अनखीर गाँव में मासूम बच्ची दरिंदगी की शिकार शहर में बलात्कारी-हत्यारे बेख़ौफ़ हैं और जनता दहशतज़दा

अनखीर गाँव में मासूम बच्ची दरिंदगी की शिकार शहर में बलात्कारी-हत्यारे बेख़ौफ़ हैं और जनता दहशतज़दा
January 10 01:56 2023

सत्यवीर सिंह
बडख़ल क्षेत्र के, अनखीर गाँव निवासी, निर्धन दिहाड़ी मज़दूर की 7 वर्षीय बेटी, 27 दिसंबर को सुबह 8 बजे, हर रोज़ की तरह, स्कूल के लिए निकली. कक्षा 1 की, फूल जैसी मासूम मुन्नी, 2 बजे की जगह, जब 3 बजे तक भी घर नहीं पहुंची, तो उसकी मम्मी घबरा गईं. पड़ोसियों के साथ, उन्होंने सारा गाँव छान मारा, लेकिन बच्ची का कहीं पता नहीं चला. उसी दिन, शाम, 7.30 बजे, अनखीर पुलिस चौकी में लिखित रिपोर्ट दी गई. गली में लगे कैमरे के रिकॉर्ड चेक किए तो देखा, कि रविंदर उफऱ् राजा पुत्र जय प्रकाश ने मुन्नी को, घर से निकलते ही, 8 बजकर 4 मिनट पर दबोच लिया और खींचकर अपने घर में ले गया. गाँव वालों ने पुलिस को सारी जानकारी दी. पुलिस ने रविंदर उफऱ् राजा को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया. उससे पूछताछ के बाद, 29 दिसंबर को दोपहर लगभग 12 बजे मासूम मुन्नी की क्षत-विक्षत लाश, अरावली के जंगलों में मिली. बच्ची की लाश देखना और उसे यहाँ लिखना भी असहनीय है. बे-इन्तेहा बर्बरता के बाद उसकी नृशंस हत्या की गई थी. 11 अगस्त को, रक्षाबंधन के दिन, आज़ाद नगर में ऐसी ही दुर्दांत घटना की तरह, ये वहशी वारदात भी पूरे समाज को शर्मसार कर देने वाली है. अफ़सोस की बात है कि ऐसे भयानक अपराध फऱीदाबाद में बढ़ते जा रहे हैं. बलात्कारी-हत्यारे बेख़ौफ़ हैं, और मज़दूर दहशतज़दा.

आज़ाद नगर की तरह, ‘क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा’, इस हृदयविदारक वारदात को सुनते ही, पीडि़त परिवार को न्याय दिलाने की मुहीम में जुट गया. गाँव के लोग गुस्से में उबल रहे थे- ‘जिस बच्ची के साथ ज़ुल्म हुआ वह पूरे गाँव की बेटी थी’.घर-घर जाकर पर्चे बाटे गए और इंसाफ के लिए 2 जनवरी को डी सी कार्यालय पर प्रदर्शन-सभा-ज्ञापन करने का फैसला हुआ. महिलाऐं पुरुषों से भी ज्यादा आक्रोशित नजऱ आ रही थीं. 2 तारीख की सुबह गाँव का माहौल पूरी तरह बदल डाला गया था. गाँव में, प्रमुख किराणा दुकान चलाने वाले, चमन गर्ग, पुराने संघी हैं और भाजपा की जि़ला ईकाई में किसी पद पर हैं. किराणा दुकान के साथ ही वे अपनी राजनीतिक दुकान जमाने की हसरत भी पाले हुए हैं. वे अच्छी तरह जानते हैं कि क्रांतिकारी राजनीति ऐसी ज़मीन तैयार करेगी कि उनकी फिऱकापरस्त राजनीति का पौधा, अव्वल तो जमेगा ही नहीं, और जम भी गया तो पनपेगा नहीं. वे, सुबह तक गाँव वालों के उत्साह और आक्रोश पर ठंडा पानी डाल चुके थे. ‘आप तो हमारी भाजपा सरकार के खि़लाफ़ हैं’, गुस्से में हमसे कहते हुए, वे गाँव वालों को ही नहीं पीडि़त मज़दूर को भी इस कार्यक्रम से दूर रखने में कामयाब रहे. क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा के कार्यकर्ता, अपने अभियान में डटे रहे.

तब ही, गाँव में एक बहुत उत्साहवर्धक नज़ारा सामने आया. अवर्णनीय बर्बरता की बलि चढ़ी, मासूम बच्ची की माँ ने सबसे पहले मर्दवादी फ़तवे को चुनौती देते हुए घोषणा कि ‘भले कोई ना जाए, मेरा पति भी जाने को मना कर दे, लेकिन अपनी बच्ची को न्याय दिलाने के संघर्ष में वे ज़रूर शामिल होंगी’. अपनी बहन को खो चुकीं उनकी तीनों बेटियां, अपनी माँ द्वारा दिखाए साहस से खिल उठीं. मकान मालिक की माता जी वहीं बैठी थीं.

स्थिति समझकर वे बोलीं, ‘बेटी तू अकेली क्यों जाएगी. हम हैं तेरे साथ. मैं तो बीमार हूँ, लेकिन मेरी बहु जाएगी. चमन कौन होता है, हमें रोकने वाला? चल पूनम तैयार हो जा.’ पूनम जी तो ख़ुद जाने को उत्सुक थीं ही. तुरंत तैयार हो गईं. महिलाओं के साहस ने पूरा परिदृश्य ही बदल डाला. जैसे-जैसे दोनों बहादुर महिलाऐं आगे बढीं, और महिलाऐं आती गईं और क़ाफि़ला बनता गया. कुल दस महिलाऐं, डी सी कार्यालय जाने के लिए जैसे ही मुख्य सडक़ पर पहुँचीं, चमन गर्ग अपनी गाड़ी लेकर पहुँच गया. गऱीब विस्थापित मज़दूर महिला की लाचारी उसकी भावनाओं को कुचलकर हावी हो गई और चमन गर्ग ने जैसे ही पीडि़त महिला को गाड़ी में बैठने का हुक्म सुनाया, वे मना नहीं कर पाई. पीडि़त महिला के वापस लौट जाने पर बाक़ी महिलाओं को भी वापस लौटना पड़ा.

अनखीर गाँव से एक भी व्यक्ति आक्रोश प्रदर्शन में शामिल नहीं हुआ लेकिन सारा गाँव चमन गर्ग की कुत्सित राजनीति समझ गया और गाँव में वैचारिक उद्वेलन शुरू हो गया है. भले ही लोग, संभावित संख्या से कम रहे, लेकिन प्रोग्राम जैसे तय था, ठीक वैसे ही हुआ. आज़ाद नगर की पीडि़त महिला ने भी अपना दर्द साझा किया. सीपीआई के ट्रेड यूनियन नेता कॉमरेड आर एन सिंह ने सभा को संबोधित किया. कॉमरेड जगराम सिंह, लोकप्रिय साप्ताहिक मज़दूर मोर्चा के संपादक कामरेड सतीश जी, दिल्ली के कुछ छात्र कार्यकर्ताओं ने भी मज़दूरों का उत्साह बढाया. क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा की ओर से कामरेड्स नरेश, सत्यवीर सिंह, हरेन्द्र ने सभा को संबोधित किया. डी सी की ओर से सिटी मजिस्ट्रेट ने ज्ञापन स्वीकार करते हुए, तुरंत उचित कार्यवाही करने का आश्वासन दिया. ज़ोरदार नारों और न्याय के इस संघर्ष को अंजाम तक पहुँचाने के अहद के साथ, सभा संपन्न हुई.

बलात्कारियों-हत्यारों को जेल से छुड़ाकर उनका फूल मालाओं और लड्डुओं से स्वागत किया जा रहा है. स्कूल बंद हो रहे हैं और शराब के नए-नए ठेके खुलते जा रहे हैं. महिलाओं को नग्न रूप में उपभोग की वस्तु की तरह प्रस्तुत किया जा रहा है. सुनियोजित तरीक़े से, युवाओं को संघर्षों के रास्ते से विमुख करने के लिए, अँधेरे गर्त में धकेला जा रहा है. नशे के दूसरे अत्यंत घातक पदार्थ भी सभी जगह आसानी से उपलब्ध हैं. नशा एक उद्योग बन चुका है और नशे के मामले में देश, सही में ‘विश्वगुरु’ बन चुका है. जहाँ लोकतंत्र के तथाकथित मंदिर, संसद में ‘माननीय’ सांसद पोर्न देखते हों, पुलिस थानों में बड़ी संख्या में बलात्कार होते हों, मुख्य न्यायाधीश तक पर यौन शोषण के गंभीर आरोप हों, मीडिया द्वारा लगातार अश्लीलता परोसने की प्रतियोगिता चलती हो, उस व्यवस्था इस घुटन और सडऩ के अलावा और क्या मिलेगा?

ऐसे में समाज को अपने भविष्य के बारे में गंभीरता से चिंतन-मनन करने की ज़रूरत है. मेहनतक़श अवाम को जागरुक और संगठित होकर, संघर्षों के आलावा कोई विकल्प नहीं है. इक_े होकर ही हम नए, सुन्दर समाज का निर्माण कर सकते हैं, जहाँ पूंजी का नहीं बल्कि श्रम का सम्मान होगा, जहाँ हर योजना, मुनाफ़े के लिए नहीं बल्कि पूरे समाज की असल ज़रूरतों के अनुसार होगी. ज्ञापन की मांगें हैं;

1) मुन्नी को न्याय दिलाने के लिए ये मुक़दमा ‘फ़ास्ट ट्रैक’ अदालत में चलाया जाए. अपराधी को, न्यायिक प्रक्रिया के तहत, जल्दी से जल्दी, कठोरतम दंड दिलाया जाए जो एक मिसाल बने.

2) दिहाड़ी मज़दूरों का ये पीडि़त परिवार अत्यंत निर्धन है. किराए के कमरे में रहता है. उनकी 11, 4 और 2 साल की तीन और बच्चियां हैं. अपनी लाड़ली, मासूम बेटी खो चुका, ये परिवार इस भयानक दु:ख से टूट चुका है. महीनों तक काम करने की हालत में नहीं होगा. शासन की ओर से कम से कम 20 लाख की आर्थिक मदद तत्काल मुहैया कराई जाए. चूँकि भूख फ़ाइल मंज़ूर होने का इंतज़ार नहीं करती, इसलिए आधी रक़म तत्काल मुहैय्या की जाए.

3) गऱीब लोगों के लिए ‘बेटी पढाओ-बेटी बचाओ’ वाला सरकारी नारा एक बहुत क्रूर मजाक बनकर रह गया है. महिलाएं, ख़ासतौर पर मज़दूर महिलाऐं, इतनी असुरक्षित कभी नहीं रहीं. महिलाओं की सुरक्षा की गारंटी करो.

4) ऐसे दुर्दांत, वहशी अपराधों में नशाखोरी का एंगल ज़रूर रहता है. शराब की दुकानें हर तरफ़ छाई हुई हैं, रात भर खुली रहती हैं. दूसरे नशे भी आसानी से उपलब्ध हैं. नशाखोरी के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करो. अश्लील विडियो और महिलाओं को उपभोग की वस्तु प्रदर्शित करने वाले विज्ञापनों पर कड़ाई से रोक लगाओ.

5) माननीय डी सी, यथाशीघ्र स्वयं अनखीर गाँव का दौरा करें, जिससे फाइलों के बाहर की हकीक़त मालूम हो. अनखीर गाँव में सडक़ों की हालत दयनीय है, सीवर का पानी सडक़ों पर बहता रहता है. स्ट्रीट लाइट का पता नहीं, रात में अँधेरा रहता है. ‘स्मार्ट सिटी फऱीदाबाद’ की ‘स्मार्टनेस’ गऱीब मज़दूर बस्तियों तक भी पहुंचाई जाए. सडकों, सीवर, स्ट्रीट लाइट, पर्याप्त संख्या में सी सी टी वी कैमरों आदि की व्यवस्था तत्काल शुरू की जाए.

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Mazdoor Morcha
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