उजाड़े गए लोगों ने हरियाणा के मंत्री व बल्लभगढ़ के विधायक मूलचंद शर्मा पर तमाम गंभीर आरोप लगाये

उजाड़े गए लोगों ने हरियाणा के मंत्री व बल्लभगढ़ के विधायक मूलचंद शर्मा पर तमाम गंभीर आरोप लगाये
August 01 10:39 2020

पैसे नहीं पहुंचे तो चुन-चुन कर तोड़े गरीबों के मकान

सुरूरपुर में प्रॉपर्टी डीलर, नगर निगम और नेताओं की रस्साकशी का शिकार हुए कई परिवार

विवेक कुमार

फरीदाबाद: नगर निगम ने सोमवार को सुरुरपुर में करीब दो दर्जन मकान चुन-चुन कर गिरा दिये। ये सभी मकान गरीब परिवारों के थे जिनमें कईयों के पास रजिस्ट्रियां भी हैं। लेकिन इस घटनाक्रम से भूमाफिया और नगर निगम के बीच मिलीभगत और नेताओं से रस्साकशी का मामला सामने आया है। मजदूर मोर्चा की पड़ताल में यह पाया गया कि नेताओं तक पैसा नहीं पहुँचने के कारण उन्होंने अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए नगर निगम से उन्ही मकानों को तुड़वाया जिसे एक खास प्रॉपर्टी डीलर ने बेचा था। हालाकि इस इलाके में तमाम अवैध प्लाटिंग की गई है, लेकिन नगर निगम ने उन्हें छुआ तक नहीं।

मोदी राज में भी उजाड़े गए

मजदूर मोर्चा टीम जब वहाँ उजाड़े गए परिवारों का दर्द जानने पहुंची तो लोगों के आंसू फूट पड़े। शाही एक्सपोर्ट में काम करने वाली सुशीला तिवारी ने सरूरपुर गाँव के खेतों में कटी श्याम कालोनी में एक प्लाट नरेश अग्रवाल नामक डीलर से ले लिया। प्लाट में घर बनवाने के लिए शुशीला ने नौकरी छोड़ कर गारा-माटी ढोई और खून-पसीने की सारी कमाई पहले प्लाट लेने में और अब घर बनाने में खर्च कर दी। मात्र दो महीने पहले बने घर को निगम ने जमींदोज कर दिया। सुशीला का कहना है कि उन्होंने 2014 में यहाँ प्लाट लेने के बाद बड़ी उम्मीदों से मोदी जी की पार्टी को वोट दिया था। इसके बाद दोबारा 2019 में भी दिया, लेकिन 2020 में उसके सपने को निगम ने मिट्टी में मिला दिया। उसे उम्मीद थी कि मोदी के राज में गरीब नहीं उजाड़े जाएंगे।

सुशीला की ही तरह कृष्णा ठाकुर उर्फ रंगीला का मकान भी निगम ने पीछे से तोड़ डाला है। 30 सालों से फरीदाबाद में ही रहने और पेशे से फोटो स्टूडियो चलाने वाले रंगीला ने बताया कि उन्होंने मकान की रजिस्ट्री 2014 में ही करवाई हुई है उसके बावजूद मकान तोड़ दिया गया। हताश मन से अपनी मोटरसाइकिल का साइड स्टैंड लगा कर बनियान पहने रंगीला, सिस्टम की कमियाँ निकाल कर अपनी भड़ास पूरी कर रहे थे। ऐसे पचासियों मकानों को निगम के दस्ते ने खास पैटर्न के तहत जमींदोज कर दिया है, जी हाँ, खास पैटर्न के तहत। मौके पर जाकर मजदूर मोर्चा टीम ने पाया कि कुछ चुनिन्दा मकानों को ही तोड़ा गया था।

क्या कारण थे जो सिर्फ कुछ चुने हुए मकान ही तोड़े गए। इस बारे में जब स्थानीय निवासियों से पूछा गया तो उन्होंने दबी जबान में कहा कि जिसने चढ़ावा चढ़ा दिया उनके नहीं तोड़े और जिनसे कुछ मिलने की उम्मीद नहीं थी उनके मकान ढहा दिए गए। इस तरह निगम की कार्यवाही का नाटक भी पूरा हो गया।

मकानों की पहचान कर तोड़ा

नाम न छापने की शर्त पर एक स्थानीय निवासी और ज्यादातर मकानों की चिनाई का काम करने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि निगम ने कुछ घरों पर सील करने वाला कपड़ा बाँध दिया जबकि ऊपर से सील नहीं लगाई। कपड़े को देखकर तोडऩे वाले दस्ते को इशारा मिल गया कि इन मकानों से चढ़ावा चढ़ गया है सो उसे नहीं तोडऩा। इसी तरह इलाके में दो स्कूल हैं जिनमे एसपी कान्वेंट को तोड़ दिया गया जबकि डीएसपी कान्वेंट को नहीं तोड़ा।

अब ऐसा कैसे हुआ, कुरेदने से कथित तौर पर मालूम चला कि दोनों स्कूलों से चढ़ावा गया पर एसपी कान्वेंट में जो सील वाली पट्टी लगाईं गई थी वो स्कूल के अन्दर मुख्य दरवाजे पर लगी थी, उसी के चलते तोडऩे वाला दस्ता देख नहीं सका और बाहर की दीवार तोड़ दी। जब तक अपनी गलती का अहसास होता तब तक दीवार टूट चुकी थी।

मालदा बंगाल की रहने वाली एक महिला शबीना ने बताया, उनके पति एक हाथ गँवा चुके हैं और अब काम नहीं कर पाते। सारे पैसे जोड़ कर यह छोटा सा प्लाट ले पाए थे और अपने हाथों से मकान को बनाया था। निगम ने एक नहीं सुनी और मकान ढहा दिया। अपने तीन बच्चे और अपाहिज पति को लेकर कहा जाएँ, क्या करें कुछ समझ नहीं आ रहा।

एक तो लॉकडाउन की मार झेल रहे इन गरीबों के पास पहले ही काम नहीं बचा था, ऊपर से जिन्दगी भर की कमाई से बना मकान गिरता देख ये जी कैसे रहे हैं इसकी पीड़ शायद निगम के वे भ्रष्ट अधिकारी नहीं समझ सकते जिनकी एक-एक इंट चोरी के पैसों से बनी है।

रजिस्ट्री और एग्रीमेंट के बावजूद तोडफ़ोड़

लगभग सभी के पास एग्रीमेंट के कागज हैं और कुछ के पास तो रजिस्ट्री तक मौजूद होने के बाद भी उनका घर गिरा दिया गया। मान लिया जाए, जो कि सच भी है कि यह प्लाट अवैध हैं तो क्या संभव है कि प्लाट बेचते वक्त निगम को इसकी जानकारी नहीं? क्या तहसीलदार फर्जी रजिस्ट्री कर रहा है, और यदि कर रहा है तो कितनो पर कानूनी कार्यवाही हुई?

उजाड़े गए लोगों ने हरियाणा के मंत्री व बल्लभगढ़ के विधायक मूलचंद शर्मा पर तमाम गंभीर आरोप लगाये। इन लोगों ने कहा कि मंत्री जी को इन डीलरों से (कथित) चढ़ावा चाहिए इसीलिए इस तोड़-फोड़ की कार्रवाई को अंजाम दिया गया है, अब जैसे ही चढ़ावा पहुंचेगा कुछ दिन बाद निगम भी शांत बैठ जाएगा और यही मकान इन्ही अधिकारियों की देखरेख में फिर से बन जाएंगे। हालाँकि मजदूर मोर्चा कथित च?ावे के आरोप की पुष्टि नहीं कर रहा।

डीलरों से चलता है निगम अफसरों का धंधा

अनपढ़ गरीबों का एक-एक पैसा चूसने वाले अधिकारियों का धंधा इलाके में सक्रिय डीलर गिरोह के दम से चलता है। जिन मकानों को तोड़ा गया है उसका एक खास पैटर्न यह भी है कि सभी को जमीन नरेश अग्रवाल नामक डीलर ने बेचीं है। रीता देवी के नाम से की हुई एक रजिस्ट्री में हमने पाया कि अग्रवाल ने जमीन को अपना बताते हुए भविष्य में यदि कोई कमी निकले तो जिम्मेवारी तक ली हुई है।

अब इतना सब होने के बाद अग्रवाल न तो किसी का फोन उठा रहा है न ही अन्य तरह से उपलब्ध हो रहा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि निगम की तरफ से उन्हें किसी भी तरह का कोई नोटिस भी नहीं दिया गया और अचानक आ कर मकान तोड़ दिया। दरअसल इन सबके पीछे एक अलग अर्थशास्त्र काम करता है। इलाके के एक जानकार ने बताया, निगम ने नोटिस अग्रवाल को दिया होगा क्योंकि इन गरीबों से तो क्या ही उगाही की जा सकती है तो अच्छा है उसे नोटिस दो जो पैसे दे सके। डीलर अग्रवाल इस नोटिस की खबर निवासियों को नहीं देगा क्योंकि उसे भी अपने सिर के बाल बचाने हैं, इस बीच थोड़े बहुत मकान तोड़ कर डीलर पर दबाव बन लिया गया और अब चढ़ावा पहुँच जाएगा। इतना होने के बाद डीलर कई और प्लाट इसी तरह से बेचेगा और और गरीब मुर्गे फंसायेंगा।

अपने विधायक को सुनाया दुखड़ा

मकान टूटने का दर्द लेकर लोग पृथला विधानसभा क्षेत्र के विधायक नयनपाल रावत के दरवाजे पहुंचे तो उन्होंने भाजपाई होने का फर्ज निभाते हुए सबको अपनी जेब से मुआवजा देने का फुस्सी बम फोड़ सबको चलता किया। मूर्ख जनता इस आश्वासन को लेकर घर में बैठ गई और दोबारा अपनी टूटी दीवारें सीधी करने लग गई। इसी तरह डीलर नरेश अग्रवाल, नेता, निगम और पुलिस सबका काम चलता रहेगा और इसी तरह मकान बनते टूटते नया भारत बनता रहेगा, बेशक सरकार राम जी की ही क्यों न बन जाए।

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Mazdoor Morcha
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