफिकेट तक नहीं
मजदूर मोर्चा ब्यूरो
फरीदाबाद: नगर निगम फरीदाबाद (एमसीएफ) एवं हरियाणा हूडा की मिलीभगत से जमीनों पर कब्जा करने और खुलेआम अवैध निर्माण करने की गतिविधियां शहर में रुक नहीं रही हैं। दूसरी तरफ गरीबों की बस्तियां उजाडऩे का सिलसिला बदस्तूर जारी है। सरकारी जमीन पर अवैध कब्जों की बात स्वीकार करने के बावजूद एमसीएफ उन जमीनों को खाली कराने को तैयार नहीं है। ताजा मामला उद्योगपति हरचरण नारंग के बेटों का है। हरचरण नारंग तो अब इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन उनके बेटे और परिवार के लोग जमीन पर अवैध कब्जों की उस परंपरा को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं। मुख्यमंत्री के पास नारंग परिवार की करोड़ों रुपये की 18 प्रॉपर्टी की सूची मौजूद है। लेकिन सीएम मनोहर लाल खट्टर का दफतर इन शिकायतों को दबाकर बैठा है।
एमसीएफ ने खुद 2010 में नारंग परिवार की संपत्तियों का ब्यौरा सरकार के पास और अदालत में जमा कराया था। मात्र उन दस्तावेजों का अध्ययन करने से यह पता चलता है कि अपने प्लॉट के आसपास की सरकारी जमीन को किस तरह घेरा गया है। दीपक नारंग के नाम से एक प्रॉपर्टी अजरौंदा इलाके में मथुरा रोड 18/1 पर स्थित है। प्रॉपर्टी का कुल एरिया 3408 वर्ग मीटर है लेकिन मौके पर करीब 700 मीटर जगह इस प्लॉट से ज्यादा घेरी हुई है। इसी प्रॉपर्टी के पीछे दीपक नारंग की कंपनी बोनी पॉलिमर्स है, वहां भी उस प्लॉट के अलावा करीब 500 वर्ग गज जगह घेरी जा चुकी है।
कमल नारंग
यह 500 वर्ग गज जगह एमसीएफ की है। इसी के पास हरचरण नारंग के नाम से भी प्रॉपर्टी है। हरचरण नारंग की प्रॉपर्टी का एरिया 395 वर्ग मीटर है लेकिन मौके पर 500 वर्ग मीटर से ज्यादा जगह घेरी गई है। इसी तरह दीपक नारंग, कमल नारंग, तेजेंद्र नारंग के नाम से भी प्रॉपर्टी है लेकिन मौके पर ज्यादा जगह घेरी गई है।
संपत्तियों के झूठे एग्रीमेंट
एमसीएफ के टैक्स डिपार्टमेंट की जांच के दस्तावेज बताते हैं कि नारंग परिवार की तमाम संपत्तियों में 49 किरायेदार हैं लेकिन इन सभी को नारंग परिवार की ओर से झूठे और फर्जी एग्रीमेंट दिए गए हैं। एनआईटी नंबर 5 में 5ई-6 (बीपी) प्लॉट की लीज डीड ही मौजूद नहीं है। 5 ई – 7 (बीपी) प्लॉट पर किरायेदार हैं, लेकिन उनके पास नारंग से एग्रीमेंट के कोई दस्तावेज नहीं हैं। किराया भी फर्जी दिखाया जा रहा है। 5ई -12, 5 एम-118, 5सी-2 (बीपी) की संपत्तियों का भी यही हाल है। इन संपत्तियों में से एक का भी बिल्डिंग प्लान स्वीकृत नहीं है। 5पी-12 में किरण नारंग के नाम से है लेकिन यहां अवैध निर्माण किया गया है। 5 के -86 का बिल्डिंग प्लान ही एमसीएफ से स्वीकृत नहीं है। नारंग परिवार की कुछ संपत्तियां एमसीएफ के ओल्ड जोन में भी हैं। 209, सेक्टर 15 की कोठी में किरायेदार हैं लेकिन लीज डीड का पता नहीं है। इसी तरह सेक्टर 15 में ही कोठी नंबर 361, 149 और 210 में भी किराये के एग्रीमेंट कुछ हैं और किराया कुछ लिया जा रहा है। कुछ में लीज डीड गायब है। कुछ प्रॉपर्टी पर अवैध रूप से टायलेट बने हैं, किसी में सडक़ पर अवैध रूप से जेनरेटर लगाए गए हैं और तमाम संपत्तियों का व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है।
5सी-2 (बीपी) प्रॉपर्टी देवर-भाभी (दीपक नारंग-मौनिका नारंग) के नाम पर है। पांच सौ गज के इस प्लॉट के चारों तरफ 800 गज जगह घेरी हुई है। तीन मंजिला इस बिल्डिंग में प्राइवेट अस्पताल चल रहा है और किराये के रूप में लाखों रुपये आ रहे हैं। कुछ प्रॉपर्टी पर फेडरल बैंक से लोन है लेकिन अवैध कब्जों वाली जगह पर बैंक किस तरह लोन दे देते हैं, यह भी गहन जांच का विषय है।
सेक्टरों में कुछ कोठियों में 90 फीसदी तक निर्माण किया गया है, जबकि जिस समय ये प्लॉट लिए गए थे, उस समय का एफएआर दस फीसदी था। लेकिन न तो हूडा ने और न बाद में एमसीएफ ने इस पर ध्यान दिया।
पानी की पाइपलाइन प्लॉट के अंदर
एमसीएफ की पेयजल आपूर्ति की मुख्य लाइन कोई भी शख्स अपने प्लॉट के अंदर नहीं ले सकता। यह कानूनी जुर्म है। लेकिन नारंग परिवार ने यहां भी एमसीएफ की मिलीभगत से कारनामा अंजाम दे रखा है। सेक्टर 15 ए में दीपक नारंग की जो जगह राधा स्वामी सत्संग के पास है, वहां से नगर निगम के पेयजल सप्लाई की मुख्य पाइपलाइन गुजर रही है। दीपक नारंग ने उस पाइपलाइन को अपने प्लॉट के अंदर ले रखा है। उस पर दीवार बनी हुई है और गमले रखे हुए हैं। पानी की इस मुख्य पाइपलाइन के दुरुपयोग की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता। लेकिन एमसीएफ ने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया। समझा जाता है कि ऐसा जानबूझकर किया गया है, अन्यथा एमसीएफ अफसरों के मिलीभगत के बिना कोई ऐसा नहीं कर सकता।
इसी तरह बिजली चोरी के केस और बिजली के बकाया बिलों के मामले भी नारंग परिवार पर हैं। इनकी एक फैक्ट्री की बिजली कट चुकी है, जिसे बिजली विभाग ने दोबारा जोडऩे से मना कर दिया है। बिजली विभाग पर कई लाख की देनदारी इन लोगों की है।
सामाजिक कार्यकर्ता और आरटीआई एक्टिविस्ट रमेश छाबड़ा नारंग परिवार द्वारा सरकारी जमीनों को कब्जाने के मामलों को लगातार उठा रहे हैं। उन्होंने इस संबंध में हरियाणा के मुख्यमंत्री के पास तमाम ब्यौरे के साथ शिकायत भी भेजी है लेकिन सीएम दफ्तर में भ्रष्टाचार की शिकायतें एक सीमा से आगे नहीं बढऩे दी जाती हैं। कुछ अधिकारियों की नजर ऐसी शिकायतों पर रहती है और वे तमाम सामाजिक कार्यकर्ताओं और आरटीआई एक्टिविस्टों की शिकायतों को दबा देते हैं। लेकिन रमेश छाबड़ा ने हार नहीं मानी है और वे लगातार तमाम सरकारी एजेंसियों को इस बारे में अवगत करा रहे हैं।