उतावले केंद्रीय मंत्री ने मिठाई बांटी, बधाइयां ले लीं लेकिन पार्टी ने कहा अफवाहों से बचें

उतावले केंद्रीय मंत्री ने मिठाई बांटी, बधाइयां ले लीं लेकिन पार्टी ने कहा अफवाहों से बचें
July 04 06:53 2020

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद की लड़ाई में कृष्णपाल गूर्जर बने सैंडविच

मजदूर मोर्चा ब्यूरो

फरीदाबाद: केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गूर्जर को हरियाणा प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा ऐन वक्त पर रोक ली गई। इधर, उतावले कृष्णपाल ने अपने घर पर बधाइयां लेनी शुरू कर दीं और समर्थकों ने मिठाई बांटना शुरू कर दी। गोदी मीडिया के पत्रकारों से कहा गया कि वे पूरे दावे के साथ खबर जारी कर दें, बेचारों ने ऐसा किया भी लेकिन 30 जून को हरियाणा भाजपा के अधिकृत ट्विटर हैंडल से बयान जारी किया गया कि इस तरह की कोई सूचना हमारे पास नहीं, कृपया अफवाहबाजों से बचें। दरअसल, ये घोषणा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को करनी है लेकिन भाजपा की जाट लॉबी द्वारा इस पर आपत्ति करने से कृष्णपाल के नाम की घोषणा फिलहाल रोक दी गई है।

जाट लॉबी बनाम गूर्जर लॉबी

पिछले विधानसभा चुनाव में हरियाणा भाजपा के प्रदर्शन के बाद से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को बदलने की बात चल रही है। खुद प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला चुनाव हार गए। उनके बेटे का नाम कथित छेडख़ानी की घटना में आने और पुलिस केस बनने के बाद कांग्रेस आलाकमान ने बराला के विकल्प की तलाश शुरू कर दी थी। बराला को फौरन सिर्फ इसलिए नहीं हटाया जा सका था क्योंकि अमित शाह अपने हरियाणा दौरे पर बराला और उसके लडक़े की सेवा से बहुत प्रसन्न थे। इसलिए बराला की जगह नए अध्यक्ष को लाने का मामला टलता रहा। अब जब जेपी नड्डा को पार्टी की बागडोर मिली तो पहले से तय एजेंडे के तहत हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष पद पर नए शख्स की तलाश शुरू कर दी गई। पार्टी की तरफ से संकेत मिला कि अब जाट की जगह किसी नए समुदाय को खुश करने के लिए उनके समुदाय से अध्यक्ष बनाया जाए।

क्योंकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पंजाबी समुदाय से हैं तो किसी पंजाबी को प्रदेश अध्यक्ष पद नहीं सौंपा जा सकता। मुख्यमंत्री खट्टर ने तुरुप की चाल चलते हुए अत्यंत कमजोर माने जाने वाले कृष्णपाल गूर्जर को गूजरों का नेता बताते हुए उनका नाम पेश कर दिया। नड्डा को यह बात जम भी गई कि गूजरों के बीच पार्टी की छवि भुनाई जा सकती है। लेकिन हरियाणा में भाजपा की जाट लॉबी ने इस पर कड़ा ऐतराज पेश किया।

राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक हरियाणा भाजपा के प्रमुख जाट नेताओं कैप्टन अभिमन्यु, चौधरी बिरेंद्र सिंह और ओ.पी. धनकड़ ने पार्टी आलाकमान को समझाया कि जाटों के एक बड़े हिस्से को बड़ी मुश्किल से भाजपा के खेमे में लाया गया है। अन्यथा जाट या तो कांग्रेस के साथ हैं या फिर ओमप्रकाश चौटाला की पार्टी इनैलो के साथ हैं। पार्टी आलाकमान को यह भी बताया गया कि हरियाणा में गूजरों की आबादी जाटों के मुकाबले कहीं नहीं ठहरती। तीन से ज्यादा गूजर विधायक कभी नहीं बनते। इस आधार पर भी गूजरों को प्रतिनिधित्व देना जोखिम मोल लेना है। पार्टी को जाटों को नाराज नहीं करना चाहिए। आला कमान को यह बात समझ में आ गई और फिलहाल कृष्णपाल के नाम की घोषणा रोक ली गई। पार्टी आलाकमान को यह भी बताया गया कि कृष्णपाल गूर्जर 2009 से 2013 तक प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रहे लेकिन पार्टी उनके नेतृत्व में कोई खास या बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं कर पाई। यहां तक कि गूर्जर पार्टी का सदस्यता अभियान भी ठीक से नहीं चला सके थे।

कृष्णपाल की बेताबी और विरोधियों की सक्रियता

बुढ़ापे की ओर बढ़ रहे कृष्णपाल गूर्जर दरअसल प्रदेश अध्यक्ष पद हासिल कर अपने बेटे देवेन्द्र चौधरी को राजनीति में पूरी तरह स्थापित करना चाहते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने बेटे को तिगांव विधानसभा की सीट से टिकट दिलाने की भरपूर कोशिश की लेकिन दाल नहीं गली। अगर वह प्रदेश अध्यक्ष बने तो राज्य से बेटे के नाम की सिफारिश होने पर पार्टी के स्तर पर कोई विरोध नहीं कर पाएगा। दूसरी तरफ वो यह भी जानते हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे तो कुछ नए लोगों को मौका देंगे। ऐसे में उनका मंत्री पद जा सकता है। इसलिए प्रदेश अध्यक्ष बन जाना सेफ जोन में चला जाना होगा। बहरहाल, प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पाकर कृष्णपाल कई सारे शिकार एकसाथ करना चाहते हैं।

कृष्णपाल के पालतू गोदी मीडिया ने जब अपने आका के कहने पर प्रदेश अध्यक्ष बनाने की खबर जल्दबाजी में सार्वजनिक कर दी तो विरोधी लॉबी भी सक्रिय हो गई। लेकिन कृष्णपाल के घर और दफ्तर पर मिठाई बंटने का सिलसिला शुरू हो गया। लोग बधाई देने आने लगे। इस पर सोशल मीडिया में लोगों ने केंद्रीय मंत्री पर तमाम तरह के आरोप लगाने शुरू कर दिए। कुछ लोगों ने ट्विटर पर साफ-साफ लिखकर आरोप लगाया कि पार्टी का टिकट बेचने वाले को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का मतलब है कि पार्टी आत्महत्या की ओर बढ़ रही है। कृष्णपाल समर्थकों ने इसका जवाब भी देने की कोशिश की। लेकिन बचाव में सिर्फ इतना कह सके कि मौजूदा अध्यक्ष सुभाष बराला की बुरी तरह हार हुई है, इसलिए कृष्णपाल को बनाना सही कदम है। लेकिन आरोपों की गंभीरता को देखते हुए कृष्णपाल समर्थक बचाव में उतरे और कहा कि उनके बनने से प्रदेश में गूजरों का सम्मान बढ़ेगा। कुछ लोगों ने कृष्णपाल को हरियाणा शेर भी बता डाला। सूत्रों का कहना है कि सोशल मीडिया पर कृष्णपाल गुर्जर के खिलाफ सुभाष बराला और विपुल गोयल ने अभियान चलाया था जबकि कृष्णपाल की ओर से कुछ पालतू पत्रकार औऱ वकील जवाब दे रहे थे।

जाटों की नाराजगी का जोखिम ले सकेगी भाजपा

जाट लॉबी से कृष्णपाल गूर्जर के नाम का विरोध होने के बाद पार्टी अब पसोपेश में है कि आखिर वह किसी नए जाट नेता को ही प्रदेश अध्यक्ष बनाए। इसलिए अब कैप्टन अभिमन्यु के नाम पर गंभीरता से विचार हो रहा है। कैप्टन की आरएसएस में भी अच्छी पैठ है। इसलिए उनके नाम पर सहमति की ज्यादा संभावना लग रही है। लेकिन संदीप जोशी का नाम भी कतिपय खेमा चला रहा है, क्योंकि संदीप जोशी संगठन का काम संभालते रहे हैं और उन्हें आरएसएस से भाजपा में भेजा गया था। चूंकि संदीप जोशी किसी जाति या समूह के वोट बैंक से नहीं है, इसलिए उनका नाम कट भी सकता है। भाजपा और कांग्रेस जैसी गैर लोकतांत्रिक दलों में फैसले धर्म और जाति के समीकरण देखकर ही होते हैं।

सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस से भाजपा में आए चौधरी बिरेंद्र सिंह ने पार्टी को बिना मांगे सलाह दी है कि किसी जाट को ही फिर से प्रदेश अध्यक्ष बनाना ज्यादा बेहतर होगा। हमें जाटों की नाराजगी मोल नहीं लेनी चाहिए। लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को किसी ताकतवर जाट के मुकाबले कमजोर कृष्णपाल गूर्जर ज्यादा पंसद आ रहे हैं।

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles