अब एआरडी इंडस्ट्रीज में कटी मजदूर की उंगली पुलिस, नेता,  डॉक्टर,  लेबर कोर्ट…हर किसी ने राहुल को किया निराश

अब एआरडी इंडस्ट्रीज में कटी मजदूर की उंगली  पुलिस, नेता,  डॉक्टर,  लेबर कोर्ट…हर किसी ने राहुल को किया निराश
October 03 14:14 2020

 

विवेक कुमार

फरीदाबाद: यहां के कारखानों में मजदूरों की उंगली कटने, हाथ कटने जैसी घटनाएं रुकने का नाम ही नहीं ले रही हैं। दूसरी तरफ लेबर डिपार्टमेंट हाथ पर हाथ धरे बैठा है। बीते 10 सितम्बर को 25 साल के राहुल के दाहिने हाथ की उंगली कट गई। पैटर्न तकरीबन वही जैसे वीनस व् अन्य कंपनियों के मजदूरों की उंगली कटने का था। उसके बाद पुलिस व् अन्य सरकारी महकमों का भी पैटर्न इस मामले में भी पहले जैसा रहा। अभी पिछले महीने वीनस कंपनी के मजदूर, सागर की भी ठीक इसी प्रकार से उंगली कट गई थी। उस केस में मजदूर संगठनों ने मिल कर धरना प्रदर्शन किया और प्रबंधन को कुछ मुआवजा सागर नामक श्रमिक को दबाव में देना पड़ा। लेकिन राहुल के साथ ऐसा नहीं हुआ।

लेबर कोर्ट फरीदाबाद में राहुल दाहिने हाथ की अपनी कटी उंगली पर एक पट्टी लगवाए और उसे बाएं हाथ के सहारे से टिकाये अपने हमउम्र दोस्त व माँ के साथ भटक रहे थे। बात करने पर उन्होंने बताया कि आईएमटी में प्लाट नंबर 793 स्थित एआरडी इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड में 2 सितम्बर को राहुल को बतौर हेल्पर 9300 रुपये मासिक वेतन तय कर काम पर रखा गया। इस नौकरी में सप्ताह भर बाद ही राहुल को ऑपरेटर के काम पर जबरन लगा दिया गया। जैसा हमेशा ही होता है मशीन की खराबी का खामियाजा मजदूर को अपनी उंगली, हाथ या जान गवां कर चुकानी पड़ती है, राहुल के साथ भी यही हुआ।

सुपरवाइजर ओमप्रकाश से मशीन की खराबी की शिकायत करने के बावजूद राहुल को जरूरी सुरक्षा उपकरण नहीं दिए गए और जबरन मशीन पर बिना कोई ट्रेंनिंग दिए लगाये रखा गया। मशीन में उंगली कटने के बाद ठीक उन्ही घटनाओं की पुनरावृति हुई जो वीनस या अन्य कंपनियों में मजदूर के साथ दुर्घटना घटने पर होती रही है। सुपरवाइजर ओमप्रकाश राहुल को नीलम चौक स्थित सूर्या अस्पताल ले गए। वहां बिना पुलिस को सूचित किये उंगली पर टाँके लगा कर मामले को रफा-दफा किया गया। साथ ही ओमप्रकाश ने राहुल से यह कहते हुए कागज पर दस्तखत करवा लिए कि वह कंपनी पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करेगा। ओम प्रकाश ने धमकी भी दी कि अगर तूने पुलिस को बताया या कोई केस किया तो फिर कंपनी तेरी कोई मदद नहीं करेगी। अज्ञानतावश और डर से राहुल ने हामी भर दी। दो दिन पट्टी करवाने के बाद कंपनी ने इलाज करवाने के खर्च से हाथ खड़े कर दिए और राहुल को नौकरी से भी निकाल दिया।

जेब में इलाज तक के पैसे न होने की सूरत में राहुल चन्दावली पुलिस चौकी पर मदद लेने पहुंचे तो राजकुमार नामक पुलिसकर्मी ने यह कह कर भगा दिया कि जा पहले एमएलआर लेकर आ, जबकि एमएलआर कटवाना तो खुद पुलिस का ही काम है। एमएलआर के लिए सूर्या अस्पताल ने 2000 रुपये की मांग की। सूर्या अस्पताल से जब मजदूर मोर्चा टीम ने इस बाबत बात की तो उनके अनुसार ये पैसे इसलिए मांगे जा रहे हैं क्योंकि डॉक्टर साहब को कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने पड़ेंगे। वैसे खास बात है कि शहर में कहीं भी उंगली या हाथ कटे तो उन कंपनियों की मैनेजमेंट पीडि़त को सूर्या अस्पताल में भेजती है और ये अस्पताल हर बार बिना पुलिस को सूचित किये काम-तमाम कर देता है।

पुलिस से निराश होकर राहुल ने श्रम विभाग का रुख किया जहाँ एक वकील ने 500 रुपये लेकर कंपनी को नोटिस भेज दिया। कंपनी से नोटिस का कोई जवाब न आने की सूरत में वकील ने राहुल को 3000 रुपये लेकर लेबर कोर्ट आने को कहा। जेब में पैसों की कडक़ी के कारण वकील की फीस देना राहुल के बूते से बाहर की बात है सो खुद ही अपना मामला आगे ले जाने का प्रयास करने लगा।

सरकारी बाबू ने कटी उंगली वाले इस पीडि़त से पहले अपनी शिकायत लिखित रूप से लेकर आने को कहते हुए एक कमरे में भेज दिया। यह कमरा ट्रेड यूनियन के लोगों का सामूहिक रूप से बैठने का कमरा है। यहाँ राहुल को सबसे पहले मिले मजदूरों के नाम पर मसीहा बने यूनियन एजेंट। एक कागज पर अपना नाम लच्छीराम और टेलीफोन नम्बर के साथ घर का पता देते हुए कह दिया कि शाम को 500 रुपये लेकर घर आ जाना। जब मजदूर मोर्चा ने लच्छी राम से पूछा कि क्या वह श्रम विभाग में कार्यरत है और क्या यह 500 रुपये किसी फीस के तौर पर मांगे गए हैं? पहले तो लच्छीराम ने सभी यूनियनों- इंटक, एटक, सीटू का नाम लेकर रोब झाडऩे की कोशिश की पर बात बनती न देख बोले कि मैं प्राइवेट आदमी हूँ, अपनी फीस ले रहा हूँ, आपको दिक्कत है तो सरकारी बाबू से लिखवा लो।

शिकायत से संबंधित सरकारी क्लर्क से जब मजदूर मोर्चा रिपोर्टर मिला तो बाबू ने हिकारत की नजरों से राहुल को देखते हुए कहा कि इसे बता दिया था कि एक शिकायत लिख कर ले आये अपनी। पर जब उसकी उंगली कटी है तो वह लिखे कैसे, क्या ऐसे मामले में शिकायत लिखने के लिए कोई हेल्प डेस्क का प्रावधान नहीं है, जवाब नहीं में मिला।

थक-हार कर राहुल दोबारा पुलिस की शरण में गया जहाँ चन्दावली पुलिस चौकी से सदर पुलिस थाने के कई चक्कर कटवाने के बाद राहुल की दरखास्त ले ली गई और उचित कार्रवाई करने का दिलासा देकर फिलहाल घर भेज दिया गया। पुलिस के बुलाने पर 1 अक्टूबर को राहुल फिर थाने गया। राहुल को धमकाते हुए एक एएसआई ने कहा कि एक ओर तूने लीगल नोटिस दे रखा है दूसरी तरफ तू एफआईआर करवाने आ गया, ऐसा कहीं होता है? इसके बाद राहुल को बाद में आने को कहकर घर भेज दिया। कार्यवाही के नाम पर पुलिस आईएमटी में दो अक्टूबर की छुट्टी का बहाना बना कर एक दिन और निकाल दिया है। एएसआई असलम खान ने अपना पक्ष रखते हुए उपरोक्त आरोपों से मुकरते हुए उचित कार्यवाही करने का आश्वासन दिया।

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